
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी आज उस ऐतिहासिक पल के साक्षी रहे, जब 'राजपथ' का नाम बदलकर 'कर्तव्य पथ' कर दिया गया. इस मौके पर उन्होंने कहा कि गुलामी का प्रतीक किंग्सवे यानी 'राजपथ', आज से इतिहास की बात हो गया है, ये हमेशा के लिए मिट गया है. आज 'कर्तव्य पथ' के रूप में नए इतिहास का सृजन हुआ है.
इसी के साथ उन्होंने इंडिया गेट के पीछे की बनी छतरी के नीचे नेताजी सुभाष चंद्र बोस की 28 फीट ऊंची प्रतिमा का भी अनावरण किया. काले रंग के ग्रेनाइट पत्थर से बनी नेताजी की ये प्रतिमा, उस जगह लगी है जहां 23 जनवरी 2022 को उनकी होलोग्राम प्रतिमा लगाई गई थी. इस जगह पर 1939 में ब्रिटेन के महाराजा किंग जॉर्ज पंचम की एक मार्बल की मूर्ति लगाई गई थी. आजादी के बाद उसे इस जगह से हटा दिया गया था.
गुलामी की पहचान से मिली मुक्ति
इस मौके पर पीएम मोदी ने कहा कि आजादी के अमृतकाल में, देश को आज एक नई प्रेरणा मिली है, नई ऊर्जा मिली है. हम गुजरे हुए कल को छोड़कर, आने वाले कल की तस्वीर में नए रंग भर रहे हैं. आज हमें गुलामी की एक और पहचान से मुक्ति मिली है. इंडिया गेट के समीप हमारे राष्ट्रनायक नेताजी सुभाषचंद्र बोस की विशाल मूर्ति स्थापित हुई है. गुलामी के समय यहां ब्रिटिश राजसत्ता के प्रतिनिधि की प्रतिमा लगी हुई थी. आज देश ने उसी स्थान पर नेताजी की मूर्ति की स्थापना करके आधुनिक, सशक्त भारत की प्राण प्रतिष्ठा भी कर दी है.
राजपथ की 'आत्मा' बदली
पीएम मोदी ने कहा कि राजपथ ब्रिटिश राज के लिए था, जिनके लिए भारत के लोग गुलाम थे. राजपथ की भावना भी गुलामी का प्रतीक थी, उसकी संरचना भी गुलामी का प्रतीक थी. आज इसका आर्किटेक्चर भी बदला है, और इसकी आत्मा भी बदली है.
राजपथ का नाम अब कर्तव्य पथ कर दिया गया है. इसी के साथ यहां कैनाल का नए सिरे से विकास किया गया है. वही जनसुविधाओं का निर्माण किया गया है. वहीं पूरे रास्ते और फुटपाथ को नया स्वरूप प्रदान किया गया है. कर्तव्यपथ पर नई लाइटिंग और नए हरे-भरे बागों का विकास किया गया है.
नेताजी के विचारों को किया गया नजरअंदाज
इस मौके पर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने नेताजी सुभाषचंद्र बोस की विरासत को सही से संवारने के लिए निशाना भी साधा. उन्होंने कहा कि सुभाषचंद्र बोस ऐसे महामानव थे, जो पद और संसाधनों की चुनौती से परे थे. उनमें साहस था, स्वाभिमान था. उनके पास विचार थे, विज़न था. उनमें नेतृत्व की क्षमता थी, नीतियां थीं. अगर आजादी के बाद हमारा भारत सुभाष बाबू की राह पर चला होता तो आज देश कितनी ऊंचाइयों पर होता. लेकिन दुर्भाग्य से, आजादी के बाद हमारे इस महानायक को भुला दिया गया. उनके विचारों को, उनसे जुड़े प्रतीकों तक को नजरअंदाज कर दिया गया. उस वक्त उन्होंने कल्पना की थी कि लाल किले पर तिरंगा फहराने की क्या अनुभूति होगी. नेताजी अखंड भारत के पहले प्रधान थे, जिन्होंने 1947 से भी पहले अंडमान को आजाद कराकर तिरंगा फहराया था.
आज हमारे पथ अपने, प्रतीक अपने
इस मौके पर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने कहा कि आज भारत के आदर्श अपने हैं, आयाम अपने हैं. आज भारत के संकल्प अपने हैं, लक्ष्य अपने हैं. आज हमारे पथ अपने हैं, प्रतीक अपने हैं. अगर राजपथ का अस्तित्व समाप्त होकर आज कर्तव्य पथ बना है, जॉर्ज पंचम की मूर्ति के निशान को हटाकर नेताजी की मूर्ति लगी है, तो ये गुलामी की मानसिकता के परित्याग का पहला उदाहरण नहीं है. आज देश में अंग्रेजों के जमाने से चले आ रहे सैकड़ों क़ानून बदल चुके हैं. भारतीय बजट, जो इतने दशकों से ब्रिटिश संसद के समय का अनुसरण कर रहा था, उसका समय और तारीख भी बदली गई है. राष्ट्रीय शिक्षा नीति के जरिए अब विदेशी भाषा की मजबूरी से भी देश के युवाओं को आजाद किया जा रहा है.
कर्तव्य पथ केवल ईंट-पत्थरों का रास्ता भर नहीं
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने कहा कि 'कर्तव्य पथ' केवल ईंट-पत्थरों का रास्ता भर नहीं है. ये भारत के लोकतान्त्रिक अतीत और सर्वकालिक आदर्शों का जीवंत मार्ग है. यहां जब देश के लोग आएंगे, तो नेताजी की प्रतिमा, नेशनल वार मेमोरियल, ये सब उन्हें कितनी बड़ी प्रेरणा देंगे, उन्हें कर्तव्य बोध से ओत-प्रोत करेंगे.
श्रम साथियों का भी सम्मान
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने इस मौके पर उन श्रमिकों का भी आभार व्यक्त किया जिन्होंने राजपथ को कर्तव्य पथ बनाने में अपना योगदान दिया. पीएम मोदी ने कहा कि मैं अपने उन श्रमिक साथियों का विशेष आभार व्यक्त करना चाहता हूं, जिन्होंने कर्तव्य पथ को केवल बनाया ही नहीं है, बल्कि अपने श्रम की पराकाष्ठा से देश को कर्तव्य पथ दिखाया भी है. मैं देश के हर एक नागरिक का आह्वान करता हूं, आप सभी को आमंत्रण देता हूं कि इस नवनिर्मित कर्तव्य पथ को आकर देखिए.