कोरोना संकट के बीच संयुक्त राष्ट्र संघ की महासभा (UNGA) चल रही है. महामारी की वजह से इस बार की महासभा वर्चुअल तरीके से हो रही है. 75वें सत्र में आज शनिवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने भाषण में संयुक्त राष्ट्र की भूमिका पर सवाल उठाते हए कहा कि कोरोना महामारी के बीच कहां है संयुक्त राष्ट्र? साथ ही सवाल भी किया कि भारत को कब तक निर्णय प्रक्रिया से अलग रखा जाएगा.
संयुक्त राष्ट्र संघ की महासभा (UNGA) के 75वें सत्र में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि आज पूरे विश्व समुदाय के सामने एक बहुत बड़ा सवाल है कि जिस संस्था का गठन तब की परिस्थितियों में हुआ था, उसका स्वरूप क्या आज भी प्रासंगिक है? उन्होंने कहा कि अगर हम बीते 75 सालों में संयुक्त राष्ट्र की उपलब्धियों का मूल्यांकन करें, तो अनेक उपलब्धियां दिखाई देती हैं. अनेक ऐसे उदाहरण भी हैं, जो संयुक्त राष्ट्र के सामने गंभीर आत्ममंथन की आवश्यकता खड़ी करते हैं.
आखिर कब तक इंतजारः पीएम मोदी
वर्चुअल तरीके से अपने संबोधन में पीएम मोदी ने कहा कि एक ऐसा देश, जो दुनिया का सबसे बड़ा लोकतंत्र है, एक ऐसा देश, जहां विश्व की 18 प्रतिशत से ज्यादा जनसंख्या रहती है, एक ऐसा देश, जहां सैकड़ों भाषाएं हैं, सैकड़ों बोलियां हैं, अनेकों पंथ हैं, अनेकों विचारधाराएं हैं. जिस देश ने वर्षों तक वैश्विक अर्थव्यवस्था का नेतृत्व करने और वर्षों की गुलामी, दोनों को जिया है, जिस देश में हो रहे परिवर्तनों का प्रभाव दुनिया के बहुत बड़े हिस्से पर पड़ता है, उस देश को आखिर कब तक इंतजार करना पड़ेगा.
प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि हम पूरे विश्व को एक परिवार मानते हैं. यह हमारी संस्कृति, संस्कार और सोच का हिस्सा है. संयुक्त राष्ट्र में भी भारत ने हमेशा विश्व कल्याण को ही प्राथमिकता दी है.
प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि ये बात सही है कि कहने को तो तीसरा विश्व युद्ध नहीं हुआ, लेकिन इस बात को नकार नहीं सकते कि अनेकों युद्ध हुए, अनेकों गृहयुद्ध भी हुए. कितने ही आतंकी हमलों में खून की नदियां बहती रहीं. इन युद्धों में, इन हमलों में, जो मारे गए, वो हमारी-आपकी तरह इंसान ही थे.