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देशभर में कल महाशिवरात्रि का त्योहार मनाया गया.इस मौके पर दक्षिण भारत के कोयंबटूर स्थित ईशा योग केंद्र में 'ईशा महाशिवरात्रि 2023' कार्यक्रम आयोजित हुआ जिसमें राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने भी शिरकत की.इस दौरान राष्ट्रपति ने कहा कि भगवान शिव की विनाशकारी ड्राइव भी रचनात्मक है, जो ब्रह्मांड के उत्थान और कायाकल्प की ओर ले जाती है.
राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने कहा कि महाशिवरात्रि के पावन पर्व पर यहां आदियोगी के समक्ष आकर खुद को धन्य महसूस कर रहा हूं. राष्ट्रपति ने ध्यानलिंग में आयोजित पंच भूत क्रिया (पांच तत्वों की शुद्धि) में भी भाग लिया और महायज्ञ का भी दीप प्रज्वलित किया. उन्होंने भगवान शिव को सभी का देवता और महाशिवरात्रि की रात को अज्ञानता के अंधकार के अंत का चिह्न बताते हुए कहा कि जीवन के उच्च आदर्शों की खोज करने वालों के लिए आज का दिन महत्वपूर्ण अवसर है.
राष्ट्रपति ने कहा कि प्रकृति और उसके सभी अंशों के साथ सद्भाव में एक संतुलित और करुणामय जीवन की आवश्यकता इससे पहले कभी इतनी महसूस नहीं हुई थी जितनी आज महसूस होती है. उन्होंने सद्गुरु को आधुनिक समय का प्रसिद्ध ऋषि बताते हुए कहा कि अनगिनत लोग, विशेष रूप से भारत और विदेशों के युवाओं ने आध्यात्मिक प्रगति की प्रेरणा
ईशा फाउंडेशन के संस्थापक सद्गुरु की मौजूदगी में 18 फरवरी को शुरू हुआ अध्यात्म, ध्यान, कला और संस्कृति का ये अनूठा संगम 19 फरवरी की सुबह 6 बजे तक चला. 'ईशा महाशिवरात्रि 2023' का 16 भाषाओं में ऑनलाइन लाइव प्रसारण किया गया.
ईशा महाशिवरात्रि ध्यानलिंग में पंच भूत आराधना और लिंग भैरवी महायात्रा की झलकियां पेश की गईं. फिर सद्गुरु के प्रवचन के बाद मध्यरात्रि ध्यान, आदियोगी दिव्य दर्शनम, एक 3डी प्रोजेक्शन वीडियो इमेजिंग शो भी दिखाए गए.
सद्गुरु ने 'ॐ नमः शिवाय' के महत्व को भी समझाया. उन्होंने कहा कि यह ध्वनियों की एक शानदार जियोमेट्री है. यदि कोई इसका उपयोग करना सीखता है तो यह आपको उन सभी चीजों से अलग कर देगा जो आपको जीवन में बांधे रखती हैं. यह आंतरिक विकास की ओर सीधा रास्ता है जो एक आनंदित अस्तित्व की ओर ले जाता है जिससे आपके अनुभव में जीवन की प्रक्रिया कभी भी बोझिल न हो.उनसे पाई है.
इस अवसर पर राजस्थानी लोक गायक मामे खान, पुरस्कार विजेता सितार वादक नीलाद्रि कुमार, टॉलीवुड गायक राम मिरियाला और तमिल पार्श्व गायक वेलमुरुगन जैसे देश के विभन्न हिस्सों से आए प्रसिद्ध कलाकारों ने अपनी प्रस्तुतियां दीं.
इस कार्यक्रम के दौरान सदगुरु ने नृत्य भी किया. कार्यक्रम के दौरान पूरी रात बड़ी तादाद में श्रद्धालु भी शिव भक्ति के साथ आध्यात्मिक और सांस्कृतिक रंग में सराबोर नजर आए.
सद्गुरु ने समझाया 'ॐ नमः शिवाय' का महत्व
सद्गुरु ने महायोग यज्ञ को मानवता की भलाई के उपकरण और तकनीक की पेशकश के लिए ईशा की प्रतिबद्धता का प्रतीक बताया. उन्होंने इंसान की ओर से खुद में शारीरिक और मानसिक स्थिरता लाने के महत्व को भी रेखांकित किया और कहा कि अगले 24 महीनों में हम पृथ्वी के कम से कम 2 अरब लोगों के लिए योग का एक सरल तरीका लाने के लिए प्रतिबद्ध हैं. मानवता की भलाई के लिए ऐसा होना चाहिए.
क्यों इतने सारे विविध रूप धारण किए थे भगवान शिव ने?
सद्गुरु ने कहा कि किसी एक व्यक्ति में इस सृष्टि की सारी वविशेषताओं का जटिल मिश्रण मिलता है तो वह शिव हैं. अगर आपने शिव को स्वीकार कर लिया तो आप जीवन से परे जा सकते हैं. सद्गुरु ने बताया कि शिव पुराण में भगवान शिव के भयावह और सुंदर, दोनों तरह के रूपों का चित्रण किया गया है.
