फारस की खाड़ी में बसे कतर की आबादी मात्र 29 लाख है. इस 29 लाख की आबादी में 8 लाख 35 हजार तो भारतीय हैं. लेकिन इंडिया के त्रिपुरा (10,486 वर्ग किलोमीटर) जितने क्षेत्रफल वाला कतर (11,571 वर्ग किलोमीटर ) भारत की एनर्जी सिक्योरिटी का भरोसेमंद पार्टनर है. भारत न सिर्फ ऊर्जा के लिए बल्कि कूटनीतिक और सामरिक एगेंजमेंट के लिए भी कतर से घने और दोस्ताना रिश्ते रखता है.
सोमवार शाम नई दिल्ली पहुंचे कतर के अमीर शेख तमीम बिन हमाद अल थानी की आगवानी करने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी एयरपोर्ट पहुंच गए. पीएम मोदी ने कतर के अमीर भाई कहकर संबोधित किया. उन्होंने कतर के अमीर के स्वागत की तस्वीरें एक्स पर पोस्ट करते हुए लिखा, "मेरे भाई कतर के अमीर शेख तमीम बिन हमाद अल-थानी के स्वागत के लिए एयरपोर्ट गया था. आशा करता हूं कि उनकी भारत यात्रा सफल रहेगी. मंगलवार को होने वाली मुलाकeत को लेकर उत्साहित हूं."
कतर के अमीर को लेकर भारत के उत्साह पर अगर आप जिज्ञासु हैं तो जान लें कि कतर ने हाल ही में इंडियन नेवी के 8 ऐसे पूर्व अफसरों की मौत की सजा खत्म कर दी है, जिन्हें कतर में कथित तौर पर जासूसी के लिए दोषी ठहराया गया था. इनमें से 7 पूर्व अफसर भारत लौट चुके हैं. जबकि 8वें अफसर को भी भारत लाने के लिए वार्ताएं चल रही हैं.
इंडिया का 'अरब ड्रीम'
आम भाषा में कहें तो इंडिया का 'अरब ड्रीम' खाड़ी क्षेत्र में भारत की रणनीतिक, सामरिक, आर्थिक और सांस्कृतिक महत्वाकांक्षाओं के उभरने और फलने-फूलने की कहानी है. भारत के इस सपने को साकार करने में कतर जबर्दस्त रूप से मददगार रहा है. कतर के अमीर के दो दिनों के भारत दौरे में इन विषयों पर गंभीर और प्रभावी चर्चा होने की उम्मीद है.
भारत के लिए अहम है कतर की LNG-LPG
इंटरनेशनल एनर्जी एजेंसी के अनुसार 2024 में भारत ने तकरीबन 65 अरब घन मीटर गैस की खपत की है. 2030 तक ये जरूरत 120 अरब घन मीटर हो जाएगी. सवाल है कि भारत में तो प्राकृतिक गैस इतनी बड़ी मात्रा में है नहीं फिर भारत ये गैस मंगाता कहां से है? भारत की इसी चिंता का जवाब है कतर में मौजूद भारी मात्रा में लिक्वीफाइड प्राकृतिक गैस.
A special gesture for a special friend!
— Randhir Jaiswal (@MEAIndia) February 17, 2025
PM @narendramodi welcomed HH Sheikh @TamimbinHamad Al-Thani, Amir of the State of Qatar, at the airport, as he arrived in New Delhi on his second State visit to India.
The visit will further strengthen the bonds of 🇮🇳-🇶🇦 partnership. pic.twitter.com/zsIS0pdPFc
कतर में मौजूद भारतीय दूतावास के मुताबिक कतर भारत का सबसे बड़ा LNG (लिक्विफाइड नेचुरल गैस) सप्लायर है. वित्तीय वर्ष 2022-23 में भारत ने कतर से 10.74 मिलियन मिट्रिक टन का LNG मंगाया. इसकी कीमत 8.32 अरब डॉलर थी. ये भारत के कुल LNG आयात का 48 प्रतिशत है. यानी कि भारत अपने कुल LNG आयात का आधा सिर्फ कतर से ही मंगाता है.
कतर भारत का सबसे बड़ा LPG सप्लायर भी है. वित्तीय वर्ष 2022-23 में भारत ने कतर से 5.33 मिलियन मिट्रिक टन एलपीजी का आयात किया. इसकी कीमत 4.04 अरब डॉलर है. भारत अपने कुल LPG आयात का 29 फीसदी सिर्फ कतर से मंगाता है.
