स्कूल गए...पढ़ाई की...घर आए और फिर दोस्तों के साथ पूरी शाम बाहर खेलना...मौज-मस्ती करना....कुछ साल पहले तक भारत के बच्चों का यही रुटीन था. वे खुली हवा में शरीर को थकाकर खुद को चुस्त-दुरुस्त भी रखते थे और दोस्तों संग मौज-मस्ती, गपशप उनके मानसिक तंदुरुस्ती भी देती थी. कोरोना आया...लॉकडाउन लगा और फिर धीरे-धीरे बच्चों की आदत में बड़ा परिवर्तन आ गया. अब आउटडोर गेम्स की जगह ऑनलाइन गेम्स ने ले ली. क्रिकेट बैट की जगह हाथ में मोबाइल फोन आ गया. पहले जिस फोन पर बच्चे औसतन 151 मिनट बिताया करते थे, वो अब बढ़कर 218 मिनट हो गया है.
अब बच्चे कुछ घंटे फोन पर बिता रहे हों, सिर्फ ऐसा नहीं है. जैसे-जैसे उनकी ऑनलाइन गेमिंग की लत बढ़ रही है, उनका स्वभाव भी बदल रहा है. तनाव होना, नजर कमजोर होना तो आम है, लेकिन बीते सालों में इस लत ने बच्चों खासकर किशोरों को हिंसक भी बना दिया है. अपने ही घर में चोरी करना, झूठ बोलना जैसी आदतों ने जोर पकड़ा है. कुछ मामलों में तो बच्चों ने आत्मघाती कदम उठाते हुए सुसाइड तक की कोशिश की है. एक नजर उन घटनाओं पर जहां ऑनलाइन गेमिंग ने खतरनाक रूप लिया
लखनऊ PUBG केस
इन दिनों लखनऊ PUBG केस चर्चा में बना हुआ है. 16 साल के लड़के ने अपनी मां की सिर्फ इसलिए हत्या कर दी क्योंकि वो उसे मोबाइल पर खेलने से रोकती थी. पुलिस आरोपी बच्चे से पूछताछ कर रही है और उसी आधार पर आगे की कार्रवाई की जाएगी.
किडनैपिंग का नाटक, मां से मांगी फिरौती
दो साल पहले पटना में ऑनलाइन गेम की ऐसी लत देखने को मिली कि दसवीं क्लास में पढ़ रहे छात्र ने अपनी खुद की किडनैपिंग का ही नाटक रच दिया. पुलिस पूछताछ में पता चला कि उस बच्चे को वीडियो गेम खेलने के लिए महंगा फोन खरीदना था.
ऑनलाइन गेमिंग की लत ने ली जान
मध्य प्रदेश के सागर में 12 साल के बच्चे ने फांसी लगा आत्महत्या कर ली. दरअसल पिता ने बच्चे का फोन छीन लिया था क्योंकि वो जरूरत से ज्यादा समय फोन स्क्रीन पर लगा रहता था. यही बात बच्चे को चुभ गई. इसी तरह छतरपुर में 13 साल के बच्चे ने सिर्फ इसलिए आत्महत्या कर ली क्योंकि ऑनलाइन गेमिंग में उसने 40 हजार रुपये गंवा दिए थे.
गेम के लिए चचेरा भाई बना हत्यारा
फ्री फायर और पबजी (Free Fire PUBG) में पैसे लगाने के चक्कर में नाबालिग चचेरे भाई ने एक बच्चे की गला दबाकर हत्या कर दी थी. हत्या के बाद शव को जमीन में दफना दिया. ऐसे केस भी सामने आए जहां पर बच्चों ने अपने ही माता-पिता के बैंक अकाउंट से लाखों रुपये चोरी कर लिए. पंजाब में एक 17 वर्षीय युवक ने पबजी खेलने के लिए पिता के अकाउंट से 17 लाख रुपये निकाले. इसी तरह मोहाली में अपने दादा के बैंक अकाउंट से एक बच्चे ने 2 लाख रुपये निकाल ऑनलाइन गेम में लगा दिए.
ऑनलाइन गेमिंग की जद में 41 फीसदी आबादी
अब ये सिर्फ कुछ वो मामले हैं जहां पर इस ऑनलाइन गेम ने किसी को हत्यारा बना दिया, किसी को किडनैपर बना दिया तो कुछ मामलों में आत्महत्या जैसे आत्मघाती कदम भी उठ गए. कई रिपोर्ट और रिसर्च इस बात की तस्दीक करती हैं कि भारत का एक बड़ा युवा वर्ग ऑनलाइन गेम्स की जद में बुरी तरह फंस चुका है. इस समय भारत की 41 फीसदी आबादी जो 20 साल से कम उम्र की है, ऑनलाइन गेम्स की आदी बन चुकी है. 2018 तक भारत में ऑनलाइन गेम खेलने वालों की संख्या 26.90 करोड़ थी. लेकिन कोरोना काल के बाद से इस आंकड़े में बड़ा इजाफा हुआ और अब 2022 के अंत तक ये आंकड़ा 51 करोड़ को भी पार कर सकता है. KPMG फर्म की रिपोर्ट बताती है कि पहले लॉकडाउन के बाद से ही गेमिंग एप्स पर लोगों ने पहले की तुलना में 21 फीसदी ज्यादा समय बितना शुरू कर दिया था.
