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राष्ट्रपति चुनाव नहीं लड़ पाएंगे धरती पकड़ जैसे लोग, निर्वाचन आयोग ने लगाई ये शर्तें  

राष्ट्रपति चुनाव के लिए कोई भी आदमी नामांकन कर सकता है, लेकिन अब इस पद पर अपनी उम्मीदवारी जताने के लिए किसी भी नागरिक को 50 प्रस्तावक और 50 ही समर्थक चाहिए होंगे. ये बुनियादी शर्तों में शामिल हैं.

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राष्ट्रपति चुनाव के लिए 18 जुलाई के लिए वोटिंग होनी है. (फाइल फोटो)
राष्ट्रपति चुनाव के लिए 18 जुलाई के लिए वोटिंग होनी है. (फाइल फोटो)
स्टोरी हाइलाइट्स
  • राष्ट्रपति चुनाव के लिए चुनाव आयोग की शर्तें
  • धरती पकड़ जैसे लोग नहीं लड़ पाएंगे चुनाव

राष्ट्रपति चुनाव की तैयारियां शुरू हो गई हैं. इस बार का राष्ट्रपति चुनाव पहले से अलग होगा, दरअसल भारतीय निर्वाचन आयोग ने कुछ ऐसी शर्तें लगाई हैं, जिसकी वजह से धरती पकड़ और घोड़े वाला जैसे आम लोग अपनी उम्मीदवारी का परचम नहीं लहरा पाएंगे. बिहार के रहने वाले नागरमल उर्फ धरती पकड़ अब तक 281 चुनाव लड़ चुके हैं. धरती पकड़ ने 2012 के राष्ट्रपति चुनाव में प्रणब मुखर्जी के खिलाफ भी नामांकन किया था, जो रद्द हो गया था. 

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राष्ट्रपति चुनाव के लिए कोई भी आदमी नामांकन कर सकता है, लेकिन अब इस पद पर अपनी उम्मीदवारी जताने के लिए किसी भी नागरिक को 50 प्रस्तावक और 50 ही समर्थक चाहिए होंगे. ये बुनियादी शर्तों में शामिल हैं. ये प्रस्तावक और समर्थक आम नागरिक नहीं बल्कि निर्वाचक मंडल के सदस्य यानी सांसद या विधायक होने जरूरी हैं. 

अब 50-50 सांसद या विधायक प्रस्तावक और समर्थक के रूप में ढूंढ पाना आम लोगों के बस की बात तो नहीं होती और हां शर्त ये भी कि प्रस्तावक और समर्थक एक ही भूमिका में रह सकते हैं. यानी जो प्रस्तावक होगा, वो समर्थक नहीं हो सकता. राष्ट्रपति चुनाव के लिए जमानत राशि भी पहले के ₹5000 के मुकाबले अब ₹15000 कर दी गई है. निर्वाचन आयोग ने इस बार नामांकन के लिए प्रस्तावक और समर्थकों की संख्या की शर्त इसलिए लगाई है ताकि ऐसे लोग इस चुनाव से दूर रहें, जिन्हें एक भी वोट नहीं मिलता है. 

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दरअसल 15 हजार रुपये ज्यादा बड़ी राशि तो है नहीं, इसलिए निर्वाचन आयोग ने इसके साथ 50 प्रस्तावक और 50 समर्थकों की शर्त नामांकन पत्र भरते समय ही लगा दी. निर्वाचन आयोग के सूत्रों के मुताबिक, पिछले राष्ट्रपति चुनाव में कई बार ऐसा भी हुआ है कि 15 से 20 प्रत्याशी चुनाव मैदान में डटे रहे लेकिन उन्हें एक भी वोट नहीं मिला. कुछ ऐसे भी लोग हैं जो हर साल हर बार चुनाव में बस यूं ही अपनी दावेदारी कर देते थे. प्रस्तावक और समर्थक जुटाने की शर्त से ऐसे लोगों पर लगाम लगी है, लेकिन लोगों ने इसका भी तोड़ निकाल लिया. अब वे बिना प्रस्तावक और समर्थकों के नामांकन भर रहे थे. 

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राष्ट्रपति और उपराष्ट्रपति निर्वाचन अधिनियम, 1952 की धारा 4 की उप-धारा (3) के उपबंधों के अनुसार, राष्ट्रपति का कार्यकाल पूरा होने से पहले 60 दिन की अवधि में किसी भी दिन निर्वाचन आयोग की ओर से चुनाव की अधिसूचना जारी की जाती है. चुनाव का कार्यक्रम इस प्रकार तय किया जाता है कि राष्ट्रपति का कार्यकाल खत्म होने के अगले ही दिन निर्वाचित राष्ट्रपति पद ग्रहण कर सकें. भारतीय संविधान के अनुच्छेद 324 के मुताबिक राष्ट्रपति के पद पर चुनाव भी निर्वाचन आयोग ही करवाता है. 

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भारतीय संविधान के अनुच्छेद 58 के अनुसार, राष्ट्रपति के पद के लिए चुनाव लड़ने के उम्मीदवार को 35 साल या इससे अधिक आयु का भारतीय नागरिक होना चाहिए. भारत सरकार या किसी भी राज्य सरकार के अधीन या किसी भी स्थानीय या अन्य प्राधिकरण के अधीन किसी भी लाभ का पदाधिकारी नहीं होना चाहिए. यानी सरकारी नौकरी नहीं होनी चाहिए. इसके अलावा जब भी राष्ट्रपति पद के चुनाव के लिए नामांकन भरा जाता है तो कई शर्तों को पूरा करना होता है. 

नामांकन के फॉर्म में चुनाव लड़ने के इच्छुक उम्मीदवार को कम से कम 50 निर्वाचकों यानी विधायक या सांसदों को समर्थन होना आवश्यक है. इनका ब्योरा रिटर्निंग अफसर के पास जमा करने के साथ चुनाव लड़ने के लिए 15,000 रुपये की जमानत राशि भी देनी होती है. शर्त ये भी है कि राष्ट्रपति चुनाव में एक निर्वाचक सिर्फ एक ही अभ्यर्थी के नाम का प्रस्ताव कर सकता है. ऐसा नहीं है कि वो कई उम्मीदवारों का अनुमोदन कर दे. 

 

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