पंजाब और हरियाणा बॉर्डर पर पिछले 52 दिनों से आमरण अनशन पर बैठे किसान नेता जगजीत सिंह डल्लेवाल का 20 किलो वजन कम हो गया है. एक किसान नेता ने बताया कि जब उन्होंने (डल्लेवाल) आमरण अनशन किया था तो उनका वजन 86.9 किलोग्राम से घटकर 66.4 किलोग्राम हो गया है.
किसान नेता अभिमन्यु कोहर ने गुरुवार को खनौरी बॉर्डर पर मीडिया को संबोधित करते हुए कहा, डल्लेवाल का वजन एक डिजिटल वजन करने वाली मशीन से तोला गया. जिससे पता चला है कि उनके शरीर के वजन में अब तक 23.59 प्रतिशत की कमी आई है. जब उन्होंने अनशन शुरू किया तो उनका वजन 86.9 किलोग्राम था जो अब घटकर 66.4 किलोग्राम हो गया है.
पटियाला के राजिंदरा मेडिकल कॉलेज के डॉ. हरिंदर सिंह ने कहा कि डल्लेवाल के शरीर में कीटोन का लेवल सकारात्मक है. कीटोन का उच्च स्तर इंगित करता है कि शरीर ग्लूकोज के बजाय ऊर्जा के लिए संग्रहीत वसा का उपयोग कर रहा है.
'डिहाइड्रेशन से जूझ रहे हैं डल्लेवाल'
डल्लेवाल की सेहत के बारे में जानकारी देते हुए, डॉ. ने कहा, उनका BP (ब्लड प्रेशर) 120/70 और पल्स रेट 80 थी. डॉक्टर ने कहा कि उनका स्वास्थ्य हर दिन बिगड़ रहा है और वह डिहाइड्रेशन से जूझ रहे हैं.
किसानों के अनुसार, डल्लेवाल में कीटोन का लेवल 0.02-0.27 की नॉर्मल रेंज के मुकाबले 6.50 mmol/L (मिलीमोल्स प्रति लीटर) था. उन्होंने पहले कहा था कि उनका शरीर पानी भी स्वीकार नहीं कर रहा है और जब भी वह पानी पीते हैं तो उन्हें उल्टी हो जाती है.
SC ने मांगी डल्लेवाली की हेल्थ रिपोर्ट
इससे पहले बुधवार को सुप्रीम कोर्ट ने पंजाब सरकार से एम्स मेडिकल बोर्ड से राय लेने के लिए कहा है और उनकी हेल्थ रिपोर्ट की एक कॉपी कोर्ट में भी जमा करने का निर्देश दिया है. पीठ ने शीर्ष अदालत के रजिस्ट्रार को यह भी निर्देश दिया कि वह मेडिकल बोर्ड से डल्लेवाल की जांच रिपोर्ट पर राय के लिए एम्स निदेशक को रिपोर्ट भेजे.
वहीं, डल्लेवाल ने अपने आमरण अनशन के दौरान कोई भी मेडिकल सहायता लेने से इनकार कर दिया है, जिससे उनका स्वास्थ्य लगातार बिगड़ रहा है.
111 किसानों का जारी है आमरण अनशन
इस बीच 111 किसानों के ग्रुप का आमरण अनशन दूसरे दिन भी जारी रहा. किसानों के ग्रुप ने डल्लेवाल के समर्थन में खनौरी के निकट हरियाणा सीमा पर अपना अनिश्चितकालीन अनशन शुरू किया है.
एसकेएम (गैर-राजनीतिक) और किसान मजदूर मोर्चा के बैनर तले किसान पिछले साल 13 फरवरी से पंजाब और हरियाणा के बीच शंभू और खनौरी बॉर्डर पर डेरा डाले हुए हैं, जब सुरक्षाबलों ने उन्हें दिल्ली तक मार्च करने की अनुमति नहीं दी थी. अपनी फसलों के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) की कानूनी गारंटी सहित अपनी विभिन्न मांगों के लिए दबाव डालें.