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प्रसाद में चर्बी का दावा... हकीकत या फसाना? जानें- रिपोर्ट की टाइमिंग पर क्यों उठे सवाल, फांसी और CBI जांच तक की मांग

भगवान तिरुपति बालाजी के प्रसाद में मिलावट की रिपोर्ट आने के बाद से सियासी धर्म युद्ध छिड़ गया है. आलम ये है कि मामले में फांसी और सीबीआई जांच तक की मांग हो गई है. दरअसल, आंध्र प्रदेश के सीएम चंद्रबाबू नायडू के पिछली जगनमोहन रेड्डी सरकार पर मंदिर में प्रसाद में घी की जगह मछली का तेल और जानवरों की चर्बी मिलाई जाने के आरोपों के बाद से विवाद जारी है.

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तिरुपति मंदिर के लड्डू प्रसादम में पशु चर्बी मिलने की बात से हंगामा.
तिरुपति मंदिर के लड्डू प्रसादम में पशु चर्बी मिलने की बात से हंगामा.

आंध्र प्रदेश के विश्व प्रसिद्ध तिरुपति बालाजी मंदिर में मिलने वाले प्रसाद के लड्डू में मिलावट को लेकर पूरे देश में गुस्सा है. करोड़ों सनातन प्रेमियों की आस्था के केंद्र भगवान तिरुपति बालाजी के प्रसाद में मिलावट की रिपोर्ट आने के बाद से सियासी धर्म युद्ध छिड़ गया है. आलम ये है कि मामले में फांसी और सीबीआई जांच तक की मांग हो गई है. दरअसल, आंध्र प्रदेश के सीएम चंद्रबाबू नायडू के पिछली जगनमोहन रेड्डी सरकार पर मंदिर में प्रसाद में घी की जगह मछली का तेल और जानवरों की चर्बी मिलाई जाने के आरोपों के बाद से विवाद जारी है. 

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वहीं, वाईएसआर कांग्रेस के अध्यक्ष और आंध्र के पूर्व सीएम जगन मोहन रेड्डी ने नायडू पर पलटवार करते हुए कहा है कि अपनी सरकार के 100 दिन की नाकामी छुपाने के लिए चंद्रबाबू नायडू भगवान के नाम पर राजनीति कर रहे हैं क्योंकि, उनके सभी आरोप निराधार हैं. अब इस मामले में देश भर के संतों में भी नाराजगी देखी जा रही है. संत कह रहे हैं कि आस्था से खिलवाड़ बर्दाश्त नहीं करेंगे.

आंध्रप्रदेश के सीएम चंद्रबाबू नायडू ने दावा किया था कि पिछली जगनमोहन सरकार में तिरुपति बालाजी मंदिर में मिलने वाले प्रसाद में जानवरों की चर्बी और मछली के तेल का इस्तेमाल किया जा रहा था. जुलाई में लिए गए प्रसाद के सैंपल में इसकी पुष्टि भी हुई है. सीएम नायडू ने कहा कि जगनमोहन सरकार ने करोड़ों हिंदुओं की आस्था के साथ खिलवाड़ किया. उन्होंने कहा कि मेरी सरकार आने के बाद इस पर रोक लगाई गई है. जो अभी रिपोर्ट सामने आई है ये जुलाई में लिए गए प्रसाद के सैंपल की है.

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12 जून को लिए गए थे सैंपल

दरअसल, आंध्र प्रदेश में सत्ता बदलते ही 12 जून को ही तिरुपति मंदिर के प्रसाद में इस्तेमाल होने वाले घी की जांच के नमूने लिए गए थे. जांच रिपोर्ट 23 जून तक तैयार हो गई, लेकिन खुलासा सितंबर में हुआ जब नायडू सरकार के 100 दिन पूरे हुए. जो रिपोर्ट सामने आई उसमें लड्डू बनाने वाले घी में जो चीजें पाई गई थीं, वो बताती थी कि इसमें गाय के शुद्ध घी की जगह अन्य तिलहन और वस्पतियों के अलावा मछली के तेल और अन्य जानवरों की चर्बी हो सकती है. ये जांच नेशनल डेयरी डेवलपमेंट बोर्ड यानी एनडीडीबी के सेंटर फॉर एनालिसिस एंड लर्निंग इन लाइवस्टॉक एंड फूड यानी सीएएलएफ लैब में कराई गई थी.

