महाराष्ट्र के पुणे पोर्श कांड में पुलिस की सबसे बड़ी लापरवाही सामने आई है. पोर्श कार से दो लोगों को कुचलने की घटना के बाद यरवदा पुलिस स्टेशन के दो अफसर घटनास्थल पर पहुंचे थे. लेकिन उन्होंने कंट्रोल रूम को इसकी सूचना नहीं दी थी.
इस मामले में इन दोनों अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई की जा सकती है. कहा जा रहा है कि इस दौरान जोन-1 के डीसीपी गिल भी नाइट राउंड पर थे. लेकिन उन्हें इस हादसे की कोई जानकारी नहीं दी गई क्योंकि इन दोनों अफसरों ने कंट्रोल रूम को सूचित ही नहीं किया.
इससे पहले पुणे एसपी ने प्रेस कॉन्फ्रेंस कर नाबालिग आरोपी के पिता के उन दावों पर साफ-साफ कहा था कि सीसीटीवी फुटेज से साफ है कि नाबालिग आरोपी ने अपने घर से गाड़ी बाहर निकाली थी. इसके साथ ही उन्होंने इन आरोपों को भी खारिज किया कि नाबालिग को घटना के बाद कस्टडी में पिज्जा और बर्गर खाने को दिया गया था.
उन्होंने कहा था कि ऐसा बताने के प्रयास किए गए कि नाबालिग घटना के समय गाड़ी नहीं चला रहा था. उसकी जगह कोई और गाड़ी चला रहा था. हम ड्राइवर पर सबूतों को नष्ट करने के लिए एफआईआर में धारा 201 जोड़ने जा रहे हैं. हम इसका भी पता लागएंगे कि ड्राइवर ने किसी दबाव में स्टेटमेंट दिया.
पुलिस सूत्रों के मुताबिक, 19 मई की इस घटना के बाद नाबालिग के पिता विशाल अग्रवाल ने अपने फैमिली ड्राइवर को फोन कर उसे पुलिस के पास जाने को कहा था. ड्राइवर से कहा गया था कि वह पुलिस के पास जाकर इस घटना की जिम्मेदारी ले ले. इसके बदले उसे कैश दिया जाएगा. इस वजह से ड्राइवर ने अपने पहले बयान में कहा कि वह कार चला रहा था. पुलिस ने शुक्रवार को विशाल अग्रवाल के खिलाफ सबूतों को नष्ट करने के आरोप में धारा 201 जोड़ दी है.
उन्होंने कहा कि पुलिस स्टेशन में नाबालिग को किसी तरह का स्पेशल ट्रीटमेंट नहीं दिया गया था. अगर यरवदा पुलिस की ओर से किसी तरह की लापवाही की गई होगी तो हम उस पर एक्शन लेंगे.
क्या है मामला?
हिट एंड रन की ये घटना 19 मई की है. पुणे के कल्याणी नगर इलाके में रियल एस्टेट डेवलपर विशाल अग्रवाल के 17 साल के बेटे ने अपनी स्पोर्ट्स कार पोर्श से बाइक सवार दो इंजीनियरों को रौंद दिया था, जिससे दोनों की मौत हो गई. इस घटना के 14 घंटे बाद आरोपी नाबालिग को कोर्ट से कुछ शर्तों के साथ जमानत मिल गई थी.
कोर्ट ने उसे 15 दिनों तक ट्रैफिक पुलिस के साथ काम करने और सड़क दुर्घटनाओं के प्रभाव-समाधान पर 300 शब्दों का निबंध लिखने का निर्देश दिया था. हालांकि, पुलिस जांच में सामने आया कि आरोपी शराब के नशे में था और बेहद तेज गति से कार को चला रहा था. इस समय नाबालिग सुधार गृह में है.
नाबालिग पर वयस्क की तरह केस चलाने की मांग
इस मामले में पुणे पुलिस कमिश्नर अमितेश कुमार ने कहा कि नाबालिग आरोपी पर एक वयस्क की तरह मुकदमा चलाया जाना चाहिए. इसके लिए पुलिस ने ऊपरी अदालत से अनुमति मांगी है. पुलिस कमिश्नर का यह बयान आरोपी नाबालिग को जमानत दिए जाने पर नाराजगी के बीच आया.
उन्होंने कहा कि आरोपी के खिलाफ आईपीसी की धारा 304 (गैर इरादतन हत्या), 304ए (लापरवाही से मौत) और मोटर वाहन अधिनियम की धाराओं के तहत मामला दर्ज किया गया है.