शूटिंग वाले गेम ज्यादा पसंद, तनाव-डिप्रेशन की शिकायत
इसी तरह NortonLifeLock Inc ने जब भारत की India Digital Wellness Report जारी की थी, उसमें भी जोर देकर बताया गया था कि ऑनलाइन गेम्स का असर अब लोगों की जिंदगी पर पड़ने लगा था. खुद लोग बता रहे थे कि वे तरह-तरह की मानसिक बीमारियों का शिकार हो रहे हैं. उस रिपोर्ट के मुताबिक 87 प्रतिशत लोग ये मान रहे हैं कि ऑनलाइन गेम्स की वजह से उनके शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य पर असर पड़ा है. 76 प्रतिशत ऐसे लोग भी सामने आए जिन्होंने तनाव और डिप्रेशन की शिकायत की. उसी रिपोर्ट में एक चिंता वाला ट्रेंड ये भी सामने आया कि बच्चे ज्यादातर शूटिंग वाले गेम्स को एन्जॉय कर रहे हैं. उन्हें मार-धाड़ वाले गेम आकर्षित कर रहे हैं. 45 फीसदी माता-पिता अपने बच्चों की इस आदत से परेशान हैं, लेकिन कंट्रोल करना उन्हें मुश्किल हो रहा है.
हैरान करने वाली बात ये भी है कि कम उम्र के नौजवान इस ऑनलाइन गेम के लिए अपनी नींद-खाना सबकुछ छोड़ने को तैयार हैं. India Digital Wellness Report में दावा किया गया है कि 88 फीसदी लड़कियां ऑनलाइन गेम को अपना पसंदीदा टाइमपास मानती हैं. यहां भी 61 प्रतिशत ऐसी हैं जो इन ऑनलाइन गेम के लिए खाना छोड़ने को तैयार हैं, नींद में कमी हो जाए, इससे भी उन्हें गुरेज नहीं है. उस रिपोर्ट में लड़कों का भी 45 फीसदी वर्ग ऐसा माना गया है जो ऑनलाइन गेम्स के लिए कुछ भी कर सकता है.
कौन से गेम्स के लिए ज्यादा क्रेज?
भारत के प्रमुख फैंटेसी गेमिंग प्लेटफॉर्म में से एक, मोबाइल प्रीमियर लीग (MPL) ने भी 2021 में एक रिपोर्ट जारी की थी. उस रिपोर्ट में बताया गया था कि सबसे ज्यादा ऑनलाइन गेम खेलने वालों की संख्या राजधानी दिल्ली में थी. दूसरे नंबर पर जयपुर, तीसरे पर पुणे, चौथे पर लखनऊ और पांचवें नंबर पर पटना रहा था. हैरानी की बात ये थी कि मुंबई और बेंगलुरू जैसे बड़े शहर इस लिस्ट में काफी पीछे थे. एक तरफ मुंबई को छठा स्थान दिया गया था तो बेंगलुरू सातवें स्थान पर रहा था. MPL ने अपनी रिपोर्ट में इस बात का भी जिक्र किया कि इन राज्यों में सबसे ज्यादा बीजीएमआई, कॉल ऑफ ड्यूटी जैगे गेम खेले गए. इसके अलावा ऑनलाइन शतरंज और पूल खेलने वालों की संख्या में भी वृद्धि देखी गई.
चीन ने उठाया बड़ा कदम, भारत किसे चुनेगा-व्यापार या सेहत?
इस समय गेमिंग इंडस्ट्री का सबसे बड़ा मार्केट चीन माना जाता है. दूसरे नंबर पर भारत है, लेकिन जिस तेजी से देश में ऑनलाइन गेमिंग की लत बढ़ती जा रही है, एक्सपर्ट मान रहे हैं कि जल्द ही भारत इस मामले में तो चीन को पछाड़ ही देगा. ऐसा इसलिए भी कहा जा रहा है क्योंकि भारत ने अभी तक इस मुद्दे को ज्यादा गंभीरता से नहीं लिया है, लेकिन चीन में सरकार ने कड़े कदम उठाना शुरू कर दिए हैं. वहां पर लोगों की ऑनलाइन गेमिंग की लत को कम करने के लिए नए नियम तैयार कर दिए गए हैं. उन नियमों के मुताबिक बच्चे हफ्ते में सिर्फ तीन घंटे ही ऑनलाइन गेम खेल पाएंगे. बड़ी बात ये है कि अगर वो नियम टूटता है तो बच्चे के खिलाफ कोई एक्शन नहीं लिया जाएगा, बल्कि उस कंपनी के खिलाफ कार्रवाई होगी जहां पर वो बच्चा गेम खेल रहा था. इसी वजह से चीन में अभी हर गेमिंग कंपनी इन नियमों का सख्ती से पालन कर रही है.
अब भारत में ऐसे नियमों का बनना और फिर उनका पालन अपने आप में बड़ी चुनौती साबित हो सकती है. इसका बड़ा कारण ये है कि भारत में इस ऑनलाइन गेमिंग की वजह से एक वर्ग जरूर ज्यादा प्रभावित रहा है. लेकिन बिजनेस के के लिहाज से ये आज भी काफी मुनाफे वाली इंडस्ट्री है. इसे ऐसे समझ सकते हैं कि पूरी दुनिया में अकेले गेमिंग इंडस्ट्री ही साढ़े 15 लाख करोड़ रुपये की हो चुकी है, वहां भी भारत का हिस्सा काफी बड़ा है. अनुमान लगाया जा रहा है कि इस साल के अंत तक भारत में ऑनलाइन गेमिंग इंडस्ट्री 21 हजार करोड़ का आंकड़ा छू लेगी. ऐसे में कारोबार के साथ-साथ लोगों की सेहत का कैसे ध्यान रखा जाए, आने वाले सालों में भारत के सामने यही सबसे बड़ी चुनौती साबित होने वाली है.