देश में सियासत का धर्मयुद्ध छिड़ा

सवाल आस्था से खिलवाड़ का है. वो भक्त जिनके चढ़ावे से तिरुपति बालाजी दुनिया के सबसे अमीर मंदिरों में से एक बना है. वो भक्त जो अपने साथ सिर्फ प्रसाद लेकर नहीं जाते बल्कि प्रसाद के रूप में भगवान का आशीर्वाद लेकर जाते हैं. इसलिए ये खबर सीधे तौर पर करोड़ों श्रद्धालुओं से जुड़ी है. ऐसे में सवाल है कि आखिर उनकी आस्था से खिलवाड़ का जिम्मेदार कौन है? सवाल है कि तिरुपति बालाजी मंदिर के पवित्र प्रसाद में किसने और क्यों मिलावट की? फिलहाल प्रसाद में महापाप की खबर से देश की सियासत में धर्मयुद्ध छिड़ गया है. ऐसे में ये भी सवाल उठने लगे हैं कि प्रसाद में चर्बी का दावा हकीकत है या फसाना? 

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सीबीआई जांच से लेकर फांसी तक की मांग

महाप्रसाद में मिलावट की खबरों पर बयानों की बारिश हो रही है. इस बीच केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री जेपी नड्डा ने आंध्र के सीएम चंद्रबाबू नायडू से फोन पर बात की और प्रसाद की रिपोर्ट मांगी है. साथ ही जेपी नड्डा ने जांच के बाद कार्रवाई का भरोसा दिया है. लेकिन इस खुलासे के बाद एक तरफ देश भर में सनातनियों के बीच आक्रोश दिख रहा है. सुप्रीम कोर्ट से लेकर हाईकोर्ट तक अर्जियां दी जा रही हैं. केंद्रीय मंत्री गिरिराज सिंह ने तो दोषियों को फांसी की सजा देने की मांग कर दी है. वहीं, कांग्रेस ने सीएम नायडू पर सवाल खड़े किए हैं कि तीन महीने तक सीएम ने खुलासा क्यों नहीं किया. अब कांग्रेस ने सीबीआई जांच की मांग की है. सवाल है कि क्या घी सप्लाई करने वाली कंपनी को ठेका देने में प्रसाद की गुणवत्ता और पवित्रता से समझौता किया गया या प्रसाद में जानवरों की चर्बी का मुद्दा सिर्फ सियासी नफा नुकसान के हिसाब से गरमाया जा रहा है?

यह भी पढ़ें: तिरुपति के लड्डू में 'जानवरों की चर्बी' का सच क्या? जानें- किन हालात में गलत भी हो सकती है प्रसाद सैंपल की रिपोर्ट

रिपोर्ट में कहा गया है कि कुछ परिस्थितियों में जांच के परिणाम फॉल्स पॉजिटिव भी हो सकते हैं. ये हैं वो परिस्थितियां- 

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-सैंपल्स में अगर बेहद कमजोद गायों का दूध लिया गया हो
-अगर तुरंत ब्याई गाय के दूध का सैंपल लिया गया हो
-अगर गाय के दूध में दूसरे जानवरों का दूध मिला हो
-अगर ज्यादा तिल, तिलहान खिलाई गायों का दूध
-अगर गाय बीमार हो या गाय को किसी तरह के केमिकल्स दिए गए हों

