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पीटी उषा को पहलवानों का धरना ग़लत क्यों लग रहा है? दिन भर, 27 अप्रैल

ओलंपिक एसोसिएशन जिसकी प्रेसीडेंट एथलीट पीटी उषा हैं, उसकी आज मीटिंग हुई. कोशिश ये थी कि WFI वाले मसले का समाधान निकाला जाए, तो क्या कोई समाधान निकल पाया? कर्नाटक चुनाव प्रचार में कल प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की एंट्री होने वाली है, लेकिन उससे पहले आज उन्होंने राज्य के बीजेपी कार्यकर्ताओं को वर्चुअली संबोधित किया. तो अपने भाषण में उन्होंने क्या कहा, क्या छोड़ दिया? सैनी समाज सड़कों पर है. 12 फीसदी आरक्षण की मांग के साथ. लेकिन क्यों, और इस समाज का राजस्थान में क्या पॉलिटिकल स्टेक है? मध्यप्रदेश के कूनो पार्क के चीते की, जिन्हें पिछले साल सितंबर में नामीबिया से लाया गया, लेकिन अब उनकी दूसरी जगह शिफ्टिंग की बात हो रही है, सुनिए 'दिन भर' में,

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खेल की राजनीति, उलझे खिलाड़ी

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भारतीय कुश्ती संघ चीफ के ख़िलाफ पहलवानों की लड़ाई जारी है. जंतर मंतर पर वो डटे हुए हैं जहां उनके समर्थन पर आज खाप पंचायतें भी पहुंची. रेसलर गीता फोगाट ने भी पहलवानों के पक्ष में ट्वीट किया. वहीं पीटी उषा के नेतृत्व में  इंडियन ओलंपिक एसोसिएशन ने भी इस मसले पर एक मीटिंग की. इसी कड़ी में राष्ट्रीय महिला आयोग  की अध्यक्ष रेखा शर्मा ने दिल्ली पुलिस आयुक्त को पत्र लिख कर कार्रवाई की रिपोर्ट मांगी है. अब कल इस मसले पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई भी होनी है लेकिन आज इंडियन ओलंपिक एसोसिएशन की मीटिंग में क्या हुआ, क्या इस मसले पर कोई समाधान निकल पाया, सुनिए 'दिन भर' में

 

कांग्रेस ने अपनी हार का इंतजाम कर लिया है?

कर्नाटक चुनाव किस करवट बैठेगा? प्रश्न कठिन है.  कभी बीजेपी आरक्षण का राग छेड़ कांग्रेस पर भारी पड़ती दिखती है तो कभी कांग्रेस, लोकल मुद्दे और सरकार पर कथित करप्शन के आरोप को अपना ब्रह्मास्त्र बनाए बीस जान पड़ती है. अब कल से कर्नाटक में पीएम मोदी की रैली भी शुरू हो रही है लेकिन इससे पहले आज उन्होंने कर्नाटक बीजेपी के कार्यकर्ताओं को वर्चुअली संबोधित किया और कहा कि वो लोगों से बीजेपी को वोट देने की अपील करें और अगर वो ऐसा करेंगे तो लोग बीजेपी को आशीर्वाद ज़रूर देंगे...

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बकौल पीएम मोदी बीजेपी और दूसरी पार्टियों में सबसे बड़ा फर्क अप्रोच का ही है. इसके अलावा उन्होंने जन कल्याण योजना की बात की लेकिन रेवड़ी कल्चर पर वापस से उनके सुर गर्म ही रहे. फ्री बीज पर नज़र डालें तो पता चलता है कि कांग्रेस ने 200 यूनिट मुफ्त बिजली देने का वादा किया है, ये भी कहा है कि गृह लक्ष्मी योजना के तहत वो परिवार की महिला गार्डियन को हर महीने दो हज़ार रूपए देगी. डिप्लोमा होल्डर्स जो 18 से 25 साल के बीच के हैं उन्हें हर महीने 1500 रुपए देने की बात भी कही गई है. लेकिन पीएम मोदी इस तरह के वादों के अभी भी सख्त खिलाफ़ हैं और आज उनके भाषण से ऐसा लगा भी.

