ओबीसी संशोधन बिल को राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने गुरुवार को हरी झंडी दे दी है. अब यह बिल कानून की शक्ल ले चुका है. मॉनसून सत्र के आखिरी समय में ओबीसी संशोधन बिल को पहले लोकसभा और फिर राज्यसभा से पारित करवाया गया था. इस बिल को पक्ष और विपक्ष, दोनों ने समर्थन दिया था. बिल के कानून बनने के बाद अब राज्य खुद से ओबीसी लिस्ट बना सकेंगे.
राज्यसभा में बिल के पक्ष में 187 वोट पड़े थे, जबकि लोकसभा में यह 10 अगस्त को पास हुआ था. सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्री वीरेंद्र कुमार ने विधेयक को विचार और पारित करने के लिए पेश करते हुए कहा था कि संविधान (127 वां संशोधन) विधेयक, 2021 एक ऐतिहासिक कानून है. क्योंकि इससे देश की 671 जातियों को लाभ होगा. उन्होंने कहा था कि यह संविधान संशोधन राज्यों को ओबीसी सूची तैयार करने का अधिकार देने के लिए लाया गया है. मंत्री ने कहा कि विधेयक को 105वें संविधान संशोधन विधेयक के रूप में माना जाना चाहिए. लोकसभा में बिल के समर्थन में 385 वोट पड़े थे और विरोध में एक भी वोट नहीं पड़ा था.
संसद में ओबीसी बिल पास होने के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा था कि संविधान (127वां संशोधन) विधेयक, 2021 का दोनों सदनों में पास होना हमारे देश के लिए महत्वपूर्ण क्षण है. यह विधेयक सामाजिक सशक्तीकरण को आगे बढ़ाता है. यह हाशिए पर पड़े वर्गों को सम्मान, अवसर और न्याय सुनिश्चित करने के लिए हमारी सरकार की प्रतिबद्धता को भी दर्शाता है.
मई महीने में सुप्रीम कोर्ट ने अहम टिप्पणी की थी. कोर्ट ने कहा था कि केवल केंद्र को यह अधिकार है कि वह ओबीसी समुदाय से जुड़ी लिस्ट तैयार कर सके. केंद्र और राज्य सरकार द्वारा इस पर आपत्ति जाहिर की गई थी. इसके बाद केंद्र सरकार ने मॉनसून सत्र में दोनों सदनों में ओबीसी संशोधन बिल पेश किया था.