उत्तराखंड के सिंकिंग टाउन जोशीमठ में भू-धंसाव को देखते हुए सरकार ने कई परिवारों को अस्थायी जगहों पर शिफ्ट कर दिया है. हालांकि मुसीबत अभी टली नहीं है और जमीन धंसने की घटनाएं लगातार आ रही हैं. इस बीच हालातों को लेकर पीएम के प्रधान सचिव डॉ पी के मिश्रा आज दोपहर पीएमओ में कैबिनेट सचिव, भारत सरकार के वरिष्ठ अधिकारियों और राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण के सदस्यों के साथ एक उच्च स्तरीय बैठक करेंगे. जोशीमठ के जिला पदाधिकारी और उत्तराखंड के वरिष्ठ अधिकारी भी इस मुद्दे पर वीडियो कांफ्रेंस के माध्यम से मौजूद रहेंगे.
वहीं आज प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जोशीमठ के बारे में मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी से फोन पर बात कर प्रभावित नगरवासियों की सुरक्षा व पुनर्वास हेतु उठाए गए कदमों एवं समस्या के समाधान के लिए तात्कालिक तथा दीर्घकालिक कार्य योजना की प्रगति के विषय में जानकारी ली है.
कर्णप्रयाग तक पहुंचा भू-धंसाव
गौरतलब है कि उत्तराखंड के चमोली में जोशीमठ से शुरू हुआ भू-धंसाव अब कर्णप्रयाग तक पहुंच गया है. एक तरफ जोशीमठ के लोग चिंतित और परेशान हैं, तो वहीं कर्णप्रयाग नगर पालिका के बहुगुणा नगर में मौजूद करीब पचास घरों में दरार आने लगी हैं. भू-धंसाव के कारण इन घरों की दीवारे धीरे-धीरे दकरने लगी हैं. घरों के दरकने के बाद इलाके के पीड़ितों ने प्रदेश सरकार से मदद की गुहार लगाई है.
बचाव कार्यों के लिए चमोली को 11 करोड़ रुपये की राशि
इस बीच, उत्तराखंड सरकार ने सुरक्षा और बचाव कार्यों के लिए चमोली को 11 करोड़ रुपये की अतिरिक्त राशि जारी की है. जोशीमठ बद्रीनाथ, हेमकुंड साहिब जैसे प्रसिद्ध तीर्थ स्थलों का प्रवेश द्वार है और इसे उस स्थान के रूप में जाना जाता है जहां सदियों पहले आदि गुरु शंकराचार्य ने तपस्या की थी.
केंद्र सरकार ने भू-धंसाव की घटना और जोशीमठ पर इसके प्रभाव का "त्वरित अध्ययन" करने के लिए एक पैनल का गठन किया है. जोशीमठ को बद्रीनाथ, हेमकुंड साहिब और अंतर्राष्ट्रीय स्कीइंग गंतव्य औली सहित कुछ प्रसिद्ध तीर्थ स्थलों का प्रवेश द्वार माना जाता है, जो आपदा के कगार पर है. अधिकारी कार्रवाई में जुट गए हैं, निवासियों ने बुधवार से निकासी शुरू कर दी है.