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त्रिची के श्री रंगनाथस्वामी मंदिर पहुंचे PM मोदी, दर्शन-पूजन के बाद गजराज का लिया आशीर्वाद

बता दें कि श्री रंगनाथस्वामी भगवान शिव के एक रूप हैं. मान्यता है कि इस मंदिर में शिवलिंग की स्थापना श्रीराम और माता सीता ने की थी. पुराणों और संगम युक के ग्रंथों में इस मंदिर का जिक्र है.

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पीएम मोदी ने त्रिची के श्री रंगनाथस्वामी मंदिर में पूजा करने के बाद गजराज का आशीर्वाद लिया. (ANI Photo)
पीएम मोदी ने त्रिची के श्री रंगनाथस्वामी मंदिर में पूजा करने के बाद गजराज का आशीर्वाद लिया. (ANI Photo)

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी राम मंदिर प्राण प्रतिष्ठा समारोह से पहले देश के विभिन्न मंदिरों का दौरा कर रहे हैं. इसी कड़ी में वह आज तमिलनाडु के त्रिची में श्री रंगनाथस्वामी मंदिर पहुंचे और दर्शन पूजन किया. पीएम को श्री रंगनाथस्वामी मंदिर के पीठासीन देवता की ओर से वस्त्र और अन्य सामग्रियां उपहार में सौंपी गईं, इसे अयोध्या के राम मंदिर ले जाया जाएगा. बता दें कि श्री रंगनाथस्वामी भगवान शिव के एक रूप हैं. मान्यता है कि इस मंदिर में शिवलिंग की स्थापना श्रीराम और माता सीता ने की थी. पुराणों और संगम युक के ग्रंथों में इस मंदिर का जिक्र है.

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कावेरी और कोलिदम नदियों के बीच एक टापू पर यह मंदिर स्थित है, जिसका विस्तार 150 एकड़ से अधिक क्षेत्र में है. चोल वंश शासकों ने इस मंदिर का निर्माण कराया था. पीएम मोदी ने श्री रंगनाथस्वामी मंदिर में कंब रामायण का पाठ सुना. बता दें कि महर्षि कंबन ने इस महाकाव्य की रचना 9वीं सदी में तमिल भाषा में की थी. इसमें रावण बध करके श्रीराम के लंका से अयोध्या लौटने का वर्णन है. कंब रामायण में 10,050 पद्य हैं और बालकाण्ड से युद्धकाण्ड तक 6 काण्डों का विस्तार इसमें मिलता है.

PM Modi Trichy

प्रधानमंत्री मोदी तिरुचिरापल्ली के श्री रंगनाथस्वामी मंदिर में दर्शन-पूजन के बाद रामेश्वरम पहुंचेगे. यहां वह श्री अरुल्मिगु रामनाथस्वामी मंदिर में दर्शन और पूजा करेंगे. श्री रंगनाथस्वामी मंदिर अपनी स्थापत्य कला, भव्यता और अपने असंख्य प्रतिष्ठित गोपुरमों के लिए प्रसिद्ध है. मंदिर में पूजे जाने वाले मुख्य देवता श्री रंगनाथ स्वामी हैं, जो भगवान विष्णु का लेटे हुए रूप हैं. वैष्णव धर्मग्रंथों में इस मंदिर में पूजी जाने वाली मूर्ति और अयोध्या के बीच संबंध का उल्लेख है.

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PM Modi Trichy Shri Ranganathswami Mandir 2nd

ऐसा माना जाता है कि भगवान विष्णु की जिस मूर्ति की पूजा श्रीराम और उनके पूर्वज करते थे, उसे उन्होंने लंका ले जाने के लिए विभीषण को दे दी थी. रास्ते में यह मूर्ति श्रीरंगम में स्थापित कर दी गई. महान दार्शनिक और संत श्री रामानुजाचार्य भी इस मंदिर के इतिहास से गहराई से जुड़े हुए हैं. इसके अलावा, इस मंदिर में कई महत्वपूर्ण स्थान हैं . उदाहरण के लिए, प्रसिद्ध कंबां रामायणम को पहली बार तमिल कवि कंबन ने इस परिसर में एक विशेष स्थान पर सार्वजनिक रूप से प्रस्तुत किया था. 

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