राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने गुरुवार को संसद के दोनों सदनों के संयुक्त् सत्र को संबोधित किया. राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू के संबोधन में मोदी सरकार के 10 साल की उपलब्धियां थीं तो साथ ही पेपर लीक की घटनाओं और ईवीएम पर सवाल उठाने को लेकर विपक्ष के लिए नसीहत भी. राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने इमरजेंसी को संविधान पर सबसे बड़ा हमला बताया.
राष्ट्रपति ने अपने अभिभाषण में कहा कि आने वाले कुछ महीने में भारत एक गणतंत्र के रूप में 75 साल पूरे करने जा रहा है. भारत का संविधान बीते समय में हर चुनौती पर, हर कसौटी पर खरा उतरा है. राष्ट्रपति ने कहा कि जब संविधान बन रहा था, तब भी दुनिया में ऐसी ताकतें थीं जो भारत के असफल होने की कामना कर रही थीं. देश में संविधान लागू होने के बाद भी संविधान पर अनेक बार हमले हुए. उन्होंने कहा कि आज 27 जून है. 25 जून 1975 को लागू हुआ आपातकाल संविधान पर सीधे हमले का सबसे बड़ा और काल अध्याय था.
राष्ट्रपति ने कहा कि तब पूरे देश में हाहाकार मच गया था. लेकिन ऐसी असंवैधानिक ताकतों पर देश ने विजय प्राप्त करके दिखाया क्योंकि भारत के मूल में गणतंत्र की परंपराएं रही हैं. उन्होंने आगे कहा कि मेरी सरकार भी संविधान को महज राजकाज का माध्यम नहीं मानती. संविधान जनचेतना का हिस्सा हो, हम इसके लिए प्रयास कर रहे हैं. इसी ध्येय के साथ मेरी सरकार ने 26 नवंबर को संविधान दिवस के रूप में मानना शुरू किया है.
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राष्ट्रपति ने कहा कि भारत के उस भू-भाग जम्मू कश्मीर में भी संविधान पूरी तरह से लागू हो गया है जहां आर्टिकल 370 की वजह से परिस्थितियां कुछ और थीं. राष्ट्रपति ने इससे पहले अपने अभिभाषण में पेपर लीक को लेकर भी बात की. राष्ट्रपति ने कहा कि मेरी सरकार का निरंतर प्रयास है कि युवाओं को प्रतिभा दिखाने का उचित अवसर मिले.
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उन्होंने कहा कि परीक्षाओं में शुचिता और पारदर्शिता बहुत जरूरी है. हाल ही में कुछ परीक्षाओं में पेपर लीक की घटनाओं के दोषियों को कड़ी सजा दिलाने के लिए सरकार प्रतिबद्ध है. राष्ट्रपति ने कहा कि कई राज्यों में भी पेपर लीक की घटनाएं हुई हैं. उन्होंने आगे कहा कि इस पर दलगत राजनीति से ऊपर उठकर काम करने की जरूरत है.