PM Poshan Scheme: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अगुवाई में बुधवार को हुई केंद्रीय कैबिनेट की बैठक में कई अहम फैसले लिए गए. देशभर के सरकारी और सह-सरकारी स्कूलों में बच्चों के लिए चलाई जा रही मिड-डे मील योजना को अब नया रूप दिया गया है, इस योजना को अब प्रधानमंत्री पोषण योजना के रूप में जाना जाएगा. केंद्र सरकार अगले पांच साल में इस योजना पर 1.31 लाख करोड़ रुपये खर्च करेगी.
केंद्र सरकार के इस तरह योजना के नाम बदलने पर राजनीतिक बवाल भी छिड़ गया है. विपक्ष के कई दलों ने केंद्र सरकार को निशाने पर लिया है. ऐसे में इस विवाद के पीछे क्या कारण है, स्कीम में क्या बदलाव हुआ है और विपक्ष क्या कह रहा है. जानिए.
क्या है प्रधानमंत्री पोषण योजना?
केंद्रीय कैबिनेट ने प्रधानमंत्री पोषण योजना को मंजूरी दी है, इसके तहत देश के करीब 11.5 लाख सरकारी और सह-सरकारी स्कूलों में चलने वाली मिड-डे मिल योजना का रूप बदला गया है. सरकार का कहना है कि इस योजना के अंतर्गत करीब 11.80 करोड़ बच्चों को सीधा लाभ मिलेगा.
खास बात ये है कि इस बार इस योजना में तिथि भोजन को भी शामिल किया गया है, जिसके तहत सामुदायिक तौर पर भी लोगों को बच्चों के लिए खाने की व्यवस्था करने दी जाएगी.
#Cabinet approves Continuation/ Revisions/ Modifications of centrally sponsored national scheme for #PMPOSHAN in schools for five more years with a total financial outlay of ₹1.3 lakh crore#CabinetDecisions
— PIB India (@PIB_India) September 29, 2021
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केंद्र की ये योजना साल 2021-22 से 2025-26 तक लागू रहेगी, जिसके तहत आठवीं क्लास तक के बच्चों को दोपहर का भोजन दिया जाएगा. पूरी योजना का आर्थिक भारत केंद्र और राज्य की सरकारों पर पड़ेगा, हालांकि केंद्र सरकार राशन का खर्च खुद ही वहन करेगी. योजना के तहत वक्त-वक्त पर ऑडिट, खाने की जांच, अलग-अलग कार्यक्रमों को शामिल किया जाएगा.
विपक्ष ने किस मुद्दे पर सरकार को घेरा?
सरकार की इस योजना का विपक्ष ने विरोध किया है, विपक्ष का आरोप है कि सिर्फ पुरानी स्कीम का नाम बदला गया है और उसे पूरी तरह के निजी हाथों में सौंपने की कोशिश की गई है. तृणमूल कांग्रेस की सांसद महुआ मोइत्रा का कहना है कि सरकार को मिड डे मील का नाम बदलने की जगह सीधा कहना चाहिए कि अडानी सभी इंफ्रास्ट्रक्चर को टेकओवर कर रहे हैं.
वहीं, दिल्ली के उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने भी इस मसले पर ट्वीट किया. मनीष सिसोदिया ने लिखा कि मिड डे मील स्कीम का नाम बदल कर पीएम पोषण कर दिया गया है. नाम बदलने से यह कैसे सुनिश्चित होगा कि उत्तर प्रदेश में पीएम पोषण के नाम पर भी बच्चों को केवल नमक-तेल रोटी नहीं परोसी जाएगी? और अगर किसी ज़मीनी पत्रकार ने मामला उठाया तो उसे छह महीने जेल में नहीं काटने पड़ेंगे?
Instead of renaming old 1995 Midday Meal (MDM) scheme maybe government should rename Adani takeover of all Indian infra as PM Poshan Scheme instead!
— Mahua Moitra (@MahuaMoitra) September 30, 2021
बीजेपी के नेताओं ने स्कीम को सराहा
विपक्ष से इतर केंद्र सरकार के मंत्रियों, बीजेपी के नेताओं ने इस नई स्कीम के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का शुक्रिया किया है. केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने ट्वीट किया कि बच्चों के पोषण व गुणवत्तापूर्ण शिक्षा के प्रति मोदी सरकार हमेशा से संवेदनशील रही है. देशभर के 11.2 लाख से ज्यादा सरकारी स्कूलों के 11.80 करोड़ बच्चों को मुफ्त पौष्टिक भोजन देने हेतु ₹1.31 लाख करोड़ की #PMPOSHAN योजना को मंजूरी देने पर पीएम मोदी का आभार व्यक्त करता हूं.