महाराष्ट्र के मालेगांव में हुए बम विस्फोट मामले में जांच कर रही है राष्ट्रीय जांच एजेंसी (NIA) विशेष अदालत ने भाजपा सांसद प्रज्ञा सिंह ठाकुर को 28 मार्च को अदालत में पेश होकर बयान दर्ज कराने का निर्देश दिया है. प्रज्ञा ठाकुर के अदालत के समक्ष पेश होने के बाद कोर्ट ने उनके खिलाफ जारी किए जमानती वारंट को रद्द कर दिया है.
एनआईए अदालत ने 11 मार्च को मालेगांव बम विस्फोट मामले में चेतावनी के बाद पेश न होने के बाद बीजेपी नेता के खिलाफ दस हजार रुपये का जमानती वारंट जारी किया था, लेकिन कोर्ट ने उनके पेश होने के बाद इस वारंट को न्यायाधीश ने रद्द कर दिया.
विशेष न्यायाधीश एके लाहोटी ने प्रज्ञा ठाकुर को 20 मार्च को अदालत के समक्ष पेश होने का निर्देश दिया था, लेकिन उन्होंने अपने एक निजी अस्पताल में भर्ती होने की जानकारी दी की. उन्होंने अपने आवेदन में दावा किया कि वह बैठने, चलने और यहां तक कि हस्ताक्षर करने में भी असमर्थ हैं. इसके बाद कोर्ट ने उनके अस्पताल से छुट्टी होने तक वारंट के क्रियान्वयन पर रोक लगा दी. हालांकि, वह ये दावा करने में विफल रहीं कि को एक निजी अस्पताल में भर्ती हैं.
इसके बाद शुक्रवार को प्रज्ञा ठाकुर ने विशेष अदालत में पेश होकर अपने अधिवक्ता के माध्यम से जमानती वारंट रद्द करने के लिए अर्जी दाखिल की, जिस पर अदालत ने मेडिकल सर्टिफिकेट पर वारंट को रद्द कर दिया.
मेडिकल रिपोर्ट में हुआ खुलासा
अदालत ने भाजपा नेता का वारंट रद्द करते हुए कहा कि आरोपी नंबर 1 (ठाकुर) के खराब स्वास्थ्य को ध्यान में रखते हुए और मेडिकल कागजात की जांच से पता चलता है कि वह निर्धारित तारीखों पर उपस्थित नहीं रह सकती हैं. अदालत ने ये भी कहा कि उनके दावों में दम है, क्योंकि वो अपने सहायक सहायता की मदद से अदालत में पेश हुईं.
28 मार्च को दर्ज कराने होंगे बयान: कोर्ट
वहीं, अदालत ने प्रज्ञा ठाकुर को अपने खिलाफ चल रहे मुकदमे में अपना अंतिम बयान दर्ज कराने के लिए 28 मार्च को पेश होने का निर्देश दिया है. मालेगांव विस्फोट मामले में प्रज्ञा ठाकुर और छह अन्य गैरकानूनी गतिविधि रोकथाम अधिनियम (UAPA) और आईपीसी की धारा के तहत मुकदमें दर्ज है. इस मामले में एनआईए अदालत वर्तमान में आपराधिक प्रक्रिया संहिता के तहत आरोपियों के बयान दर्ज कर रही है.
क्या है मामला
बता दें कि 29 सितंबर, 2008 को उत्तरी महाराष्ट्र में मुंबई से लगभग 200 किमी दूर मालेगांव में एक मस्जिद के पास एक मोटरसाइकिल पर रखे विस्फोटक में धमाका होने से छह लोगों की मौत हो गई और 100 से अधिक घायल हो गए थे. शुरुआत में इस मामले में महाराष्ट्र पुलिस की आतंकवाद विरोधी दस्ते (ATS) ने जांच की थी, लेकिन 3 साल बाद 2011 में इस मामले की जांच एनआईए को सौंप दी गई थी.