धन शोधन निवारण अधिनियम (पीएमएलए) के तहत पीएमएलए अदालत ने व्यापक सुनवाई के बाद नेशनल हेराल्ड अखबार संचालित करने वाली कंपनी एसोसिएटेड जर्नल लिमिटेड (एजेएल) और यंग इंडिया (वाईआई) से जुड़े एक हाई-प्रोफाइल मनी लॉन्ड्रिंग मामले में ईडी के पक्ष में अहम फैसला दिया है. प्राधिकरण ने 751.9 करोड़ रुपये की संपत्ति के अनंतिम कुर्की आदेश को बरकरार रखा है.
एसोसिएटेड जर्नल लिमिटेड (एजेएल) और यंग इंडिया (यी) से जुड़े इस मामले में ईडी ने पहले कांग्रेस नेता राहुल गांधी और सोनिया गांधी से पूछताछ की थी. यंग इंडिया में राहुल गांधी और सोनिया गांधी के 76 फीसदी शेयर थे.
ईडी ने कुर्क की थी 751 करोड़ की संपत्ति
प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने पिछले साल कार्यवाही शुरू की थी, जिसमें पीएमएलए, 2002 के तहत, 751.9 रुपये की संपत्तियों को अस्थायी रूप से अटैच करने का आदेश जारी किया गया था. जांच में कथित तौर पर एजेएल और वाईआई से जुड़े वित्तीय मामलों में गंभीर अनियमितताओं का पता चला था.
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जांच में यह बात सामने निकलकर आई है कि एसोसिएटेड जर्नल्स लिमिटेड (एजेएल) के पास दिल्ली, मुंबई और लखनऊ सहित भारत के कई शहरों में 661.69 करोड़ की अचल संपत्तियां हैं और इन्हें आपराधिक आय के जरिए हासिल किया गया था. यंग इंडियन (वाईआई) के पास एजेएल में इक्विटी शेयरों के रूप में कुल 90.21 करोड़ रुपये की अपराध आय होने का पता चला.
आरोपों को अदालत ने माना सही
26 जून 2014 को दर्ज की गई एक निजी शिकायत के बाद, दिल्ली में मेट्रोपॉलिटन मजिस्ट्रेट की अदालत द्वारा जारी एक अदालती आदेश के आधार पर ईडी की जांच शुरू की गई थी. अदालत ने आरोपों को सही मानते हुए पाया कि आपराधिक विश्वासघात, धोखाधड़ी, संपत्ति का दुरुपयोग और आपराधिक साजिश सहित विभिन्न अपराध किए. कोर्ट ने यंग इंडिया सहित सात आरोपी लोगों को प्रथम दृष्टया दोषी ठहराया.
जांच के दौरान यह पता चला कि आरोपी व्यक्तियों ने एक विशेष प्रयोजन कंपनी यंग इंडियन के माध्यम से एजेएल की मूल्यवान संपत्तियों को हासिल करने के लिए एक आपराधिक साजिश रची, जिसकी स्थापना मूल रूप से समाचार पत्र प्रकाशन उद्देश्यों के लिएकी गई थी. एजेएल को समाचार पत्र प्रकाशन के लिए रियायती दरों पर भूमि आवंटित की गई थी. कंपनी ने 2008 में अपना प्रकाशन कार्य बंद कर दिया और संपत्तियों का उपयोग वाणिज्यिक उद्यमों के लिए करना शुरू कर दिया.
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इस तरह किया गया पैसे का हेरफेर
आगे की जांच से पता चला कि एजेएल पर अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी (एआईसीसी) का 90. 21 करोड़ रुपये का बड़ा ऋण बकाया था. हालाँकि, AICC ने कथित तौर पर लोन को गैर-वसूली योग्य माना और इस भुगतान को करने के लिए पर्याप्त धन की कमी के बावजूद, इसे 50 लाख रुपये की मामूली राशि के लिए एक नव गठित कंपनी यंग इंडियन को बेच दिया.
इसके बाद, यंग इंडिया ने लो के पुनर्भुगतान या एजेएल में इक्विटी शेयर जारी करने की मांग की. एजेएल ने एक असाधारण आम बैठक में अपनी शेयर पूंजी बढ़ाने और यग इंडिया को 90.21 करोड़ रुपये के नए शेयर जारी करने का फैसला. नतीजतन, 1000 से अधिक शेयरधारकों की शेयरधारिता को घटाकर मात्र 1% कर दिया गया, जिससे प्रभावी रूप से एजीएल, यंग इंडिया की सहायक कंपनी बन गई और यंग इंडिया को अपनी परिसंपत्तियों पर नियंत्रण प्रदान कर दिया गया. ईडी ने अपनी जाच से निष्कर्ष निकाला कि इन कदमों ने न केवल एजेएल के शेयरधारकों को बल्कि कांग्रेस पार्टी के दानदाताओं को भी धोखा दिया.
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