पुणे लोकसभा सीट पर उप चुनाव के मामले में निर्वाचन आयोग सुप्रीम कोर्ट पहुंच गया है. बॉम्बे हाईकोर्ट के फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी गई है. आयोग ने बॉम्बे हाईकोर्ट के तुरंत उपचुनाव कराने के आदेश पर रोक लगाने की मांग करते हुए अपनी अर्जी में कहा है कि 2024 लोकसभा चुनाव अब सिर पर आ गए हैं. आम चुनाव में अब कुछ ही समय बचा है. इसलिए अब उपचुनाव कराने का कोई फायदा नहीं है.
2019 में गिरीश बापट को मिली थी जीत
बॉम्बे हाईकोर्ट में जस्टिस कमल खाता और गैस्टिस गौतम पटेल की खंडपीठ ने 14 दिसंबर को दिए आदेश में केंद्रीय चुनाव आयोग (ECI) को पुणे लोकसभा सीट पर तुंरत उप चुनाव कराने को कहा था. पुणे लोकसभा सीट 2014 से बीजेपी के पास रही गई. 2019 के लोकसभा चुनाव में बीजेपी नेता गिरीश बापट यहां से जीते थे. उनका निधन उसी साल मार्च में हुआ.
तबसे ये सीट खाली है. हालांकि खाली होने के छह महीने के भीतर आयोग किसी भी चुनाव के साथ खाली सीट पर उपचुनाव कराने का नियम है, हालांकि मार्च के बाद तो मई में कर्नाटक और फिर नवंबर में पांच राज्यों में विधान सभा चुनाव हुए थे. लेकिन, पुणे की खाली लोकसभा सीट पर उपचुनाव नहीं हुआ. बापट के निधन के बाद से यह सीट नौ महीनों से खाली है. आयोग की तरफ से चुनाव नहीं कराने के समर्थन में दी गई दलीलों से हाई कोर्ट नाराज हुआ.
कोर्ट ने की ये टिप्पणी
कोर्ट ने अपनी टिप्पणी में कहा कि किसी भी क्षेत्र के लोगों को लंबे समय तक बिना प्रतिनिधितत्व के नहीं रखा जा सकता है. ऐसी स्थिति में चुनाव आयोग जल्द से जल्द चुनाव कराने की दिशा में कदम उठाए. सुनवाई के दौरान बॉम्बे हाईकोर्ट के जस्टिस कमल खाता और जस्टिस गौतम पटेल ने कहा कि आयोग की दलीलें अनुचित और अजीब हैं. पुणे लोकसभा सीट पर चुनाव नहीं करवाना संवैधानिक दायित्वों से मुंह मोड़ने जैसा है. हाई कोर्ट के इस आदेश के खिलाफ अब चुनाव आयोग सुप्रीम कोर्ट पहुंचा है. इस अर्जी पर सुप्रीम कोर्ट में जनवरी 2024 में सुनवाई होने की उम्मीद है.