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सिर्फ प्रधानमंत्री को मिलती है SPG सुरक्षा, हर दिन खर्च होते हैं 1.17 करोड़ रुपये

प्रधानमंत्री मोदी ही देश में इकलौते ऐसे व्यक्ति हैं जिन्हें एसपीजी की सुरक्षा मिली है. पहले पूर्व प्रधानमंत्रियों और उनके करीबियों को भी इसकी सुरक्षा मिलती थी. एसपीजी की सुरक्षा व्यवस्था को देश में सबसे ज्यादा चाक चौबंद माना जाता है.

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एसपीजी लगातार एक्टिव रहती है. (फाइल फोटो-ANI)
एसपीजी लगातार एक्टिव रहती है. (फाइल फोटो-ANI)
स्टोरी हाइलाइट्स
  • प्रधानमंत्री की सुरक्षा करती है एसपीजी
  • साल 1988 में एसपीजी का गठन हुआ था

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सुरक्षा में चूक होने पर बवाल बढ़ गया है. बवाल बढ़ना इसलिए वाजिब है क्योंकि देश के प्रधानमंत्री का काफिला 20 मिनट तक उस फ्लाईओवर पर फंसा रहा जहां से पाकिस्तान की सीमा बहुत ज्यादा दूर नहीं है. ऐसे में अनहोनी का खतरा भी बढ़ गया था. इसके बाद पीएम मोदी फिरोजपुर की रैली रद्द कर वापस लौट आए. न्यूज एजेंसी के मुताबिक, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बठिंडा एयरपोर्ट पर पंजाब सरकार के अधिकारियों से कहा, 'अपने सीएम को थैंक्स कहना कि मैं एयरपोर्ट तक जिंदा लौट पाया.'

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प्रधानमंत्री की सुरक्षा की जिम्मेदारी स्पेशल प्रोटेक्शन ग्रुप (SPG) के हाथ में होती है. लेकिन जब प्रधानमंत्री किसी राज्य के दौरे पर होते हैं तो राज्य की पुलिस की भी जिम्मेदारी होती है. 

एसपीजी से जुड़े रहे एक अधिकारी ने बताया कि प्रधानमंत्री के दौरे को लेकर मुख्यमंत्री, गृह मंत्री, डीजीपी और मुख्य सचिव को जानकारी दे दी जाती है. सिक्योरिटी प्लान भी एसएसपी और डीएम को बताया जाता है. इमरजेंसी के लिए कंटीन्जेंसी प्लान भी तैयार किया जाता है. उन्होंने बताया कि एसएसपी भी पीएम के काफिले का हिस्सा होते हैं और एक वैकल्पिक रास्ता भी तैयार रखा जाता है.

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सिर्फ मोदी को मिलती है एसपीजी सुरक्षा

एसपीजी की सुरक्षा व्यवस्था पहले पूर्व प्रधानमंत्रियों और उनके निकटतम करीबियों को भी मिलती थी. लेकिन दो साल पहले एसपीजी एक्ट में संशोधन कर दिया गया था. इसके बाद ये सुरक्षा व्यवस्था सिर्फ मौजूदा प्रधानमंत्री को ही मिलती है. 

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एसपीजी की सुरक्षा व्यवस्था को बेहद चाक चौबंद माना जाता है, लेकिन इसमें कितने जवान होते हैं, इसकी संख्या निश्चित नहीं होती. खतरे की आशंका को देखते हुए ये संख्या ऊपर-नीचे होती रहती है. एसीपीजी के बेड़े में गाड़ियां और हवाई जहाज भी शामिल रहते हैं.

पीएम की सुरक्षा में हर दिन 1.17 करोड़ खर्च

एसपीजी का बजट लगातार बढ़ता जा रहा है. 2014-15 में जब मोदी सरकार आई थी, जब एसपीजी का बजट 289 करोड़ रुपये था. 2015-16 में ये बढ़कर 330 करोड़ रुपये हो गया. 

2019-20 में एसपीजी का बजट 540.16 करोड़ रुपये था. उस समय प्रधानमंत्री मोदी के अलावा सोनिया गांधी, राहुल गांधी और प्रियंका गांधी को भी एसपीजी सुरक्षा मिलती थी. यानी, हर एक की सुरक्षा पर सालभर में 135 करोड़ रुपये खर्च होते थे.

2021-22 में एसपीजी का बजट 429.05 करोड़ रुपये था. अभी सिर्फ पीएम मोदी को ही एसपीजी की सुरक्षा मिलती है. यानी, उनकी सुरक्षा में हर दिन 1.17 करोड़, हर घंटे 4.90 लाख और हर मिनट 8,160 रुपये खर्च होते हैं.

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कैसा होता है प्रधानमंत्री का सुरक्षा घेरा?

- SPG कमांडोज की सुरक्षा 4 स्तर की होती है. पहले स्तर में SPG की टीम के पास सुरक्षा का जिम्मा होता है. SPG के 24 कमांडो प्रधानमंत्री की सुरक्षा में तैनात रहते हैं. कमांडोज के पास FNF-2000 असॉल्ट राइफल होती है. सेमी ऑटोमैटिक पिस्टल और दूसरे अत्याधुनिक हथियार होते हैं. 

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- प्रधानमंत्री बुलेट प्रूफ कार में सवार रहते हैं. काफिले में 2 आर्मर्ड गाड़ियां चलती हैं. 9 हाईप्रोफाइल गाड़ियों के अलावा एंबुलेंस और जैमर होता है. पीएम के काफिले में डमी कार भी चलती है. काफिले में करीब 100 जवान शामिल होते हैं. 

1988 में हुआ था एसपीजी का गठन

31 अक्टूबर 1984 को इंदिरा गांधी की हत्या हो गई थी. इसके बाद 1988 में संसद में एसपीजी एक्ट पारित किया गया और एसपीजी का गठन हुआ. उस समय भी मौजूदा प्रधानमंत्री को ही सुरक्षा देने का प्रावधान था. पूर्व प्रधानमंत्रियों को नहीं.

यही वजह थी कि 1989 में वीपी सिंह की सरकार ने राजीव गांधी का एसपीजी कवर हटा दिया था. 1991 में राजीव गांधी की भी हत्या हो गई. इसके बाद एसपीजी कानून में संशोधन हुआ. प्रावधान किया गया कि पूर्व प्रधानमंत्रियों और उनके परिवार को पद से हटने के 10 साल बाद तक एसपीजी सुरक्षा मिलेगी.

इसके बाद अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार ने 2003 में इस कानून में फिर संशोधन किया. संशोधित कानून के मुताबिक, पूर्व प्रधानमंत्री को पद छोड़ने के एक साल बाद तक ही एसपीजी कवर मिलेगा. 

कानूनन मनमोहन सिंह के प्रधानमंत्री छोड़ने के एक साल बाद एसपीजी कवर हट जाना चाहिए था. लेकिन सरकार ने चार साल बाद सुरक्षा हटाई. 2019 के लोकसभा चुनाव के बाद मोदी सरकार ने कानून में फिर संशोधन किया, जिसमें प्रावधान था कि सिर्फ प्रधानमंत्री को ही एसपीजी की सुरक्षा मिलेगी.

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