इस्लामिक देश ईरान में लड़कियों की स्कूलिंग को रोकने के लिए खाने में जहर देने के मामले सामने आने के बाद से विरोध प्रदर्शन जारी है. इस मामले को लेकर भारत के बेंगलुरु में भी ईरान की एक महिला ने चर्च स्ट्रीट में विरोध प्रदर्शन किया. प्रदर्शन के दौरान ईरानी महिलाओं को न्याय दिलाने में मदद करने में भारत के समर्थन की अपील की है.
बेंगलुरु में प्रदर्शन कर रही निकू का कहना है कि सैकड़ों ईरानी महिलाओं पर रसायनों के साथ हमला किया गया है. उम्र कोई बंधन नहीं है. यहां तक कि प्राथमिक स्कूल के बच्चों पर भी हमला किया गया है. महिला प्रदर्शनकारी निकू ने कहा, 'हम हिजाब के खिलाफ नहीं हैं. हम जबरन हिजाब के खिलाफ हैं.' वह ईरान में महिलाओं पर रासायनिक हमले के खिलाफ आवाज उठाने वाली भारत की पहली ईरानी महिला प्रदर्शनकारी हैं.
ईरान में स्कूली छात्राएं बीमार
बता दें कि ईरान में लड़कियों के स्कूलों पर संदिग्ध रासायनिक हमलों के बाद सैकड़ों स्कूली छात्राओं को ईरान भर के अस्पतालों में ले जाया गया. ईरान की स्कूली छात्राओं में अस्पष्टीकृत बीमारियां पिछले साल नवंबर से देखी जा रही हैं. ब्लूमबर्ग ने बताया कि अब तक एक दर्जन से ज्यादा शहरों में कम से कम 300 लड़कियों का इलाज अज्ञात मूल के विभिन्न लक्षणों के लिए किया गया है.
छात्राओं की पढ़ाई रोकना चाहता है प्रशासन?
सरकारी मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, कुछ लोग स्कूली छात्राओं को जहर दे रहे थे, जिसका मकसद लड़कियों की पढ़ाई बंद करना था. इसे लेकर ईरान की राजधानी तेहरान और देश के अन्य शहरों में जहर के संदिग्ध हमलों के खिलाफ विरोध प्रदर्शन चल रहा है. सोशल मीडिया पर भी वहां से कई वीडियो सामने आ रहे हैं.
नवंबर 2022 में सामने आया पहला मामला
ईरान के सरकारी मीडिया के अनुसार, जहर देने की पहला मामला 30 नवंबर को कोम शहर से सामने आया था, जब एक हाई स्कूल की 18 छात्राओं को अस्पताल में भर्ती कराया गया था. 14 फरवरी को कोम में एक अन्य घटना में, 13 स्कूलों के 100 से अधिक छात्रों को अस्पतालों में भर्ती कराया गया था, जिसके बाद राज्य से संबद्ध तस्नीम समाचार एजेंसी ने बताया कि सभी को जहर दिया गया. स्थानीय मीडिया, फार्स न्यूज के अनुसार, राजधानी तेहरान में स्कूली छात्राओं को जहर दिए जाने की भी खबरें आई हैं, जहां 35 को अस्पताल में भर्ती कराया गया.
(इनपुट- अनाघा)