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मणिपुर हिंसा के बाद राज्य को बंटने से रोक पाएंगे अमित शाह?: दिन भर, 30 मई

आज देश ने उन खिलाड़ियों को अपने मेडल्स गंगा नदी में बहाते हुए देख रहा है, जिनके मेडल्स पर कभी उछलकर तालियां बजाई थीं और गर्व साझा किया था. कुश्ती संघ के चीफ ब्रजभूषण शरण सिंह की गिरफ्तारी की मांग कर रहे पहलवान आज हरिद्वार में हैं, उनका कहना है कि अब वे इंडिया गेट पर आमरण अनशन करेंगे, जिस इलाके पर लिखते हुए लेखक अनिल यादव ने कहा कि वह भी कोई देस है महाराज, उस उत्तरपूर्व का एक राज्य मणिपुर महीने भर से अशांत है, गृहमंत्री के दौरे के बीच हालात अब कैसे हैं, जिन दो समुदायों के बीच जो नफरत पनपी, उसे कैसे पाटा जा सकता है और उनके लिए अमित शाह की झोली में क्या है? राजस्थान की बहुत बात हो रही, लेकिन चुनाव साल के आख़िर में सिर्फ़ यहीं नहीं, मध्यप्रदेश में भी है. यहां फ़िलहाल मुख्यमंत्री के सवाल पर तो सिर फुटवल नहीं लेकिन सिंधिया के जाने से उनके प्रभाव वाले इलाके में जो खालीपन आया है, उसकी भरपाई कैसे होगी? इलीगल डॉग ब्रीडिंग की बात जो स्ट्रे डॉग्स यानी आवारा कुत्तों का रहन सहन बदल रहा है, सुनिए 'दिन भर' में

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पहलवानों के प्रदर्शन का भविष्य क्या
 

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जब ये कहा जाने लगा था कि पहलवानों का प्रदर्शन अब ख़त्म हो गया क्या? तभी कुश्ती खिलाड़ी साक्षी मलिक ने कहा है कि आंदोलन में जान अभी बाकी है. 

तो आज कुश्ती संघ के प्रमुख और बीजेपी सांसद ब्रजभूषण सिंह के ख़िलाफ चल रहे प्रोटेस्ट की नई रूपरेखा सामने आई. सोशल मीडिया पजिन मेडल्स के लिए उन्होंने कई साल जी-तोड़ मेहनत की और जिन्हें जीतने से उन्हें दुनिया भर का सम्मान मिला, उसे आज विरोध और हताशा में उन्होंने हरिद्वार में गंगा नदी में प्रवाहित करने हरिद्वार गए थे. एक चिट्ठी शेयर कर पहलवानों ने साफ कर दिया कि जंतर मंतर से हटाए जाने के बावजूद वे पीछे नहीं हटने वाले हैं. 

जिन मेडल्स के लिए उन्होंने कई साल जी-तोड़ मेहनत की और जिन्हें जीतने से उन्हें दुनिया भर का सम्मान मिला, उसे आज विरोध और हताशा में उन्होंने हरिद्वार में गंगा नदी में प्रवाहित कर दिया/हरिद्वार में गंगा नहीं में प्रवाहित करने जा रहे हैं. 

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सवाल है कि पहलवानों ने मेडल को गंगा नदी में विसर्जित करने की बात कर इस प्रदर्शन को क्या मोड़ देने की कोशिश की है, सुनिए 'दिन भर' में

 

मणिपुर: समस्या कई, समाधान एक?
 

80 लोगों मौत, 40 हजार से ज़्यादा लोगों का पलायन, कर्फ्यू जैसे हालात, इंटरनेट पर पाबंदी, सेना और अर्द्धसैनिक बलों की तैनाती और शूट एट साईट का ऑर्डर. एक महीने से भी कम समय में मणिपुर ने ये सब कुछ अपनी आंखों से देखा है. 

यहां के दो प्रमुख समुदाय कुकी और मैतई आपस में ख़ूनी संघर्ष पर आमादा हैं. गृहमंत्री अमित शाह शांति बहाल करने की कोशिशों के बीच इम्फाल पहुंचे हैं.  

1 जून तक वे यहां रहेंगे लेकिन कल देर रात ही से उन्होंने मुख्यमंत्री एन बीरेन सिंह, मंत्रियों, अधिकारियों, इंटेलिजेंस ब्यूरो के चीफ और राज्यपाल के साथ बैठक की. 

हालांकि, विपक्ष न सिर्फ़ इस यात्रा की देरी पर सवाल उठा रहा है बल्कि उनका कहना है कि ये राज्य और केंद्र सरकार की नाकामी है जो हिंसा इस क़दर भड़की, 

विवाद इस पर भी है कि राज्य के मुख्यमंत्री एन बिरेन सिंह ने मारे गए 40 लोगों को मिलिटेंट क्यों कह दिया?  

