कर्नाटक की ग़लती
राजस्थान में नहीं दोहराएगी BJP?
कांग्रेस नेता राहुल गांधी 10 दिनों की अमेरिका यात्रा पर हैं. सैन फ़्रांसिस्को में भारतीय मूल के लोगों को संबोधित करते हुए उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, बीजेपी और आरएसएस पर निशाना साधा और कुछ ऐसा बोल गए, जिस पर आज दिन भर चर्चा होती रही.
इधर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आज राजस्थान के अजमेर में एक रैली की. मोदी सरकार के 9 साल पूरा होने पर बीजेपी देशभर में महाजनसंपर्क अभियान चलाएगी और इसकी शुरुआत आज प्रधानमंत्री की अजमेर सभा से हुई. बीजेपी का यह अभियान 30 जून तक चलेगा और इस दौरान बीजेपी अपनी नौ साल की उपलब्धियों को जनता के बीच लेकर जाएगी. प्रधानमंत्री की इस रैली को इस साल होने वाले राजस्थान विधानसभा चुनाव और अगले साल के लोकसभा चुनाव की तैयारी के रूप में देखा जा रहा है. सुनिए 'दिन भर' में
पहलवानों का आंदोलन टिकैत के हवाले?
उधर कुश्ती संघ के प्रमुख ब्रजभूषण शरण सिंह पर लगे आरोपों के केस में एक नया मोड़ आया. कुछ मीडिया रिपोर्ट्स में दावा किया गया कि कुश्ती खिलाड़ियों ने ब्रजभूषण पर जो यौन शोषण के आरोप लगाए हैं, उसकी जांच में दिल्ली पुलिस को कोई ठोस सबूत नहीं मिला है.
जब ये ख़बर चल गई तो दिल्ली पुलिस के ट्विटर हैंडल से ट्वीट करके इसका खंडन किया गया, कहा गया कि मीडिया रिपोर्ट्स ठीक नहीं हैं, तथ्य से परे हैं. लेकिन असल ट्विस्ट तब आया जब थोड़ी ही देर बाद दिल्ली पुलिस के ऑफिशियल ट्विटर हैंडल के ये ट्वीट डिलीट कर लिए गए. यानी पुलिस क्या कहना चाह रही है, अभी साफ नहीं है. ख़बर है कि पुलिस ने अभी अपनी जांच रिपोर्ट सबमिट नहीं की है.
उधर कुश्ती संघ के अध्यक्ष बृज भूषण ने अयोध्या में एक जनसभा को संबोधित करते हुए कहा कि पहलवान चाहते हैं उन्हें फांसी की सज़ा हो जाए लेकिन गंगा में मेडल बहाने से उन्हें फांसी नहीं मिलेगी.
पहलवान ये कह चुके हैं कि पांच दिन के अल्टीमेटम के बाद अगर उनकी मांगें नहीं मांगी गईं तो साक्षी, बजरंग, विनेश और बाकी पहलवान अपने मेडल गंगा नहीं में प्रवाहित कर देंगे. किसान नेता राकेश टिकैत ने कहा कि पहलवानों के समर्थन के लिए खाप पंचायत बैठेगी और आगे की रणनीति तय करेगी.
वापस उस रिपोर्ट पर आते हैं, जिससे इस बात की शरुआत हुई थी, उसके भीतर क्या है और किस आधार पर ये कहा जा रहा है कि पहलवानों से कुश्ती संघ के अध्यक्ष पर लगाए गए आरोपों के ख़िलाफ़ कोई सबूत नहीं मिले हैं, सुनिए 'दिन भर' में
इकोनॉमी की सेहत कैसी है?
किसी देश की इकोनॉमी किस रफ़्तार से आगे बढ़ रही है, इसका पता चलता है जीडीपी के आंकड़ों से. सरकार ये आंकड़े साल में चार बार जारी करती है. यानी हर तिमाही का डेटा आता है. पिछले फाइनेंशियल ईयर के चौथे क्वॉर्टर का जीडीपी डेटा अभी कुछ देर पहले जारी कर दिया गया है. जनवरी से लेकर मार्च 2023 वाली जो तिमाही थी, उसमें भारत की जीडीपी 6.1 फीसदी के दर से बढ़ी, जबकि उससे पिछली तिमाही में यह 4.4 प्रतिशत थी. ये भी बताया गया है कि फाइनेंशियल इयर 2022-23 के दौरान रियल जीडीपी का ग्रोथ रेट 7.2 पर्सेंट रहा जबकि उससे पहले वाले साल में ये 9.1 पर्सेंट था. मतलब लगभग 2 पर्सेंट की इसमें गिरावट हुई है. तो जो ताज़ा जीडीपी आंकड़े सामने आए हैं, उससे देश के फाइनेंशियल हेल्थ के बारे में क्या पता चलता है, सुनिए 'दिन भर' में
SCO समिट का प्रोग्राम
इंडिया ने क्यों बदला?
इस साल भारत पर मेहमान नवाज़ी की बहुत सी जिम्मेदारियां है. क्योंकि जी20 के अलावा इस बार की एससीओ यानी शंघाई कोऑपरेशन ऑर्गनाइजेशन की प्रेसिडेंसी भी भारत के पास ही है. SCO या शंघाई कोऑपरेशन आर्गेनाईजेशन यूरोप और एशिया के आठ देशों का ग्रुप है, जिसमें भारत, चीन, रूस और पाकिस्तान जैसे देश शामिल हैं, 2001 में ये संगठन बनाया गया था और इंडिया इसमें 2017 में शामिल हुआ था. इस ग्रुप का मक़सद सभी मेंबर कन्ट्रीज की साझी चुनौतियों से निपटना है.
भारत के लिए ये संगठन इस लिहाज से भी अहम है कि ये समिट हमारे पड़ोसी देशों से एक एनुअल डिस्कशन का भी जरिया है. पिछले साल SCO समिट उज़्बेकिस्तान के समरकंद में हुई थी. वहीं से भारत के हाथ में इसकी अध्यक्षता आई. अभी जो समिट 4 जुलाई से होनी है, पहले इसमें सभी देशों के राष्ट्राध्यक्ष भारत आने वाले थे, लेकिन विदेश मंत्रालय ने अचानक ये फैसला लिया गया है कि अब ये समिट वर्चुअल होगी. तो इस फैसले के पीछे क्या कारण हैं और वर्चुअल समिट की नौबत क्यों आ गई, सुनिए 'दिन भर' में