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राष्ट्रपति ने संविधान दिवस पर संसद के संयुक्त सत्र को किया संबोधित, कहा- हमारा संविधान जीवंत और प्रगतिशील दस्तावेज

राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने संविधान सभा की ओर से संविधान को अंगीकार किए जाने के 75 साल पूरे होने पर संसद भवन के ऐतिहासिक केंद्रीय कक्ष में आयोजित दोनों सदनों के संयुक्त सत्र को संबोधित किया.

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राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने जारी किए स्मारक सिक्के
राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने जारी किए स्मारक सिक्के

संविधान दिवस के मौके पर संसद के दोनों सदनों के संयुक्त सत्र को संबोधित करते हुए राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने कहा है कि संविधान हमारा सबसे पवित्र ग्रंथ है. संविधान हमारे लोकतांत्रिक मूल्यों की आधारशिला है. उन्होंने संविधान निर्माताओं को याद करते हुए कहा कि यह संविधान सभा की 15 महिला सदस्यों के योगदान को याद करने का अवसर है, नेपथ्य में रहकर काम करने वाले अधिकारियों के योगदान को याद करने का दिन है. राष्ट्रपति ने संविधान सभा के सलाहकार डीएन राव समेत कई अधिकारियों के नाम का उल्लेख भी अपने संबोधन में किया.

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राष्ट्रपति ने कहा कि हमारा संविधान जीवंत और प्रगतिशील दस्तावेज है. भारत लोकतंत्र की जननी है और हम इसी भावना के साथ इस खास मौके पर एकत्रित हुए हैं. हमने हाल ही में आजादी का अमृत महोत्सव मनाया और अब आगामी 26 जनवरी को गणतंत्र की 75वीं वर्षगांठ मनाएंगे. ऐसे समारोह हमारी राष्ट्रीय एकता को दर्शाते हैं और भविष्य के लिए योजनाएं बनाने का अवसर प्रदान करते हैं.

उन्होंने सरकार की कल्याणकारी योजनाओं का उल्लेख करते हुए कहा कि कार्यपालिका, विधायिका और न्यायपालिका का दायित्व है कि संविधान की भावना के अनुसार लोगों की भलाई के लिए मिलकर काम करें. राष्ट्रपति ने विचाराधीन कैदियों के कल्याण के लिए न्यायपालिका के प्रयासों का जिक्र करते हुए कहा कि इससे संवैधानिक अधिकारों को शक्ति मिलेगी. उन्होंने सामाजिक समरसता, महिला कल्याण और पर्यावरण के क्षेत्र में हो रहे काम का जिक्र करते हुए विधायिका में महिलाओं का प्रतिनिधित्व बढ़ाने के लिए नारी शक्ति वंदन अधिनियम को बड़ा कदम बताया.

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राष्ट्रपति ने कहा कि संविधान निर्माताओं ने अंतरराष्ट्रीय शांति का संदेश दिया है. देश आज आर्थिक मजबूती के साथ विश्वबंधुत्व के विचारों को बढ़ावा दे रहा है. उन्होंने प्रथम राष्ट्रपति डॉक्टर राजेंद्र प्रसाद को याद करते हुए कहा कि आज ही के दिन हमारे पूर्ववर्ती ने कहा था कि संविधान को जीवंत बनाए रखना उन लोगों पर निर्भर करता है जो इसका संचालन करते हैं. जो संविधान में नहीं लिखा जाता, उनका संचालन परंपराओं से होता है. आने वाली पीढ़ियों को संविधान यात्रा की सफलताओं से अवगत कराया जाना चाहिए.

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राष्ट्रपति ने संस्कृत और मैथिली में किया संविधान का विमोचन

राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने संस्कृत और मैथिली भाषा में संविधान का विमोचन किया. संसद के ऐतिहासिक केंद्रीय कक्ष में संविधान पर आधारित दो पुस्तकों के साथ ही एक पुस्तिका का भी विमोचन किया गया. कार्यक्रम में संविधान के 75 साल पूरे होने पर स्मारक सिक्कों के साथ ही विशेष डाक टिकट भी जारी किए गए. इस दौरान संविधान निर्माण से लेकर इसकी अब तक की यात्रा पर आधारित शॉर्ट फिल्म भी दिखाई गई. राष्ट्रपति और कार्यक्रम में मौजूद सभी सदस्यों ने संविधान की प्रस्तावना का पाठ भी किया.

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लोकसभा स्पीकर ने किया राष्ट्रपति का स्वागत

इससे पहले कार्यक्रम में शामिल होने के लिए राष्ट्रपति संसद भवन पहुंचीं. राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू का लोकसभा स्पीकर ओम बिरला ने स्वागत किया. कार्यक्रम की शुरुआत लोकसभा स्पीकर ओम बिरला के स्वागत संबोधन से हुई. उपराष्ट्रपति और राज्यसभा के सभापति जगदीप धनखड़ ने भी कार्यक्रम को संबोधित किया. कार्यक्रम के दौरान मंच पर राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू के साथ प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, राज्यसभा में नेता सदन जेपी नड्डा, संसदीय कार्य मंत्री किरेन रिजिजू, राज्यसभा में विपक्ष के नेता मल्लिकार्जुन खड़गे, लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी और राज्यसभा के उपसभापति हरिवंश भी मौजूद रहे.

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