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इस बार राष्ट्रपति चुनाव में सांसदों के वोट की वैल्यू घट जाएगी, कारण कश्मीर है... जानिए कैसे?

Presidential Election Explainer: जुलाई में होने वाले राष्ट्रपति चुनाव में सांसदों के वोट का मूल्य घटकर 700 पर आ सकता है. जम्मू-कश्मीर में विधानसभा भंग होने की वजह से ऐसा होगा. अब तक एक सांसद के वोट का मूल्य 708 था.

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देश में जुलाई में होना है राष्ट्रपति का चुनाव. (प्रतीकात्मक तस्वीर)
देश में जुलाई में होना है राष्ट्रपति का चुनाव. (प्रतीकात्मक तस्वीर)
स्टोरी हाइलाइट्स
  • 1997 से सांसदों के वोट का मूल्य 708 था
  • 1952 में पहले चुनाव में 494 था मूल्य

Presidential Election Explainer: दो महीने बाद देश में राष्ट्रपति के चुनाव होने हैं. इस बार का राष्ट्रपति चुनाव इसलिए भी खास रहेगा, क्योंकि करीब 23 साल बाद सांसदों के वोट का मूल्य घट जाएगा. 1997 से लोकसभा और राज्यसभा सांसदों के एक वोट का मूल्य 708 था, लेकिन इस बार ये घटकर 700 पर आ सकता है. 

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देश में जुलाई में राष्ट्रपति का चुनाव होना है. मौजूदा राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद का कार्यकाल 24 जुलाई को खत्म हो रहा है. राष्ट्रपति के चुनाव में लोकसभा और राज्यसभा सांसदों के अलावा सभी राज्यों की विधानसभाओं के विधायक वोट डालते हैं. 

लेकिन वोट का मूल्य घटेगा कैसे?

- राष्ट्रपति के चुनाव के लिए हर राज्य के विधायकों के वोटों की वैल्यू अलग-अलग होती है. ये वोटों की वैल्यू 1971 की आबादी के हिसाब से निकाली गई है. 

- जिस राज्य में जितने ज्यादा विधायक होते हैं, वहां के विधायकों के वोटों का मूल्य उतना ज्यादा होता है. जैसे यूपी में 403 विधायक हैं तो यहां एक विधायक के एक वोट की कीमत 208 है. सिक्किम में महज 32 विधायक हैं तो यहां एक विधायक के वोट की कीमत 7 है.

- सांसदों के वोट का मूल्य के घटने की वजह जम्मू-कश्मीर है. जम्मू-कश्मीर की विधानसभा भंग है. यहां एक विधायक के वोट की वैल्यू 72 है. जम्मू-कश्मीर में अभी तक सभी विधायकों के वोट का मूल्य 6,264 थी. 

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इससे सांसदों का वोट का मूल्य क्यों घटेगा?

- इसे समझने के लिए राष्ट्रपति चुनाव का गणित समझना होगा. होता ये है कि सांसदों के वोट का मूल्य विधायकों की वोट वैल्यू से निकाला जाता है. 

- देश में अभी 4,120 विधायक हैं. 2017 में सभी विधायकों के वोट का मूल्य 5,49,495 थी. इसे लोकसभा के 543 और राज्यसभा के 233 यानी 776 सांसदों की संख्या से भाग देने पर एक सांसद के वोट का मूल्य निकाला था.

- यानी 5,49,495 को 776 से भाग देने पर जो आंकड़ा आएगा, वही एक सांसद के वोट का मूल्य होगा. इसे भाग देने पर 708 आता है. लिहाजा, 2017 के चुनाव के वक्त एक सांसद के वोट का मूल्य 708 था.

- जम्मू-कश्मीर विधानसभा भंग होने की वजह से इस बार विधायकों की संख्या घटकर 4,033 हो गई हैं. इससे विधायकों के वोट की वैल्यू भी घटकर 5,43,231 (5,49,495-6,264) हो गई. 

- अभी के हिसाब से कुल मिलाकर विधायकों के वोट की वैल्यू 5,43,231 हो गई है. इसे जब 776 सांसदों (लोकसभा+राज्यसभा) की संख्या से भाग दिया जाएगा तो इससे सांसदों के वोट का मूल्य 700 रह जाएगा.

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राष्ट्रपति चुनाव में जीत के लिए कितने वोट चाहिए?

- सभी विधायकों के वोट का मूल्य 5,43,231 है. वहीं, लोकसभा और राज्यसभा सांसदों के वोट का मूल्य अनुमानित 5,43,200 (776*700) होगा. कुल मिलाकर वोटों की संख्या हो गई 10,86,431. 

- राष्ट्रपति चुनाव में जीत के लिए आधे से एक वोट ज्यादा की जरूरत होगी. यानी, राष्ट्रपति चुनाव जीतने के लिए कम से कम 5,43,216 वोट चाहिए होंगे. 

1997 से 708 था सांसदों के वोट का मूल्य

- 1952 में देश में पहली बार राष्ट्रपति चुनाव हुए. इस चुनाव में एक सांसद के वोट का मूल्य 494 था. उस चुनाव में डॉ. राजेंद्र प्रसाद की जीत हुई थी. उन्हें 83 फीसदी से ज्यादा वोट मिले थे.

- 1957 में सांसदों के वोट का मूल्य बढ़कर 496 हुआ. इसके बाद 1962 में 493 और 1967 में 576 हो गया. 1974 के चुनाव के समय एक सांसद के वोट की वैल्यू 723 हो गई. 1977 से 1992 तक ये 702 रही. 1997 के चुनाव में वोट वैल्यू 708 तय हो गई.

 

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