आमतौर पर पूरी दुनिया में लोग जिसे भी दैवीय या दिव्य मानते हैं, उसका वर्णन हमेशा अच्छे रूप में ही करते हैं. लेकिन अगर आप शिव पुराण को पूरा पढ़ें तो आपको उसमें कहीं भी शिव का उल्लेख अच्छे या बुरे के तौर पर नहीं मिलेगा. उनका जिक्र सुंदरमूर्ति के तौर पर हुआ है, जिसका मतलब ‘सबसे सुंदर’ है. लेकिन इसी के साथ शिव से ज्यादा भयावह भी कोई और नहीं हो सकता. एक अघोरी जब इस अस्तित्व को अपनाता है तो वह उसे प्रेम के चलते नहीं अपनाता, वह इतना सतही या कहें उथला नहीं है, बल्कि वह जीवन को अपनाता है. वह अपने भोजन और मल को एक ही तरह से देखता है.
शिव ने हर वो काम किया जिसके बारे में कोई सोच नहीं सकता
सद्गुरु ने ये भी कहा कि जो सबसे खराब चित्रण संभव हो, वह भी उनके लिए मिलता है. शिव के बारे में यहां तक कहा जाता है कि वह अपने शरीर पर मानव मल मलकर घूमते हैं. उन्होंने किसी भी सीमा तक जाकर हर वो काम किया, जिसके बारे में कोई इंसान कभी सोच भी नहीं सकता था.
इंसान के जीवन का सबसे बड़ा संघर्ष यह चुनने की कोशिश है कि क्या सुंदर है और क्या भद्दा, क्या अच्छा है और क्या बुरा? लेकिन अगर आप हर चीज के इस भयंकर संगम वाली शख्सियत को केवल स्वीकार कर लेते हैं तो फिर आपको कोई समस्या नहीं रहेगी.
योगी, नशेड़ी और अघोरी शिव
सद्गुरु ने कहा कि वह सबसे सुंदर हैं तो सबसे भद्दे और बदसूरत भी. अगर वो सबसे बड़े योगी और तपस्वी हैं तो सबसे बड़े गृहस्थ भी. वह सबसे अनुशासित भी हैं, सबसे बड़े पियक्कड़ और नशेड़ी भी. वे महान नर्तक हैं तो पूर्णत: स्थिर भी. इस दुनिया में देवता, दानव, राक्षस सहित हर तरह के प्राणी उनकी उपासना करते हैं.
उन्होंने कहा कि शिव के बारे में तमाम हजम न होने वाली कहानियों और तथ्यों को तथाकथित मानव सभ्यता ने अपनी सुविधा से हटा दिया, लेकिन इन्हीं में शिव का सार निहित है. उनके लिए कुछ भी घिनौना और अरुचिकर नहीं है. शिव ने मृत शरीर पर बैठ कर अघोरियों की तरह साधना की है. घोर का मतलब है - भयंकर. अघोरी का मतलब है कि ‘जो भयंकरता से परे हो’. शिव एक अघोरी हैं, वह भयंकरता से परे हैं. भयंकरता उन्हें छू भी नहीं सकती.
अघोरी शिव - प्रेम और करुणा से भी परे
सद्गुरु ने कहा कि एक अघोरी कभी भी प्रेम की अवस्था में नहीं रहता है. दुनिया के इस हिस्से की आध्यात्मिक प्रक्रिया ने कभी भी आपको प्रेम करना, दयालु या करुणामय होना नहीं सिखाया. यहां इन भावों को आध्यात्मिक नहीं, बल्कि सामाजिक माना जाता है. दयालु होना और अपने आसपास के लोगों को देखकर मुस्कुराना, पारिवारिक व सामाजिक शिष्टाचार है. एक इंसान में इतनी समझ तो होनी ही चाहिए, इसलिए यहां किसी ने सोचा ही नहीं कि ये चीजें भी सिखानी जरूरी हैं.
उसके लिए जिंदा और मरे हुए शरीर में कोई अंतर नहीं है. वह एक सजी-संवरी देह और व्यक्ति को उसी भाव से देखता है, जैसे एक सड़े हुए शरीर को. इसकी सीधी सी वजह है कि वह पूरी तरह से जीवन बन जाना चाहता है. वह अपनी दिमागी या मानसिक सोचों के जाल में नहीं फंसना चाहता.
कलाकारों के साथ जुगलबंदी
ईशा के निजी म्यूजिक बैंड साउंड्स ऑफ ईशा ने कलाकारों के साथ जुगलबंदी का दौर पूरी रात जारी रखा. इनमें राम मिरजला, वेलमुरुगन, कुतले खान, मंगली, अनन्या चक्रवर्ती, मीनल जैन, निहार शेम्बेकर और कन्नड़ लोक गायकों ने भी सांस्कृति कार्यक्रम प्रस्तुत किए. मामे खान, नीलाद्रि कुमार, जॉर्जियाई नर्तकियों की एक मंडली और केरल के तेय्यम अग्नि नर्तकों ने भी अपनी कला से लोगों का भावविभोर कर दिया.
बताया जाता है कि राजस्थानी लोक गायक मामे खान, सितार वादक नीलाद्रि कुमार, टॉलीवुड गायक राम मिरियाला, तमिल पार्श्व गायक वेलमुरुगन, मंगली, कुतले खान और बंगाली लोक गायिका अनन्या चक्रवर्ती अपने कार्यक्रम की प्रस्तुति देंगे. कर्नाटक जनपद और तेय्यम मंडली भी अपने नृत्य और संगीत के माध्यम से अपनी लोक संस्कृति का प्रदर्शन करेंगी. इस दौरान ईशा फाउंडेशन के स्वदेशी ब्रांड- साउंड्स ऑफ ईशा की ओर से बहुप्रतीक्षित प्रस्तुति और ईशा संस्कृति की ओर से नृत्य प्रस्तुतियां भी रात की रहस्यमय आभा को और बढ़ाएगी.