वरिष्ठ वकील प्रशांत भूषण ने सुप्रीम कोर्ट से सजा सुनाए जाने के बाद कहा है कि सत्य संभाषण का उनका अभियान जारी रहेगा. उन्होंने कहा कि अब इसे कोई 'पंगे लेना' समझता है तो समझे. कहीं भी गलत होता दिखेगा तो जोर-शोर से उसके खिलाफ आवाज उठाऊंगा. जनता ने भी बता दिया है कि वो गलत के खिलाफ आवाज उठाने वालों के साथ हैं.
प्रशांत भूषण ने प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान कहा कि हर भारतीय मजबूत न्यायपालिका चाहता है, न्यायपालिका कमजोर हो तो देश और लोकतंत्र कमजोर होता है. मैं देश की जनता का धन्यवाद करना चाहता हूं कि जिन्होंने मेरे समर्थन में अभियान चलाया. प्रशांत भूषण ने कहा कि मैंने पहले ही कहा था जो भी सजा मिलेगी उसे स्वीकार करूंगा, मुझे जेल जाने से दिक्कत नहीं है.
प्रशांत भूषण ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा कि मैं खुशी-खुशी जुर्माना भरने के लिए तैयार हूं, एक जिम्मेदार नागरिक की तरह जुर्माना भरूंगा. उन्होंने कहा कि वह सुप्रीम कोर्ट ने आदेश का पालन करेंगे. वकील प्रशांत भूषण ने कहा कि मेरे हृदय में सुप्रीम कोर्ट के लिए पूरा सम्मान है.
प्रेस कॉन्फ्रेंस में प्रशांत भूषण ने कहा कि इस मामले के कारण एक बार फिर लोगों का ध्यान फ्रीडम ऑफ स्पीच की ओर गया है, इस मामले में ये ऐतिहासिक साबित हुआ. उन्होंने कहा कि उम्मीद है कि सत्य की जीत होगी.
बता दें, सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को वरिष्ठ वकील प्रशांत भूषण को अवमानना मामले में सजा सुनाते हुए, एक रुपये का जुर्माना लगाया है. एक रुपये जमा नहीं करने की सूरत में तीन महीने की जेल हो सकती है और तीन साल तक प्रैक्टिस करने पर पाबंदी लगाई जा सकती है.
सुप्रीम कोर्ट ने प्रशांत भूषण को सजा सुनाते हुए कई टिप्पणियां भी कीं. कोर्ट ने कहा कि प्रशांत भूषण ने जो किया वो गंभीर अपराध है. न्यायपालिका का हिस्सा होते हुए भी उन्होंने इसकी गरिमा गिराने वाला काम किया है. इस अपराध के लिए भूषण को क्या सजा दी जाए? इस बात पर हमने गहन विचार किया है. उन्हें अपने लिखे पर विचार करने और अफसोस जताने के भी मौके दिए गए. सुनवाई के दौरान प्रत्यक्ष और परोक्ष ढंग से उनको समझाने की कोशिश भी की गई.
कोर्ट ने कहा, 'उनके कृत्य से कोर्ट की अवमानना हुई, लिहाजा हमने उनके सामने क्षमा याचना का विकल्प भी रखा. फैसले में भी साफ तौर पर जिक्र है कि अटॉर्नी जनरल केके वेणुगोपाल ने भी उन्हें न्यायपालिका, सुप्रीम कोर्ट और जजों पर लगाए गए इल्जाम वापस लेने की सलाह दी, लेकिन भूषण ने सभी सलाह और विकल्प मानने से इनकार कर दिया.'
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि प्रशांत भूषण ने अपने दूसरे लिखित जवाब को भी मीडिया और सोशल मीडिया पर जमकर प्रचारित किया, जबकि उन्हें पहले कोर्ट में जवाब भेजना था. यानी हमारे विचार करने से पहले ही प्रचार! उन्होंने मीडिया को जिस तरह से इंटरव्यू दिए उससे कोर्ट की गरिमा को ठेस पहुंची है. ऐसे में अगर हम उनके इस व्यवहार का संज्ञान नहीं लेते तो देश भर के वकीलों और फरियादियों में गलत संदेश जाता. इतना सब कुछ होने के बाद भी प्रशांत भूषण को सख्त सजा देने के बजाए एक रुपया जुर्माना अदा करने का आदेश दे रहे हैं.
सुनवाई के दौरान जिद पर अड़े रहे प्रशांत भूषण
अगर 15 सितंबर तक सुप्रीम कोर्ट रजिस्ट्री में जुर्माने की रकम एक रुपया जमा नहीं कराते हैं तो उन्हें तीन महीने की कैद होगी. इसके साथ ही अगले तीन साल तक वो SC में प्रैक्टिस भी नहीं कर पाएंगे. यानी उनके वकालत करने का लाइसेंस तीन साल के लिए निलंबित कर दिया जाएगा.
प्रशांत भूषण की सजा तय करने वाले फैसले में कोर्ट ने कहा कि आपत्तिजनक ट्वीट लिखने के अपराध से लेकर सुनवाई तक के दौरान भूषण के व्यवहार में अहम और अड़ियल रवैया देखने को मिला है. कोर्ट पहले ही दिन से इस मामले को तूल देने के पक्ष में नहीं था, लेकिन भूषण के गैरजिम्मेदार रुख और लगातार कोर्ट के आदेश, सलाह और निर्देशों की अवमानना करते रहने के बाद उनको ये सजा देकर समझाया गया है.
वहीं प्रशांत भूषण का कोर्ट के फैसले पर कहना है कि वो कानून मानने वाले नागरिक की तरह जुर्माना तो भरेंगे लेकिन संविधान और कानून के जरिए प्रदत्त अपने नागरिक अधिकारों का इस्तेमाल करते हुए इन आदेशों और फैसलों को चुनौती भी देंगे. इनमें कई कानूनी और तकनीकी खामियां हैं. वो सब तो होगा लेकिन सत्य संभाषण का अभियान और देश के प्रत्येक नागरिक से एक-एक रुपए जुटाकर इंसाफ की लड़ाई में जुटे लोगों की मदद के लिए कोष बनाने का अभियान भी स्वराज अभियान के जरिए जारी रहेगा.