एलएनजी के अलावा भारत कतर से एथिलीन, प्रोपलीन, अमोनिया, यूरिया और पॉलीइथिलीन भी आयात करता है.
भारत और कतर के बीच वित्तीय वर्ष 2022-23 में 18.78 बिलियन डॉलर का व्यापार हुआ है. इसमें भारत द्वारा कतर से 16.81 अरब डॉलर की खरीद और मात्र 1.97 अरब डॉलर की बिक्री है.
यानी की दोनों देशों के बीच हो रहे बिजनेस में व्यापार संतुलन कतर के पक्ष में बना हुआ है. इसलिए भारत ही नहीं कतर भी इंडिया जैसे मालदार ग्राहक के आव-भाव में लगा रहता है.
भारत जैसे ग्राहक को विशेष तरजीह देता है कतर
गौरतलब है कि कतर के तीन टॉप ग्राहकों में भारत का नंबर तीसरा है. कतर से सामान खरीदने में भारत का नंबर चीन और जापान के बाद तीसरे नंबर पर आता है. इसलिए कतर भारत को विशेष ऑफर भी देता है.
2016 में कतर ने भारत के लिए LNG की कीमतों में 50 फीसदी से ज्यादा की कटौती कर दी थी. तत्कालीन पेट्रोलियम मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने कहा था कि कतर से कई दौर की वार्ता के बाद वहां की सरकार LNG की कीमतें 5 डॉलर प्रति मीट्रिक मिलियन ब्रिटिश थर्मल यूनिट करने पर राजी हो गया थै.
इससे पहले 2015 में भारत को कतर से 12 डॉलर प्रति मीट्रिक मिलियन ब्रिटिश थर्मल यूनिट के दर से लिक्विफाइड नेचुरल गैस खरीदनी पड़ती थी. भारत को इस डील से अरबों डॉलर का फायदा हुआ था.
कतर के साथ अच्छे बिजनेस डील की वजह से भारत ने 2003 से लेकर अगले 11 साल तक गैस डील पर 15 अरब डॉलर बचाये. ऐसा कतर द्वारा कम कीमतों पर भारत को गैस बेचने के कारण संभव हो सका है.
कतर चैंबर ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री (QCCI) के अनुसार, कतर में 15000 से अधिक बड़ी और छोटी भारतीय कंपनियां संचालित हैं, जो पूर्ण स्वामित्व वाली और संयुक्त उद्यम हैं.
छोटे कतर का बड़ा रोल
कतर अपनी छोटी भौगोलिक सीमा के बावजूद अंतर्राष्ट्रीय कूटनीतिक और सामरिक विवादों को सुलझाने में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वाले देश के रूप में ऊभर रहा है. ऐसा कतर की स्वतंत्र विदेश नीति, आर्थिक शक्ति, अंतर्राष्ट्रीय मीडिया प्रभुत्व के कारण संभव हो सका है.
बता दें कि कतर अपनी विदेश नीति में स्वतंत्र रहा है, जिसने उसे विभिन्न देशों और समूहों के साथ संवाद का मौका दिया है. यह दोहा को एक तटस्थ मध्यस्थ के रूप में स्थापित करता है. छोटी आबादी, पेट्रो प्रॉडक्ट की प्रचुर मात्रा और बंपर विदेशी मुद्रा के दम पर कतर दुनिया में बड़ा रोल निभाने की महात्वाकांक्षा रख रहा है.
अल जजीरा जैसे अंतर्राष्ट्रीय अंग्रेजी चैनलों के माध्यम से कतर वैश्विक मुद्दों पर नैरेटिव सेट करता है, जो मध्यस्थ की भूमिका निभाने के लिए जमीन तैयार करता है.
तालिबान ने कतर में क्यों बनाया है अपना दफ्तर
तालिबान के साथ वार्ता: कतर ने अफगानिस्तान में शांति प्रक्रिया में एक केंद्रीय भूमिका निभाई. 2020 में, कतर की राजधानी दोहा में, संयुक्त राज्य अमेरिका और तालिबान के बीच शांति समझौता हुआ, जिसने अफगानिस्तान से अमेरिकी सैनिकों की वापसी की नींव रखी. कतर ने तालिबान के लिए एक राजनयिक कार्यालय स्थापित किया, जो वार्ता के लिए एक प्रमुख स्थान बन गया.
