scorecardresearch
 

पुणे पोर्श कार हादसा: ब्लड सैंपल बदलने के मामले में 2 और आरोपी गिरफ्तार

पुणे स्थित ससून हॉस्पिटल के फॉरेंसिक डिपार्टमेंट के प्रमुख डॉ. अजय टावरे के मुताबिक, डॉ. हलनोरे ने ये सैंपल बदले थे. इसमें ससून अस्पताल का कर्मचारी अतुल घाटकांबले भी शामिल है. इन तीनों को पुलिस पहले ही गिरफ्तार कर चुकी है.

Advertisement
X
पुणे पोर्श कार हादसा (फाइल फोटो)
पुणे पोर्श कार हादसा (फाइल फोटो)

पुणे पोर्श कार दुर्घटना (Pune Porsche Crash) में पुणे क्राइम ब्रांच ने खून के सैंपल की अदला-बदली के मामले में कल यानी सोमवार देर रात दो और लोगों को गिरफ्तार किया है. नाबालिग आरोपी के खून के सैंपल उसकी मां के साथ बदले जाने के बाद शिवानी अग्रवाल को गिरफ्तार किया गया. लेकिन दुर्घटना की रात नाबालिग आरोपी के साथ कार में उसके दो और दोस्त मौजूद थे. दोनों के ब्लड सैंपल भी बदले गए थे. इनमें से एक सैंपल उसके पिता के साथ बदला गया था, उसके बाद दूसरे सैंपल को किसी और व्यक्ति के साथ बदला गया. आखिरकार दोनों व्यक्तियों को पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया, सीपी अमितेश कुमार ने इस बात की पुष्टि की है.

Advertisement

ससून हॉस्पिटल के फॉरेंसिक डिपार्टमेंट के प्रमुख डॉ. अजय टावरे के मुताबिक, डॉ. हलनोरे ने ये सैंपल बदले थे. इसमें ससून अस्पताल का कर्मचारी अतुल घाटकांबले भी शामिल है. इन तीनों को पुलिस पहले ही गिरफ्तार कर चुकी है. इसके साथ ही, पूरे मामले में कुल 900 पन्नों की चार्जशीट दाखिल की गई है.

चार्जशीट में शामिल हैं 50 गवाहों के बयान

अतिरिक्त पुलिस आयुक्त शैलेश बलकवड़े ने कहा, "हमने पुणे की एक कोर्ट में सात आरोपियों के खिलाफ 900 पेज का आरोपपत्र दायर किया है, जिसमें नाबालिग के माता-पिता, ससून जनरल अस्पताल के दो डॉक्टर और एक कर्मचारी और दो बिचौलिए शामिल हैं." पुलिस के इस भारी-भरकम चार्जशीट में 50 गवाहों के बयान शामिल हैं. अतिरिक्त पुलिस आयुक्त बलकावड़े ने कहा कि आरोपपत्र में दुर्घटना प्रभाव विश्लेषण रिपोर्ट, तकनीकी सबूत, फोरेंसिक प्रयोगशाला और डीएनए रिपोर्ट शामिल हैं.

Advertisement

पुलिस ने फोरेंसिक विशेषज्ञ की मदद से दुर्घटना प्रभाव विश्लेषण रिपोर्ट तैयार की थी. रिपोर्ट का उद्देश्य दुर्घटना में शामिल मोटरसाइकिल पर पोर्श कार के प्रभाव को सहसंबंधित करना और मरने वाले आईटी पेशेवरों की चोटों के साथ भी संबंध स्थापित करना है.

यह भी पढ़ें: पुणे पोर्श केस: नाबालिग आरोपी ने सीखा गाड़ी चलाना, कोर्ट के आदेश पर RTO में हुई 15 दिन ट्रेनिंग

क्या है पूरा मामला?

महाराष्ट्र के पुणे में 19 मई को एक पोर्श कार हादसे में दो सॉफ्टवेयर इंजीनियर अनीश अवधिया और अश्विनी कोष्टा की मौत हो गई थी. इस दौरान जो युवक कार चला रहा था, वो नाबालिग था. कथित तौर पर नाबालिग आरोपी नशे की हालत में था और काफी स्पीड से पोर्श कार चला रहा था. नाबालिग आरोपी को उसी दिन किशोर न्याय बोर्ड ने जमानत दे दी थी और उसे अपने माता-पिता और दादा की देख-रेख में रखने का आदेश दिया. इसके साथ ही कोर्ट ने ये शर्त भी रखी थी कि नाबालिग आरोपी को सड़क सुरक्षा पर 300 शब्दों का निबंध लिखना होगा. 

हालांकि, बाद में पुलिस ने बोर्ड के समक्ष एक आवेदन दायर किया, जिसमें जमानत के आदेश में संशोधन की मांग की गई थी. इसके बाद, 22 मई को बोर्ड ने नाबालिग आरोपी को हिरासत में लेने और उसे बाल सुधार गृह में भेजने का आदेश दिया था.

Advertisement

यह भी पढ़ें: पुणे पोर्श केस: नाबालिग के दो दोस्तों के खून के नमूने भी बदले गए, प्रॉसिक्यूशन ने कोर्ट को दी जानकारी

इसके बाद मामले में जांच के दौरान पुलिस को ब्लड सैंपल में हेरा-फेरी किए जाने की जानकारी मिली और आईपीसी की धारा 201 (साक्ष्यों को गायब करना), 120 बी (आपराधिक साजिश), 467 (मूल्यवान सुरक्षा की जालसाजी), 213 (अपराधी को सजा से बचाने के लिए गिफ्ट लेना) और 214 (नाबालिग के खिलाफ दर्ज मूल अपराध के लिए अपराधी की जांच के लिए उपहार या संपत्ति की बहाली की पेशकश) जोड़ी गई.
इसके अलावा, मुख्य अपराध आईपीसी की धारा 304 (गैर इरादतन हत्या), 304ए (लापरवाही से मौत का कारण बनना), 279 (तेज गाड़ी चलाना) और मोटर वाहन अधिनियम की संबंधित धाराओं के तहत दर्ज किया गया था. 

Live TV

Advertisement
Advertisement