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पीएम मोदी ने 35 नई फसलों की वैरायटी देश को समर्पित की, बोले - इनमें पौष्टिक तत्व ज्यादा

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 35 नई फसलों की वैरायटी को देश को समर्पित किया. इसके साथ-साथ उन्होंने नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ बायोटिक स्ट्रेस मैनेजमेंट (National Institute of Biotic Stress Management) रायपुर के नए परिसर का भी लोकार्पण किया.

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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (फाइल फोटो)
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (फाइल फोटो)
स्टोरी हाइलाइट्स
  • पीएम मोदी ने 35 नई फसलों की वैरायटी देश को समर्पित की
  • हरित परिसर अवॉर्ड जीतने वाली यूनिवर्सिटीज के नाम बताए
  • नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ बायोटिक स्ट्रेस मैनेजमेंट के नए कैंपस का उद्घाटन किया

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आज देश के कृषि जगत को बड़ा तोहफा दिया. उन्होंने आज 35 नई फसलों की वैरायटी को देश को समर्पित किया. इसके अलावा पीएम द्वारा नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ बायोटिक स्ट्रेस मैनेजमेंट (National Institute of Biotic Stress Management) रायपुर के नए परिसर का भी लोकार्पण किया गया. बता दें कि नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ बायोटिक स्ट्रेस मैनेजमेंट 58 करोड़ रुपये में बनकर तैयार हुआ है.

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अपने संबोधन में पीएम मोदी ने कहा कि भारतीय कृषि हमेशा से वैज्ञानिक रही है. क्योंकि यहां पहले से कहा जाता रहा है कि खेत की जुताई जितनी गहरी की जाती है, बीज बोने पर उपज भी उतनी ज्यादा होती है. मोदी ने बताया कि फसलों की नई वैरायटी मौसम की मार से निपट सकती हैं. साथ ही साथ पहले से ज्यादा पोषक भी हैं.

'बीते 6-7 सालों में साइंस और टेक्नॉलॉजी को खेती से जुड़ी चुनौतियों के समाधान के लिए प्राथमिकता के आधार पर उपयोग किया जा रहा है. विशेष रूप से बदलते हुए मौसम में, नई परिस्थितियों के अनुकूल, अधिक पोषण युक्त बीजों पर हमारा फोकस बहुत अधिक है.'

पीएम मोदी

पीएम मोदी ने बताया कि उनकी सरकार ने MSP में बढ़ोत्तरी के साथ-साथ खरीद प्रक्रिया में भी सुधार किया ताकि अधिक-से-अधिक किसानों को इसका लाभ मिल सके. कहा गया कि रबी सीज़न में 430 लाख मीट्रिक टन से ज्यादा गेहूं खरीदा गया है. मोदी ने कहा कि किसानों को कचरे से कंचन बनाने जैसे विकल्प दिए जा रहे हैं.

मोदी ने कहा कि खेती हमारी पुरातन परंपरा है, लेकिन इसको लेकर भविष्य की तरफ बढ़ना है. इसलिए आधुनिक तकनीक जरूरी है जो कि खेती के नए औज़ार जैसी है.

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किसानों से पीएम मोदी ने की बात

पीएम मोदी ने सबसे पहले जम्मू कश्मीर की जैतून बेगम से बात की. जो कि अपने कृषि क्षेत्र में नए-नए प्रयोग करती रहती हैं. वह अंगूर, सेब आदि की खेती करती हैं.

बातचीत में उत्तराखंड के सुरेश राणा ने बताया कि पहले वह ग्रीष्मकालीन धान की खेती करते थे, जिससे पानी का स्तर कम हो गया. जमीन की उपजाऊ क्षमता भी घट गई. फिर उनको सरकारी विभाग से मक्का की खेती के बारे में पता चला था, जिससे उनको फायदा हुआ. इसके साथ-साथ मक्का की जुताई से खेत भी ज्यादा उपजाऊ हो गए.

बता दें कि 35 नई फसलों की वैरायटी उच्च पोषण तत्वों से भरपूर और रोगरोधी हैं. इसमें सूखा प्रभावित क्षेत्र के लिए चने की किस्म, अरहर, सोयाबीन. जलवायु अनुकूल धान, अधिक प्रोटीन वाले गेंहू, बाजरा, मक्का और चना भी इस कड़ी में शामिल हैं. बाकला, तिलहन की नई किस्म विकसित की गई हैं.

इस लिस्ट में चने की ऐसी फसल भी रहने वाली है जो आसानी से सूखे की मार झेल सकती है. इसके अलावा रोग प्रतिरोधक क्षमता वाला चावल भी तैयार किया गया है. इसके अलावा बाजरा, मक्का, बकवीट जैसी फसलों की अलग वैरायटी भी देश को मिलने जा रही है.

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इसमें पंजाब कृषि विश्वविद्यालय (लुधियाना) को प्रथम पुरस्कार, तमिलनाडु कृषि विश्वविद्यालय (कोयंबटूर) को द्वितीय पुरस्कार, केंद्रीय मात्स्यिकी शिक्षा संस्थान (मुंबई) को तृतीय पुरस्कार मिला है. इसके अलावा कृषि विज्ञान विश्वविद्यालय, धारावाड़ (कर्नाटक) को सांत्वना पुरस्कार मिला है.

कार्यक्रम की शुरुआत में कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने बताया कि पीएम मोदी चाहते हैं कि किसान किसी की दया पर निर्भर ना रहे बल्कि आत्मनिर्भर और ताकतवर बने. केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने आगे कहा कि जब से PM मोदी ने कार्यभार संभाला है तब से कृषि के क्षेत्र में नई क्रांति आई है. वह बोले कि प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना से 99,000 करोड़ रुपये किसानों को दिए गए और पीएम किसान सम्मान निधि से 1,58,000 करोड़ रुपये किसानों के खाते में भेजे गए.

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