विपक्ष का कहना है कि दो समुदायों के बीच की हिंसा, जिसका कारण संसाधन का बंटवारा, आरक्षण की स्पर्धा और ऐसी ही कुछ और चीज़ें हैं, उसमें एक पक्ष को उग्रवादी या मिलिटेंट कहकर देश को ग़ुमराह किया जा रहा है. 

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उधर, बीजेपी नेता दुष्यंत गौतम ने जल्द ही स्थिति सामान्य होने की बात कही है… 

सरकार के दावे एक तरफ़ लेकिन हिंसा अब भी पूरी तरह थमी नहीं है. इम्फाल में केंद्रीय मंत्री राजकुमार रंजन सिंह के घर पर हमला हो गया, वो भी उनके दौरे के ठीक बाद.  

गृहमंत्री की यात्रा से पहले रविवार को, यानी परसो ही हिंसा भड़की थी, जिसमें एक पुलिसकर्मी समेत 5 लोगों की जान चली गई थी. 

सवाल है कि एक महीना होने को है, अब तक इस संघर्ष में किस तरह एक-एक कर नए अध्याय जुड़ते चले गए, गृहमंत्री जब पहुंचे हैं इम्फाल तब तक दोनों समुदायों के बीच खटास का आलम क्या है, सुनिए 'दिन भर' में

 

सिंधिया के बग़ैर MP कैसे जीतेगी कांग्रेस
 

कल दिल्ली में कांग्रेस पार्टी सिर्फ़ राजस्थान के ही मसअले नहीं सुलझा रही थी. उसकी निग़ाह में मध्यप्रदेश भी था जहां पिछली बार सरकार बनाकर भी वो पूरे पांच साल चला नहीं सके थे. ज्योतिरादित्य सिंधिया की बगावत से सत्ता कमलनाथ के हाथ से फिसलकर फिर से बीजेपी और शिवराज सिंह चौहान की झोली में आ गिरी थी. 

कांग्रेस इस बार बड़े अंतर से मध्यप्रदेश जीतना चाहती है. पार्टी का इरादा है डेढ़ सौ सीटें जीतने का. 230 सीटों वाली विधानसभा में 116 सीटें बहुमत के लिए चाहिए. लेकिन पार्टी को डर है कि अगर 115 के अल्ले पल्ले रहे तो बीजेपी सरकार उड़ा ले जाएगी. लेकिन इस राह में दो सबसे बड़ी चुनौतियां हैं.  

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पहला, मुख्यमंत्री का चेहरा अनाउंस किया जाए या नहीं? और दूसरा, ग्वालियर, चम्बल, भिंड, मुरैना का वो इलाका जो ज्योतिरादित्य सिंधिया का गढ़ रहा है, वहां जनाधार खिसकने से कैसे रोका जाए? 

पीसीसी चीफ कमलनाथ के समर्थक भले ही उन्हें भावी मुख्यमंत्री के रूप में प्रोजेक्ट कर रहे हैं लेकिन पार्टी किसी एक चेहरे को आगे करके मैदान में उतारने से परहेज कर रही है, कमलनाथ को चेहरा बनाने से पार्टी को फ़ायदा अधिक दिखता है या नुकसान, सुनिए 'दिन भर' में

 

कुत्ते कटखने क्यों हुए जा रहे हैं?

इस बीच आपने अग्रेसिव होते कुत्तों की और ख़ास तौर बच्चों पर कुत्तों के अटैक की ख़बरें ख़ूब सुनी होंगी. एक्सपर्ट्स ये मानते हैं कि कुत्तों के बिहेवियर में एग्रेशन अगर बढ़ रहा है तो उसकी एक वजह उलजलूल इल्लीगल ब्रीडिंग भी है. 

Husky, Golden Retriever, German Shepherd और Pitbull जैसे कुत्ते चालीस - पचास हजार तक की कीमत में मिलते हैं. एक पूरा बाज़ार है और छोटे पपीज़ एक तरह का प्रोडक्ट हैं. ब्रीडिंग करवाने वाले लोग एक फीमेल डॉग से साल भर में दर्जनों बच्चे इलीगल तरीके से पैदा करवाते है. परेशानी इससे ये होती है कि जबरन ब्रीडिंग के कारण कुत्तों के behaviour में धीरे - धीरे एक violent; एक हिंसक बदलाव देखने को मिलता है.  

दिल्ली के सफदरजंग हॉस्पिटल ने पिछले 6 महीनों में 29,698 और राम मनोहर लोहिया हॉस्पिटल ने 18,183 कुत्ते काटने के केस दर्ज किए हैं. जिस Illegal dog breeding की हम बात कर रहे, वो क्या है? सुनिए 'दिन भर' में

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