महाराष्ट्र के पुणे में एक नाबालिग ने रात के अंधेरे में लग्जरी पोर्श कार से दो लोगों को रौंद दिया था. आरोपी के नाबालिग होने की वजह से जुवेनाइल जस्टिस बोर्ड (जेजेबी) के सदस्यों ने उससे 300 शब्दों का निबंध लिखकर छोड़ दिया था. लेकिन इस मामले के तूल पकड़ने पर जांच की दिशा ही बदल गई थी. नाबालिग को जमानत देने वाले जुवेनाइल बोर्ड के दो सदस्यों की जांच कर रही समिति ने अनुशासनात्मक कार्रवाई की सिफारिश की है.
जांच समिति का कहना है कि आरोपी नाबालिग को जमानत देने की प्रक्रिया में कई खामियां थीं. जेजेबी सदस्य एलएन दान्वडे ने नाबालिग को सड़क सुरक्षा पर 300 शब्दों का निबंध लिखने के बाद जमानत दे दी थी, जिसके बाद से देशभर में लोगों में रोष था. बाद में महाराष्ट्र सरकार के महिला एवं बाल कल्याण विभाग ने नाबालिग को जमानत देने के लिए जुवेनाइल बोर्ड के दो सदस्यों की जांच के लिए एक समिति का गठन किया था. इस रिपोर्ट में कहा गया था कि जुवेनाइल बोर्ड के सदस्यों ने जमानत देने के लिए प्रक्रियात्मक कमियां थी और नियमों का पालन नहीं किया गया था.
इसी रिपोर्ट में कहा गया कि महिला एवं बाल विकास मंत्रालय की ओर से गठित की गई समिति ने जुवेनाइल बोर्ड के दोनों सदस्यों के बयान दर्ज किए थे. मंत्रालय के एक अधिकारी ने पहचान उजागर नहीं करने की शर्त पर बताया था कि इस रिपोर्ट में समिति ने प्रक्रियात्मक कमियों के लिए जुवेनाइल बोर्ड के दो सदस्यों के खिलाफ कार्रवाई करने की सिफारिश की है.
इसके बाद जुवेनाइल बोर्ड के सदस्यों को कारण बताओ नोटिस जारी कर उनसे जवाब मांगा गया था. लेकिन इनके जवाब संतोषजनक नहीं होने की वजह से हमने राज्य सरकार को पत्र लिखा और दोनों सदस्यों के खिलाफ अनुशासनात्मक एक्शन की मांग की.
क्या है मामला?
पुणे के कल्याणी नगर इलाके में 19 मई को रियल एस्टेट डेवलपर विशाल अग्रवाल के 17 साल के बेटे ने अपनी स्पोर्ट्स कार पोर्श से एक बाइक सवार को टक्कर मार दी थी. इस घटना में बाइक सवार दो लोगों की मौत हो गई थी.
घटना के 14 घंटे बाद नाबालिग आरोपी को कोर्ट से कुछ शर्तों के साथ जमानत मिल गई थी. कोर्ट ने उसे 15 दिनों तक ट्रैफिक पुलिस के साथ काम करने और सड़क दुर्घटनाओं के प्रभाव-समाधान पर 300 शब्दों का निबंध लिखने का निर्देश दिया था. हालांकि, पुलिस जांच में सामने आया कि आरोपी शराब के नशे में था और बेहद तेज गति से कार को चला रहा था. नाबालिग इस समय सुधार गृह में है.
पुलिसकर्मियों की लापरवाही
हादसे के बाद सबसे पहले यरवदा पुलिस स्टेशन के दो अफसर घटनास्थल पर पहुंचे थे. लेकिन उन्होंने ना अफसरों को सूचना दी और ना कंट्रोल रूम को बताना जरूरी समझा. जोन-1 के डीसीपी गिल भी नाइट राउंड पर थे. उन्हें भी जानकारी नहीं दी गई थी. बाद में पुलिस ने दोनों अफसरों पर एक्शन लिया और उन्हें सस्पेंड कर दिया. दोनों अफसरों के नाम पुलिस निरीक्षक राहुल जगदाले और एपीआई विश्वनाथ टोडकरी हैं. आरोप है कि संबंधित अफसरों ने अपराध की देरी से रिपोर्ट की और कर्तव्य में लापरवाही बरती. आरोपी नाबालिग को मेडिकल परीक्षण के लिए भी लेकर नहीं गए थे.
जांच प्रभावित करने की कोशिश!
घटना के बाद वडगांव शेरी के विधायक सुनील टिंगरे भी सुबह-सुबह यरवदा पुलिस स्टेशन पहुंचे थे. उनके थाने जाने से विवाद खड़ा हो गया था. आरोप है कि उन्होंने नाबालिग के पक्ष में जांच को प्रभावित करने की कोशिश की थी. क्योंकि उन्हें रियल एस्टेट कारोबारी विशाल अग्रवाल का करीबी माना जाता है.