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अंग्रेजों के दौर के तीन कानून खत्म, राष्ट्रपति मुर्मू ने नए क्रिमिनल लॉ को दी मंजूरी

राष्ट्रपति की मंजूरी मिलते ही अब ये तीनों बिल कानून बन गए हैं. इसके बाद 1860 में बनी आईपीसी को भारतीय न्याय संहिता, 1898 में बनी सीआरपीसी को भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता और 1872 के इंडियन एविडेंस एक्ट को भारतीय साक्ष्य संहिता के नाम से जाना जाएगा.

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सांकेतिक तस्वीर
सांकेतिक तस्वीर

अंग्रेजों के दौर में बने तीन कानून अब खत्म हो गए हैं. राष्ट्रपति द्रोपदी मुर्मू ने तीनों नए क्रिमिनल लॉ बिल को मंजूरी दे दी है. राष्ट्रपति की मंजूरी के साथ ही इन तीनों बिल भारतीय न्याय संहिता, भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता और भारतीय साक्ष्य बिल ने कानून का रूप ले लिया है.

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इससे पहले इन तीनों बिलों को संसद के दोनों सदनों में पारित कर दिया गया था. केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने इन बिलों को ऐतिहासिक बताते हुए कहा था कि इन कानूनों से नागरिकों के अधिकारों को सर्वोपरि रखा जाएगा और महिलाओं एवं बच्चों की सुरक्षा को प्राथमिकता दी जाएगी. 

राष्ट्रपति की मंजूरी मिलते ही अब ये तीनों बिल कानून बन गए हैं. इसके बाद 1860 में बनी आईपीसी को भारतीय न्याय संहिता, 1898 में बनी सीआरपीसी को भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता और 1872 के इंडियन एविडेंस एक्ट को भारतीय साक्ष्य संहिता के नाम से जाना जाएगा.

किसमें क्या बदला?

- आईपीसीः कौनसा कृत्य अपराध है और इसके लिए क्या सजा होगी? ये आईपीसी से तय होता है. अब इसे भारतीय न्याय संहिता कहा जाएगा. आईपीसी में 511 धाराएं थीं, जबकि बीएनएस में 358 धाराएं होंगी. 21 नए अपराध जोड़े गए हैं. 41 अपराधों में कारावास की अवधि बढ़ाई गई है. 82 अपराधों में जुर्माना बढ़ा है. 25 अपराधों में जरूरी न्यूनतम सजा शुरू की गई है. 6 अपराधों में सामुदायिक सेवा का दंड रहेगा. और 19 धाराओं को खत्म कर दिया गया है.

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- सीआरपीसीः गिरफ्तारी, जांच और मुकदमा चलाने की प्रक्रिया सीआरपीसी में लिखी हुई है. सीआरपीसी में 484 धाराएं थीं. अब भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता में 531 धाराएं होंगी. 177 धाराओं को बदल दिया गया है. 9 नई धाराएं जोड़ी गईं हैं और 14 को खत्म कर दिया गया है.

- इंडियन एविडेंस एक्टः केस के तथ्यों को कैसे साबित किया जाएगा, बयान कैसे दर्ज होंगे, ये सब इंडियन एविडेंस एक्ट में है. इसमें पहले 167 धाराएं थीं. भारतीय साक्ष्य संहिता में 170 धाराएं होंगी. 24 घाराओं में बदलाव किया गया है. दो नई धाराएं जुड़ीं हैं. 6 धाराएं खत्म हो गईं हैं.

राजद्रोह की जगह अब देशद्रोह

आईपीसी में धारा 124A थी, जिसमें राजद्रोह के अपराध में 3 साल से लेकर उम्रकैद की सजा का प्रावधान था. बीएनएस में राजद्रोह की जगह 'देशद्रोह' लिखा गया है. गृहमंत्री अमित शाह ने कहा था कि देश के खिलाफ कोई नहीं बोल सकता और इसके हितों को नुकसान नहीं पहुंचा सकता. उन्होंने कहा था कि देशद्रोह के आरोपी को कठोर से कठोर दंड मिलना चाहिए.

बीएनएस में धारा 150 में 'देशद्रोह' से जुड़ा प्रावधान किया गया है. धारा 150 में इसे 'भारत की संप्रभुता, एकता और अखंडता को खतरे में डालने वाले कृत्य' के रूप में शामिल किया गया है. बीएनएस में ऐसा करने पर दोषी पाए जाने पर 7 साल की सजा से लेकर आजीवन कारावास तक का प्रावधान है. साथ ही जुर्माना भी लगाया जाएगा.

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