मंदिर में हर दिन तैयार होते हैं 3 लाख लड्डू

तिरुपति बालाजी मंदिर से जुड़े कुछ ऐसे आंकड़े हैं, जिन्हें देखकर आप हैरान भी हो सकते हैं. तिरुपति बालाजी मंदिर में हर दिन 3 लाख से ज्यादा लड्डू तैयार किए जाते हैं. बालाजी मंदिर के ट्रस्ट को प्रसाद से हर साल 500 करोड़ की कमाई होती है. इस मंदिर में हर दिन 50 हजार से ज्यादा श्रद्धालु दर्शन करने आते हैं. तिरुपति बालाजी मंदिर भारत का सबसे अमीर और दुनिया के सबसे अमीर मंदिरों में से एक है. मंदिर की कुल संपत्ति 3 लाख करोड़ की है. जो कई मल्टीनेशनल कंपनियों की संपत्तियों से भी ज्यादा है. बालाजी मंदिर को हुंडी से हर साल 1400 करोड़ की कमाई होती है. 

बैंकों में मंदिर के 18 हजार करोड़ रुपये

सिर्फ साल 2023 में 773 करोड़ की कीमत का एक हजार 31 किलो सोना भगवान वेंकटेश को चढ़ाया गया. इतना ही नहीं, बालाजी मंदिर का बैंकों में 11 हजार 329 किलो सोना जमा है. वहीं, मंदिर के नाम से 13 हजार 287 करोड़ रुपए फिक्स डिपॉजिट किया गया है. अप्रैल 2024 तक 18 हजार 817 करोड़ रुपए मंदिर के नाम से बैंक में जमा हो चुका है. टीटीडी ट्रस्ट बोर्ड ने 2024-2025 के लिए कुल 5 हजार 141.74 करोड़ रुपये के बजट को मंजूरी दी है. ये पहली बार है, जब मंदिर का वार्षिक बजट 5,000 करोड़ रुपये के आंकड़े को पार कर गया है.

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कैसे चुना जाता है घी सप्लायर?

मंदिर में घी की सप्लाई के लिए टेंडर निकाला जाता है. टीटीडी के पूर्व कार्यकारी अधिकारी का दावा है कि सबसे कम बोली लगाने वाले को ठेका दिया जाता है. हालांकि मंदिर प्रशासन के पुराने अधिकारियों का दावा है कि शुद्ध देसी घी की आपूर्ति के लिए ट्रस्ट के प्लांट में ही 550 देसी गायें भी हैं. इतना ही नहीं, मंदिर में आने वाले घी की जांच की भी व्यवस्था भी है. मंदिर ट्रस्ट मैसूर के CFTRI लैब की मदद से घी की क्वालिटी चेक कराता रहा है.

घी सप्लाई करने वाली कंपनी की आई सफाई

कर्नाटक मिल्क फेडरेशन जो कि शुद्ध घी आपूर्ति करता रहा है, उसने सफाई दी है कि वो जुलाई के बाद से ही घी आपूर्ति कर रहा है. ऐसे में जिस सप्लायर पर अंगुली उठी है, उसका नाम एआर डेयरी प्रोडक्ट लिमिटेड है. इस कंपनी का कहना है कि वो जांच के लिए तैयार है. उसके चार ट्रक घी में कोई शिकायत नहीं थी. पांचवें ट्रक को रोका गया था. मंदिर प्रशासन ने कहा है कि अब कंपनी को ब्लैक लिस्ट करके दंडात्मक कार्रवाई शुरू की गई है.

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मंदिर में घी की सप्लाई के लिए टेंडर निकाला जाता है. टीटीडी के पूर्व कार्यकारी अधिकारी का दावा है कि सबसे कम बोली लगाने वाले को ठेका दिया जाता है. हालांकि पुराने मंदिर प्रशासन के अधिकारियों का दावा है कि शुद्ध देसी घी की आपूर्ति के लिए ट्रस्ट के प्लांट में ही 550 देसी गायें भी रखी गई हैं. इतना ही नहीं मंदिर में आने वाले घी की जांच की भी व्यवस्था है. टीटीडी मैसूर के CFTRI लैब की मदद से घी का क्वालिटी चेक कराता रहा है.

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