वहीं एक बयान कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे का भी आया.एक रैली को संबोधित करते हुए उन्होंने पीएम मोदी के लिए विवादित बयान दिया.

बीजेपी अब खड़गे से माफ़ी की मांग कर रही है लेकिन खड़गे कह रहे हैं कि मैं इस मसले पर बात नहीं करना चाहता हूँ. हम पहले भी देख चुके हैं कि कांग्रेस के नेताओं की तरफ से कई दफा आपत्तीजनक बयान दिए गए हैं जिसे पीएम मोदी ने अपने फेवर में भुनाया है फिर चाहे वो चौकीदार चोर है वाला बयान हो या फिर चायवाला.

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अब क्योंकि कर्नाटक चुनाव पास है तो क्या पीएम मोदी के लिए मल्लिकार्जुन खड़गे का दिया गया ये विवादित बयान कांग्रेस को भारी पड़ सकता है. सुनिए 'दिन भर' में

 

सैनी आरक्षण की मांग कितनी जायज?

अब आरक्षण का हल्ला सिर्फ कर्नाटक नहीं वहां से 1500 कि.मी दूर राजस्थान में भी मचा हुआ है. यहां भरतपुर ज़िले के पास एक गांव है अरौदा. यहां सैनी समाज पिछले एक हफ्ते से 12 फीसदी आरक्षण की मांग को लेकर प्रदर्शन कर रहा है. नेशनल हाईवे तक जाम कर रखा है. 23 अप्रैल को सैनी समाज के एक प्रतिनिधिमंडल की मुख्यमंत्री अशोक गहलोत से मुलाकात भी हुई. फिर मुख्यमंत्री कार्यालय ने इस मसले पर ओबीसी आयोग को चिट्ठी भी लिखी गई. सीएम से बात कर जब प्रतिनिधिमंडल आंदोलन स्थल पहुंचा, तो मालूम हुआ कि आंदोलन स्थल के पास मोहन सिंह नाम के युवक ने विरोध में आत्महत्या कर ली. इस घटना ने आंदोलन को नया मोड़ दे दिया.

मुख्यमंत्री अशोक गहलोत आंदोलन पर बयान भी आया उन्होंने लोगों से शांति बनाए रखने की अपील की और कहा कि सरकार समाज की मांगों पर विचार कर रही है. तो पिछले दो साल से आरक्षण की इस मांग पर सहमति नहीं बन पाई है लेकिन ये पूरा विवाद है क्या और आरक्षण की मांग उठ क्यों रही है, सुनिए 'दिन भर' में

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कूनो से हटेंगे चीते?

70 साल बाद भारत में चीतों को बसाने की प्रक्रिया दोबारा शुरू हुई है. पिछले कुछ दिनों में चीतों की दो खेप भारत आ चुकी हैं. पहली खेप में नामीबिया से 8 चीतों को मध्य प्रदेश के कूनो नेशनल पार्क लाया गया था और 17 सितंबर को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने जन्मदिन पर इन्हें बाड़े में रिलीज किया था. इनमें से एक मादा चीता साशा की किडनी इंफेक्शन की वजह से मौत हो गई थी. इसके बाद 18 फरवरी को दक्षिण अफ्रीका से 12 और चीते कूनो लाए गए थे. इनमें से एक नर चीता उदय की बीते रविवार को मौत हो गई. इस तरह कुल 20 चीतों में से 2 की मौत जाने पर अब 18 चीते कूनो नेशनल पार्क में बचे हैं. हालांकि पहली खेप में नामीबिया से आई एक मादा चीता ने हाल ही में 4 शावकों को जन्म दिया था. अपने घुमक्कड़ स्वभाव के चलते कुछ चीते कई बार कूनो से बाहर निकलकर भटकते हुए दूर जा चुके हैं. इन्हें पकड़कर वापस लाने में कर्मचारियों को मशक्क़त करनी पड़ रही है. तो चीतों को बसाने का ये जो प्रोजेक्ट है क्या वो सही दिशा में आगे बढ़ रहा है, जो दो मौतें हुई हैं उससे कितना फ़र्क़ पड़ेगा, सुनिए 'दिन भर' में

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