कतर में ही भारतीय अधिकारियों की तालिबानी नेताओं से मुलाकात होती आ रही है. 2021 कतर के वरिष्ठ अधिकारियों ने बताया था कि भारतीय अधिकारियों ने तालिबानी नेताओं से गुपचुप मुलाकात की थी. इन मुलाकात के बाद भी तालिबान और भारत के रिश्तों में गर्माहट आई थी.
इजरायल-हमास जंग: कतर ने इजरायल और हमास के बीच विवादों को सुलझाने में भी अपनी मध्यस्थता का परिचय दिया है. फिलीस्तीन के आतंकी संगठन हमास का राजनीतिक नेतृत्व कतर से ही ऑपरेट करता रहा है. इसके अलावा, कतर ने इजरायल और हमास के बीच कैदियों की रिहाई और युद्धविराम समझौतों में अहम मध्यस्थता की है.
कतर ने गाजा में मानवीय सहायता प्रदान करने में मदद की है, जिसमें धन और जरूरी वस्तुओं की आपूर्ति शामिल है. कतर ने गाजा के पुनर्निर्माण के लिए फंडिंग भी की है, जो अक्सर युद्ध के बाद के तनाव को कम करने में सहायक होता है.
हालांकि, यह भी ध्यान देने योग्य है कि कतर की ऐसी भूमिका कभी-कभी अन्य देशों के साथ राजनयिक तनाव का कारण भी बनी है, जैसा कि 2017 के कतर संकट में देखा गया था, जब कई खाड़ी देशों ने कतर के साथ राजनयिक संबंध तोड़ लिए थे.
तब भारत ने कतर से निभाई दोस्ती
2017 जून की गर्मियों में खाड़ी की राजनीति में तब उबाल आ गया जब 5 जून को सऊदी अरब, UAE, बहरीन और इजिप्ट ने कतर से अपने कूटनीतिक रिश्ते खत्म कर लिए. इन देशों ने कतर के विमानों का अपने हवाई क्षेत्र में प्रवेश रोक दिया. सऊदी अरब इस मुहिम की अगुवाई कर रहा था. सऊदी अरब ने कतर के लिए जा रहे समुद्री-सड़क और हवाई रास्तों को ब्लॉक कर दिया था. सऊदी ने आरोप लगाया कि कतर आतकंवाद को समर्थन दे रहा है. कतर पर मुस्लिम ब्रदरहूड और और IS को भी समर्थन देने के आरोप लगे. हालांकि कतर ने इन आरोपों को नकार दिया.
इस दौरान भारत ने तटस्थता की नीति अपनाई. भारत ने ऐन मौके पर सऊदी अरब और UAE के साथ अपने रिश्तों को तौलते हुए संयम के साथ काम लिया. इंडिया ने रूट ब्लॉकेज की वजह से कतर को किए जाने वाले निर्यात को कुछ दिन के लिए स्थगित कर दिया. लेकिन स्थिति सामान्य होते ही भारत ने अपने रिश्ते सामान्य कर दिए. भारत कतर के साथ अपने रिश्तों को स्थापित करने में बाहरी दबाव के सामने नहीं झुका और सिर्फ और सिर्फ अपने और दोहा के हितों का ख्याल किया.
रक्षा सहयोग
रक्षा सहयोग भारत कतर के द्विपक्षीय एजेंडे का एक महत्वपूर्ण स्तंभ है. बता दें कि भारत कतर सहित कई साझेदार देशों को अपने रक्षा संस्थानों में
ट्रेनिंग देता है. भारत कतर में द्विवार्षिक दोहा अंतर्राष्ट्रीय समुद्री रक्षा प्रदर्शनी और सम्मेलन (DIMDEX) में नियमित रूप से भाग लेता है. भारतीय नौसेना और तटरक्षक जहाज द्विपक्षीय सहयोग और बातचीत के हिस्से के रूप में नियमित रूप से कतर का दौरा करते हैं. भारत-कतर रक्षा सहयोग समझौता, नवंबर 2008 में पीएम की कतर यात्रा के दौरान वजूद में आया था. नवंबर 2018 में पांच साल की अवधि के लिए आगे बढ़ाया गया था.