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अवमानना मामलाः प्रशांत भूषण पर SC ने लगाया एक रुपये का जुर्माना, न भरने पर 3 माह की जेल

न्यायपालिका के खिलाफ ट्वीट करने के लिए दोषी ठहराए गए कार्यकर्ता-वकील प्रशांत भूषण के खिलाफ अवमानना मामले में सुप्रीम कोर्ट ने फैसला सुनाया है. शीर्ष कोर्ट ने प्रशांत भूषण पर एक रुपये का जुर्माना लगाया है. अगर नहीं भरेंगे तो तीन महीने तक जेल हो सकती है, और तीन साल तक प्रैक्टिस पर पाबंदी लगाई जा सकती है.

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प्रशांत भूषण (फाइल फोटो-PTI)
प्रशांत भूषण (फाइल फोटो-PTI)
स्टोरी हाइलाइट्स
  • सुप्रीम कोर्ट ने लगाया 1 रुपये का जुर्माना
  • जुर्माना नहीं भरने पर तीन महीने की जेल
  • सशर्त माफी मांगने से किया था इनकार

न्यायपालिका के खिलाफ ट्वीट करने के लिए दोषी ठहराए गए वरिष्ठ वकील प्रशांत भूषण के खिलाफ अवमानना मामले में सुप्रीम कोर्ट ने फैसला सुनाया है. शीर्ष कोर्ट ने प्रशांत भूषण पर एक रुपये का जुर्माना लगाया है. अगर प्रशांत भूषण जुर्माना नहीं भरेंगे तो उन्हें तीन महीने तक जेल हो सकती है, और तीन साल तक उनकी प्रैक्टिस पर पाबंदी लगाई जा सकती है. एक रुपये का जुर्माना प्रशांत भूषण को 15 सितंबर तक जमा करना है.

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फैसला सुनाने से पहले कोर्ट ने कहा कि अदालत के फैसले जनता के विश्वास और मीडिया की रिपोर्ट से नहीं होते हैं. प्रशांत भूषण ने कोर्ट से पहले अपने बयान मीडिया को दिए, ये गलत था. हम भी चाहते हैं कि वो माफी मांगें, लेकिन उन्होंने इंकार कर दिया है.

इससे पहले 25 अगस्त को जस्टिस अरुण मिश्रा, बी. आर. गवई और कृष्ण मुरारी ने प्रशांत द्वारा अपने ट्वीट्स के लिए माफी मांगने से इनकार करने के बाद उनकी सजा पर आदेश सुरक्षित रख लिया था.

अदालत की एक पीठ ने प्रशांत भूषण के ट्वीट के लिए माफी मांगने से इनकार करने का जिक्र करते हुए कहा था, माफी मांगने में क्या गलत है? क्या यह शब्द इतना बुरा है? सुनवाई के दौरान पीठ ने भूषण को ट्वीट के संबंध में खेद व्यक्त नहीं करने के लिए अपने रुख पर विचार करने के लिए 30 मिनट का समय भी दिया था.

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अटॉर्नी जनरल केके वेणुगोपाल ने पीठ से कहा कि उनका यह सुझाव है कि प्रशांत भूषण को दंडित किए बिना मामले को बंद कर दिया जाए. शीर्ष अदालत ने 14 अगस्त को भूषण को न्यायपालिका के खिलाफ अपमानजनक ट्वीट के लिए आपराधिक अवमानना का दोषी ठहराया था.

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जस्टिस अरुण मिश्रा ने कहा कि कब तक इस प्रणाली को भुगतना होगा. पीठ ने कहा कि न्यायाधीशों की निंदा की जाती है और उनके परिवारों को अपमानित किया जाता है. उन्होंने कहा, वे तो बोल भी नहीं सकते. शीर्ष अदालत ने प्रशांत भूषण के वकील से कहा कि उनसे उन्हें निष्पक्ष होने की उम्मीद है.

प्रशांत भूषण का प्रतिनिधित्व करने वाले वरिष्ठ वकील राजीव धवन ने दलील दी थी कि शीर्ष अदालत फैसले में कह सकती है कि वह भूषण से सहमत नहीं है. धवन ने जोर देकर कहा कि किसी को भी अवमानना कार्यवाही में माफी मांगने के लिए मजबूर नहीं किया जा सकता है और कहा कि भूषण द्वारा की गई हार्ले डेविडसन की टिप्पणी शायद ही आलोचना थी.

राजीव धवन ने दलील दी थी कि शीर्ष अदालत फैसले में कह सकती है कि लोगों को किस तरह के कोड का पालन करना चाहिए, लेकिन विचार भूषण को चुप कराने के लिए नहीं होना चाहिए. शीर्ष अदालत ने दलीलों के दौरान भूषण से पूछा कि वह ट्वीट के लिए माफी मांगने के लिए इतने परेशान क्यों हैं. 

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अटॉर्नी जनरल केके वेणुगोपाल ने जोर देकर कहा कि शीर्ष अदालत को भूषण को माफ कर देना चाहिए और मामले पर दयालु दृष्टिकोण रखना चाहिए. पीठ ने कहा कि एक व्यक्ति को अपनी गलती का अहसास होना चाहिए और कहा कि उसने भूषण को समय दिया, लेकिन उन्होंने माफी मांगने से इनकार कर दिया.

 

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