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राष्ट्रपति से मंजूरी के साथ कानून बना महिला आरक्षण बिल, अब 3 पड़ावों के बाद होगा लागू

महिला आरक्षण बिल को राष्ट्रपति की मंजूरी जरूर मिल गई है, लेकिन अभी भी महिलाओं को उनका हक मिलने में कई पेच हैं. दरअसल इस बिल के कानून बनने और कानून बनकर इसके जरिए असली हकदारों को उनका हक मिलने के बीच कई पड़ाव हैं. सबसे पहले तो जरूरी था कि अधिनियम बने.

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राज्यसभा में विधेयक पारित होने के बाद महिला सांसदों ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का आभार जताया था
राज्यसभा में विधेयक पारित होने के बाद महिला सांसदों ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का आभार जताया था

महिला आरक्षण बिल यानी नारी शक्ति वंदन अधिनियम को राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू से मंजूरी मिल गई है. यानी अब यह अधिनियम कानून बन गया है. विधेयक को 20 सितंबर को लोकसभा और 21 सितंबर को राज्यसभा से पारित किया गया था. इसके बाद इसे राष्ट्रपति की मंजूरी के लिए भेजा जाता है, ताकि वह कानून बन सके. इस तरह शुक्रवार 29 सितंबर की तारीख इस बिल के लिए कानून बनने की तारीख साबित हुई है. इस कानून के लागू होने पर लोकसभा और राज्य विधानसभाओं में महिलाओं को 33 प्रतिशत आरक्षण मिलेगा. बिल के संसद से पास होने पर राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने कहा था कि यह लैंगिक न्याय के लिए हमारे समय की सबसे परिवर्तनकारी क्रांति होगी.

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कानून तो बना, लेकिन लागू होने के लिए ये पड़ाव अहम
महिला आरक्षण बिल को राष्ट्रपति की मंजूरी जरूर मिल गई है, लेकिन अभी भी महिलाओं को उनका हक मिलने में कई पेच हैं. दरअसल इस बिल के कानून बनने और कानून बनकर इसके जरिए असली हकदारों को उनका हक मिलने के बीच कई पड़ाव हैं. सबसे पहले तो जरूरी था कि अधिनियम बने.

वह राज्यसभा से पास हो, फिर उसे लोकसभा से भी पास किया जाए. इसके बाद राष्ट्रपति की मंजूरी मिले. इस तरह अपने तीन पड़ाव पार कर यह अधिनियम कानून तो बन गया, लेकिन अभी इसकी राह में तीन और मील के पत्थर तय करने बाकी हैं. 

कानून को पूरी तरह से लागू होने के लिए जरूरी है कि इसे राज्यों से मंजूरी मिले, इसके बाद अगला पड़ाव जनगणना है कि जो कि बेहद जरूरी है और सबसे आखिरी पड़ाव है परिसीमन. इन राहों से गुजरकर ही यह कानून हकदारों को उनका हक दिला पाएगा.  आइए तफसील से जानते हैं, हर पड़ाव की अहमियत-

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लोकसभा और राज्यसभा से पारित
केंद्र सरकार ने महिला आरक्षण को 'नारी शक्ति वंदन अधिनियम' के नाम से लोकसभा में पेश किया था. लोकसभा में इस बिल के पक्ष में 454 वोट पड़े थे. दो सांसदों ने इसका विरोध किया था. लेकिन राज्यसभा में इस बिल का किसी ने विरोध नहीं किया. वोटिंग के दौरान राज्यसभा में 214 सांसद मौजूद थे और सभी ने बिल के पक्ष में वोट दिया. इस तरह दोनों सदनों में बिल सर्वसम्मति से पास हुआ.

राष्ट्रपति की मंजूरीः शुक्रवार 29 सितंबर को बिल को राष्ट्रपति ने भी मंजूरी दे दी है. राष्ट्रपति की ओर से मंजूरी का मुहर लगते ही बिल कानून बन गया. लोकसभा और राज्यसभा से बिल के पास होने के बाद इसे राष्ट्रपति के पास भेजा गया था. 

राज्यों से मंजूरीः कानून बनने के बाद अब अगला और अहम पड़ाव है कि इसे राज्यों से भी मंजूरी मिले. अनुच्छेद-368 के तहत, अगर केंद्र के किसी कानून से राज्यों के अधिकार पर कोई प्रभाव पड़ता है तो कानून बनने के लिए कम से कम 50% विधानसभाओं की मंजूरी लेनी होगी. यानी, कानून देशभर में तभी लागू होगा, जब कम से कम 14 राज्यों की विधानसभाएं इसे पास कर देंगी. 

जनगणनाः ये बिल कानून बन भी जाता है तो भी ये जनगणना के बाद ही लागू होगा. वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने गुरुवार को राज्यसभा में कहा कि कोविड के कारण 2021 की जनगणना नहीं हो सकी है. 2024 के लोकसभा चुनाव के बाद जनगणना का काम शुरू होगा. 

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परिसीमनः आखिरी और सबसे अहम पड़ाव. जनगणना के बाद लोकसभा और विधानसभा सीटों का परिसीमन होगा. संविधान के तहत, 2026 तक परिसीमन पर रोक है. लेकिन उसके बाद परिसीमन किया जा सकता है.

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