कतर की अदालत द्वारा 8 पूर्व भारतीय नौसेना कर्मियों को दी गई मौत की सजा को रद्द करने के एक दिन बाद भारत ने अपने अगले कदम को लेकर प्रतिक्रिया दी है. विदेश मंत्रालय ने शुक्रवार को कहा कि वह मामले में कतर की अदालत के फैसले का अध्ययन करेगा, पूर्व नौसैनिकों की कानूनी टीम और परिवार के सदस्यों के साथ चर्चा करने के बाद मामले में अगले संभावित कदमों का पता लगाएगा.
कतर की अपील अदालत ने गुरुवार को भारतीयों को दी गई मौत की सजा को कम कर दिया और उन्हें अलग-अलग अवधि के लिए जेल की सजा सुनाई. बता दें कि कतर की एक अन्य अदालत ने पहले इन पूर्व नौसैनिकों को मौत की सजा सुनाई थी. इस आदेश के खिलाफ उनके परिवार के सदस्यों ने वहां के कोर्ट ऑफ अपील में याचिका दायर की थी.
फैसला पढ़ने के बाद ही अगले कदम पर विचार करेंगे: MEA
विदेश मंत्रालय (MEA) के प्रवक्ता अरिंदम बागची ने अपने साप्ताहिक मीडिया ब्रीफिंग में कहा, 'जब तक मैं फैसला पढ़ नहीं लेता, तब तक आपके साथ साझा करने के लिए मेरे पास कोई अतिरिक्त जानकारी नहीं है'. उन्होंने मीडिया कर्मियों के प्रश्नों का जवाब देते हुए कहा, 'सजाएं कम कर दी गई हैं. लेकिन जब तक हमारे पास फैसले से जुड़ा विवरण नहीं है, मैं टिप्पणी नहीं करना चाहता. हम निश्चित रूप से कानूनी टीम और परिवार के सदस्यों के साथ अगले संभावित कदमों पर चर्चा करेंगे'.
भारतीय और उनके परिवाह के हित हमारी प्राथमिकता: MEA
मीडिया कर्मियों ने एमईए प्रवक्ता से कहा, यह पता चला है कि पूर्व भारतीय नौसेना कर्मियों को दी गई जेल की सजा तीन साल से 25 साल तक है? इसके जवाब में अरिंदम बागची ने कहा, 'हम आपसे फिर से आग्रह करेंगे कि अटकलों में शामिल न हों. भारतीयों और उनके परिवार के सदस्यों के हित हमारी सबसे बड़ी प्राथमिकता है. हम मामले की शुरुआत से ही उनके साथ खड़े हैं और हम सभी कांसुलर और कानूनी सहायता देना जारी रखेंगे. हम इस मामले को कतर के अधिकारियों के साथ भी उठाना जारी रखेंगे.'
कतर में पिछले साल अगस्त में गिरफ्तार हुए थे आठ भारतीय
कतर की एक निजी कंपनी अल दहरा में काम करने वाले भारतीय नागरिकों को कथित तौर पर जासूसी के एक मामले में पिछले साल अगस्त में गिरफ्तार किया गया था. न तो कतरी अधिकारियों और न ही नई दिल्ली ने भारतीय नागरिकों के खिलाफ आरोपों को सार्वजनिक किया है. नौसेना के आठ पूर्व कर्मियों के खिलाफ आरोप 25 मार्च को दायर किए गए थे और उन पर कतरी कानून के तहत मुकदमा चलाया गया था. सभी पूर्व अधिकारियों का भारतीय नौसेना में 20 वर्षों तक का कार्यकाल बेदाग रहा. वे इंडियन नेवी में इंस्ट्रक्टर्स और ट्रेनर्स जैसे महत्वपूर्ण पदों पर रहे.