पिछले दिनों सुप्रीम कोर्ट ने अपने एक ऐतिहासिक फैसले में अनुच्छेद 370 को रद्द करने के मोदी सरकार के निर्णय पर अपनी मुहर लगा दी. इससे कानूनी तौर पर इस विवादित अध्याय का हमेशा के लिए समापन करने का काम हुआ. अब केंद्र सरकार के सामने जम्मू-कश्मीर में चुनाव करवाने और पूर्ण राज्य का दर्जा बहाल करने का टास्क है. इंडिया टुडे ग्रुप को दिए एक्सक्लूसिव इंटरव्यू में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कोर्ट के फैसले पर खुलकर अपनी राय रखी और राज्य के विकास की अपनी योजनाओं के बारे में भी बताया.
इंडिया टुडे ग्रुप के एडिटर-इन-चीफ तथा चेयरपर्सन अरुण पुरी, वाइस-चेयरपर्सन कली पुरी और ग्रुप एडिटोरियल डायरेक्टर राज चेंगप्पा से खास बातचीत में पीएम मोदी ने कहा, एक अस्थायी प्रावधान को खत्म करने में हुई देरी से लोगों को दिक्कत हुई है. संसद में नेहरू जी के यह कहने के बावजूद कि यह धारा ‘घिसते-घिसते घिस जाएगी’, सात दशकों तक जम्मू-कश्मीर के लोगों को और विशेष रूप से महिलाओं व साधनहीन समुदायों के लोगों को उनके अधिकारों से वंचित रखा गया.
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पीएम मोदी ने कहा कि अनुच्छेद 370 के हमेशा के लिए खत्म होने के साथ जम्मू-कश्मीर और लद्दाख के लोग पहली बार अपने हाथों से अपनी नियति गढ़ने के लिए स्वतंत्र हैं. भारत का संविधान, जो सामाजिक रूप से कमजोर समूहों के अधिकारों की रक्षा करता है, उन पर भी अब पूरी तरह लागू है. जम्मू-कश्मीर की महिलाएं आज खेलों से लेकर उद्यमिता तक विभिन्न क्षेत्रों में उभरकर आ रही हैं. नए उद्योग खुल रहे हैं. आतंकवाद रिकॉर्ड निचले स्तर पर पहुंच गया है, जबकि पर्यटन रिकॉर्ड ऊंचाइयां छू रहा है. जी20 की बैठक सरीखे अंतरराष्ट्रीय आयोजन हुए और दुनिया ने इस इलाके का आतिथ्य और मौलिक सौंदर्य देखा.
जम्मू-कश्मीर में स्थायी शांति के लिए अपने कदमों के बारे में बताते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि सरकार ने बहुआयामी दृष्टिकोण अपनाया है, जिसका जोर सुरक्षा, विकास, बुनियादी ढांचे में निवेश और मानव पूंजी तथा सरकारी प्रक्रियाओं के संपूर्ण पुनर्गठन पर है. हम इस इलाके के लोगों के जीवन स्तर में सुधार लाकर, आर्थिक वृद्धि को बढ़ावा देकर और रोजगार के अवसर पैदा करके शांति, स्थिरता और समृद्धि आश्वस्त करने के रास्ते पर हैं.
पीएम मोदी ने कहा कि राष्ट्रीय स्तर पर संसद में जम्मू-कश्मीर का पहले से ही प्रतिनिधित्व है. स्थानीय स्तर पर हम पहली बार लोकतंत्र को ठेठ जमीन तक ले जाने में सफल हुए हैं. त्रिस्तरीय पंचायत राज व्यवस्था राज्य में स्थापित की गई है और जमीनी स्तर पर 35 हजार नेता चुने गए हैं. उन्होंने सवाल किया कि इन चुनावों की अहमियत को हम कम करके क्यों आंकते हैं? डेमोक्रेसी हो, डेवलपमेंट हो या डायनैमिज्म, जम्मू-कश्मीर और लद्दाख के लोग आज चौतरफा प्रगति देख रहे हैं.
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