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लोक अदालतों का कमाल, कोर्ट की चौखट पर पहुंचने से पहले ही निपट गए 18 लाख 23 हजार मुकदमे

देश भर में एक बार फिर लोक अदालतों ने कमाल किया. नेशनल लीगल सर्विसेज ऑथोरिटी यानी NALSA की पहल पर राज्यों, हाई कोर्ट, जिला स्तरीय विधिक सेवा प्राधिकरण के सहयोग से ये आयोजन एक बार फिर देश भर में लाखों मुकदमों का बोझ घटाने में कामयाब रहा.

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लोक अदालत
लोक अदालत
स्टोरी हाइलाइट्स
  • लोक अदालतों ने सर्वसम्मति से सुलझाए 72 लाख केस
  • कई वर्षों से लंबित थे 10 लाख 76 हजार मुकदमे

देश भर में एक बार फिर लोक अदालतों ने कमाल किया. नेशनल लीगल सर्विसेज ऑथोरिटी यानी NALSA की पहल पर राज्यों, हाई कोर्ट, जिला स्तरीय विधिक सेवा प्राधिकरण के सहयोग से ये आयोजन एक बार फिर देश भर में लाखों मुकदमों का बोझ घटाने में कामयाब रहा. NALSA की ओर से जताई गई उम्मीद के मुताबिक इस आयोजन के दौरान 72.45 लाख मुकदमों की सुनवाई हुई. इनमें से 18 लाख 23 हजार मुकदमे तो अदालत की चौखट पर पहुंचने से पहले ही सुलझा लिए गए, जबकि 10 लाख 76 हजार मुकदमे वर्षों से लंबित पड़े थे.

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करीब साढ़े 72 लाख मुकदमों में से 29 लाख का तो सर्वसम्मति से निपटारा भी हो गया. यानी लीगल सर्विसेज ऑथोरिटी का ये आयोजन भी अपने मकसद में सफल रहा. लोकादकतों के देशव्यापी आयोजन के दौरान मोटर व्हीकल, एक्सीडेंट बीमा, क्लेम, चेक बाउंस, वैवाहिक या पारिवारिक विवाद, श्रम विवादों सहित लाखों सिविल क्रिमिनल मामलों पर सुनवाई और निपटारा हुआ.  प्री लिटिगेशन मामलों में 13 अरब रुपये से ज्यादा के विवाद पर सेटलमेंट हुआ. जबकि लंबित मुकदमों में सेटलमेंट राशि 30 अरब रुपये से ज्यादा की रही. यानी कुल 44 अरब 31 करोड़ रुपये से ज्यादा का विवाद सुलझा.

NALSA के सदस्य सचिव अशोक जैन के मुताबिक कोविड महामारी के दौरान हालांकि अदालतों में ऑनलाइन सुनवाई हो रही थी, लेकिन लंबित मुकदमों की संख्या काफी बढ़ी थी. हालांकि उस दौरान भी लोक अदालतें लगाई गई थीं. नालसा ने लगातार राज्य स्तरीय विधिक सेवा अधिकरण और अन्य स्टेक होल्डर्स के साथ रिव्यू मीटिंग और अन्य विकल्पों के साथ कंसल्टेशन जारी रखा. साल के आखिर में हुए इस लोक अदालतों के आयोजन का नतीजा इस साल में सर्वश्रेष्ठ रहा.

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