दिल्ली के तमाम नाकों पर डटे किसानों ने केंद्र सरकार पर कई आरोप लगाए हैं. किसान संगठनों ने आरोप लगाया कि सरकार बाहर से किसानों को प्रदर्शन में शामिल होने के लिए दिल्ली नहीं आ दे रही है. किसानों का कहना है कि सरकार आंदोलन स्थल पर फोर्स लगाकर तानाशाही कर रही है.
सिंघु बॉर्डर पर किसानों ने मंगलवार शाम को प्रेस कांफ्रेंस किया और कहा कि सरकार उनकी बात नहीं सुन रही है. प्रदर्शनकारी किसानों ने सरकार पर कई आरोप लगाए. किसान संगठनों ने कहा कि उन्हें अभी मीडिया से पता लगा है कि सरकार उनकी तरफ से लिखित जबाव का इंतजार कर रही है.
किसान संगठनों ने कहा कि सरकार बाहर से आने वाले लोगों को आने नहीं दे रही है. हमारे लोगों को आंदोलन में हिस्सा लेने के लिए आने से रोक रही है. ये सरकार किसानों की बात नहीं करती है, बस घुमाती है. किसानों ने कहा कि सरकार पुलिस फोर्स लगाकर तानाशाही कर रही है. हमारे लोगों को परेशान किया जा रहा है. ये सरकार अंबानी और अडानी की सरकार है. हम इसको अपने मंसूबों में कामयाब नहीं होने देंगे.
आंदोलन में सभी किसानों की हिस्सेदारी
इस बीच, भारतीय किसान यूनियन (भानु) ने सरकार पर निशाना साधा है. इस संगठन के राष्ट्रीय अध्यक्ष भानु प्रताप सिंह ने मंगलावर को कहा कि यह आंदोलन देश के सभी किसानों का है, किसी एक संगठन का नहीं है, सभी संगठन काले कानून के खिलाफ हैं और हमारे संगठन में कोई भी आपस मे फूट नहीं है.
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भानु प्रताप सिंह ने बताया, 'भारतीय किसान यूनियन (भानु) के उत्तर प्रदेश अध्यक्ष योगेश प्रताप सिंह नोएडा के चिल्ला बॉर्डर पर अपने साथियों के साथ अनिश्चितकालीन भूख हड़ताल पर बैठे हुए हैं. जब तक काले कानून वापस नहीं लिए जाते तब तक हमारा अनशन जारी रहेगा.' इससे पहले इस संगठन ने चिल्ला बॉर्डर से आंदोलन खत्म करने का ऐलान किया था लेकिन मंगलवार को फिर यह संगठन सरकार पर हमलावर हो गया.