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पुणे पोर्श कांड: किडनी और ड्रग्स केस में आरोपी होने के बावजूद MLA की सिफारिश पर हुई थी अजय तावरे की नियुक्ति, डीन का सनसनीखेज दावा

पुणे पोर्श कार दुर्घटना मामले में ससून अस्पताल के डीन विनायक काले ने आरोपी डॉ. अजय तावरे को लेकर बड़ा खुलासा किया है. इसके बाद डॉ. तावरे की मुश्किलें बढ़ सकती हैं.

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पुणे पोर्श कांड में आरोपी डॉ. अजय तावरे (फाइल फोटो)
पुणे पोर्श कांड में आरोपी डॉ. अजय तावरे (फाइल फोटो)

पुणे पोर्श कार दुर्घटना मामले (Pune Porsche Case) में नया अपडेट सामने आया है. ससून अस्पताल के डीन विनायक काले ने आरोपी डॉ. अजय तावरे को लेकर बड़ा खुलासा किया है. डॉ. विनायक काले ने कहा कि किडनी ट्रांसप्लांट और ललित पाटिल ड्रग्स मामले में आरोपी होने के बावजूद तावरे को फिर से अधीक्षक नियुक्त किया गया. इस पर बोलते हुए विधायक सुनील टिंगरे ने चिकित्सा शिक्षा मंत्री हसन मुश्रीफ से सिफारिश की. अधीक्षक पद पर नियुक्ति के दौरान अस्पताल में बाकी सभी असिस्टेंट प्रोफेसर थे. सीनियरटी के हिसाब से डॉ. तावरे ही एकमात्र प्रोफेसर थे. इन दोनों पहलुओं को ध्यान में रखते हुए उन्हें फिर से फोरेंसिक मेडिकल विभाग की जिम्मेदारी दी गई.

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इससे पहले ससून हॉस्पिटल के डीन ने डॉ. श्रीहरि हल्नोर को सेवा से बर्खास्त कर दिया और महाराष्ट्र के चिकित्सा शिक्षा और अनुसंधान निदेशालय को डॉ. अजय तवारे के खिलाफ भी एक्शन लेने के लिए कहा गया है. इसके अलावा जुवेनाइल जस्टिस बोर्ड के गैर-न्यायिक सदस्य एल.एन. दानवड़े के आचरण की जांच और पूछताछ के लिए महाराष्ट्र सरकार द्वारा पांच सदस्यीय SIT कमेटी का गठन किया गया है, जिसकी अध्यक्षता महिला एवं बाल विकास विभाग के उपायुक्त स्तर के अधिकारी करेंगे. 

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दोस्त के दावे से बढ़ सकती हैं नाबालिग की मुश्किलें

पुलिस सूत्रों ने बताया कि नाबालिग आरोपी ड्राइवर के एक दोस्त ने यह बात मानी है कि 19 मई को हुए हादसे के वक्त नाबालिग आरोपी ही पोर्श चला रहा था, जिसमें दो आईटी प्रोफेशनल्स की मौत हो गई थी.

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उन्होंने यह भी बताया कि 17 वर्षीय नाबालिग भी नशे में था. सूत्रों ने इंडिया टुडे टीवी को बताया कि आरोपी नाबालिग के दोस्त का बयान पुणे क्राइम ब्रांच ऑफिस में करीब 6 घंटे तक पूछताछ के बाद दर्ज किया गया. आरोपी के दोस्त ने दावा किया कि उसने (आरोपी) पोर्श कार चलाने से पहले शराब पी थी और बाद में कार हादसे का शिकार हुई. अपने पहले बयान में नाबालिग के एक दूसरे दोस्तों ने कहा था कि पोर्श कार नाबालिग नहीं बल्कि परिवार का ड्राइवर चला रहा था.

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नाबालिग को बचाने की कोशिश

पुणे पुलिस आयुक्त अमितेश कुमार ने बताया था कि मामले में यह दिखाने की कोशिश की गई थी कि हादसे के वक्त नाबालिग गाड़ी नहीं चला रहा था, बल्कि परिवार का ड्राइवर गंगाराम गाड़ी चला रहा था.

पुलिस को दिए गए अपने पहले बयान में गंगाराम ने भी यह दावा किया था कि पोर्श कार नाबालिग नहीं, बल्कि वही चला रहा था. 

नाबालिग के दादा पर ड्राइवर को धमकाने का आरोप

नाबालिग आरोपी के दादा (गिरफ्तार किए गए) पर गंगाराम को धमकाने और उसे पुलिस के सामने यह बयान देने के लिए मजबूर करने का आरोप है कि वह पोर्श चला रहा था. नाबालिग आरोपी मौजूदा वक्त में 14 दिनों के लिए चिल्ड्रेन ऑब्जर्वेशन सेंटर में है. उसने 19 मई को हादसे से पहले एक बार में शराब पी और फिर दूसरे बार में चला गया था.

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