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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का कहना है कि अगर विश्व व्यापार संगठन (WTO) अनुमति दे, तो भारत दुनिया को अनाज की आपूर्ति करने के लिए तैयार है. पीएम मोदी ने ये बातें अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन से कही थीं, जिसके बारे में उन्होंने खुद बताया.
पीएम मोदी ने कहा, मां अन्नपूर्णा के आशीर्वाद से हमारे यहां अनाज के भंडार भरे हुए हैं. अगर WTO हमें अनुमति दे तो हम उससे पूरी दुनिया का पेट भर सकते हैं. हमें परमिशन मिले तो हम अपने अनाज पूरी दुनिया में भेज सकते हैं.
एक रिपोर्ट के मुताबिक, अनाज के भंडारण में भारत दुनिया का सबसे बड़ा देश है. अमेरिका की फॉरेन एग्रीकल्चर सर्विस (FAS) के मुताबिक, दुनिया में सबसे ज्यादा चावल और गेहूं का उत्पादन चीन के बाद भारत में होता है.
Indian farmers are feeding the world.
Egypt approves India as a wheat supplier. Modi Govt. steps in as world looks for reliable alternate sources for steady food supply.
Our farmers have ensured our granaries overflow & we are ready to serve the world.https://t.co/h56oSc3HDC— Piyush Goyal (@PiyushGoyal) April 15, 2022
कृषि मंत्रालय के मुताबिक, 2019-20 में भारत में 1076 लाख टन गेहूं का उत्पादन हुआ था. इसी साल 1184 लाख टन चावल का उत्पादन हुआ. एक अनुमान के मुताबिक, दुनियाभर में हर साल 4902 लाख टन चावल और 6020 लाख टन गेहूं की खपत होती है. यानी, भारत में हर साल गेहूं और चावल की जितनी पैदावार होती है, उससे दुनिया की 15 से 20 फीसदी जरूरत पूरी हो सकती है.
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इतना उत्पादन, फिर भी हंगर इंडेक्स में नीचे!
हर साल ग्लोबल हंगर इंडेक्स की रैंकिंग जारी होती है. 2021 में भारत इस रैंकिंग में 116 देशों की लिस्ट में 101वें नंबर पर रहा था. इस रैंकिंग में भारत अपने पड़ोसी देश म्यांमार (71), पाकिस्तान (92), बांग्लादेश (76) और नेपाल (76) से भी नीचे था. 2020 में भारत 117 देशों में 94वें नंबर पर था. यानी एक साल में ही भारत की रैंकिंग 7 पायदान गिर गई.
ग्लोबल हंगर इंडेक्स की रिपोर्ट इसलिए अहम है क्योंकि ये दुनियाभर में भूख के खिलाफ चल रहे अभियानों की उपलब्धियों और नाकामियों को बताती है. इससे पता चलता है कि किसी देश में भूख की समस्या कितनी ज्यादा है. हालांकि, सरकार इस इंडेक्स को नहीं मानती है. सरकार का कहना है कि ये रिपोर्ट सही आधार पर तैयार नहीं की जाती.
भले ही सरकार इस रिपोर्ट को नहीं मानती लेकिन सरकार की एक रिपोर्ट खुद इस को मानती है कि भारत में आज भी लाखों बच्चों को सही पोषण नहीं मिल रहा है. इसी साल फरवरी में लोकसभा में महिला एवं बाल विकास मंत्री स्मृति ईरानी ने बताया था कि देश में 7.7% बच्चे ऐसे हैं जो गंभीर रूप से कुपोषित हैं. सरकार के ही एक आंकड़े ये भी बताते हैं कि देश में करीब 10 लाख बच्चे गंभीर रूप से कुपोषित हैं.
पिछले साल नवंबर में नेशनल फैमिली हेल्थ सर्वे-5 (NFHS-5) की रिपोर्ट आई थी. इस सर्वे की रिपोर्ट के मुताबिक, भारत में अभी भी 5 साल से कम उम्र के 20% बच्चे ऐसे हैं, जिनका वजन उनकी ऊंचाई के हिसाब से कम है. 5 साल से कम उम्र के 32% से ज्यादा बच्चे ऐसे हैं जिनका वजन उनकी उम्र के हिसाब से कम है. इस सर्वे में ये भी सामने आया था कि 6 से 23 महीने के महज 11.3% बच्चे ही ऐसे हैं, जिन्हें पर्याप्त डाइट मिलती है. यानी, ऐसे करीब 90% बच्चों को पर्याप्त डाइट भी नहीं मिल पाती.
इतना ही नहीं, इससे पहले 2017 में आए नेशनल फैमिली हेल्थ सर्वे में सामने आया था कि भारत में 19 करोड़ से ज्यादा लोग ऐसे हैं जिन्हें सही तरीके से पोषण नहीं मिल रहा है या वो भूख से जूझ रहे हैं. यानी, आज भी 19 करोड़ लोग भूखे पेट ही सो जाते हैं. हालांकि कोरोना काल शुरू होने के बाद केंद्र सरकार ने देश के तकरीबन 80 करोड़ लोगों को मुफ्त राशन की व्यवस्था की थी, जो कि आज भी जारी है. उम्मीद है कि इस योजना के बाद तस्वीर काफी सुधरी होगी लेकिन इसके लिए आधिकारिक आंकड़ों का ही इंतजार करना होगा.
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क्या है आखिर इसकी वजह?
भारत में भूख की सबसे बड़ी वजह खाने की बर्बादी है. संयुक्त राष्ट्र के मुताबिक, भारत में हर साल 40 फीसदी खाना यूंही बर्बाद हो जाता है. सबसे ज्यादा खाना घरों में बर्बाद होता है. संयुक्त राष्ट्र की पिछले साल आई एक रिपोर्ट बताती है कि भारत में हर परिवार में हर व्यक्ति हर साल 50 किलो खाना बर्बाद करता है. इस हिसाब से हर साल भारतीय घरों में 687 लाख टन खाना बर्बाद हो जाता है.
इसके अलावा भारत में अनाज भी जमकर बर्बाद होता है. उसका कारण है स्टोरेज की सही व्यवस्था न होना. भारत में अनाजों के भंडारण का काम फूड कॉर्पोरेशन ऑफ इंडिया (FCI) देखती है. इसी साल फरवरी में सरकार ने लोकसभा में बताया था कि FCI के गोदाम में 2020-21 में 1850 टन अनाज बर्बाद हो गया था. इससे पहले 2019-20 में 1930 टन अनाज बर्बाद हुआ था. पिछले 5 साल में सबसे ज्यादा अनाज 2016-17 में खराब हुआ था. उस साल 8776 टन अनाज की बर्बादी गोदामों में पड़े-पड़े ही हो गई थी.
सरकार के ही आंकड़े बताते हैं कि भारत में जिस तेजी से अनाज की पैदावार हो रही है, उस तेजी से स्टोरेज कैपेसिटी नहीं बढ़ रही है. FCI के मुताबिक, अभी भारत में 817.96 लाख मीट्रिक टन अनाज का भंडारण करने की क्षमता है. जबकि, 2019-20 में भारत में 2966.5 लाख टन अनाज की पैदावार हुई थी. यानी, भारत में जितना अनाज पैदा हुआ, उसका सिर्फ 27% ही FCI स्टोर कर सकता है.