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चीन के खिलाफ राफेल का दूसरा मोर्चा तैयार, हासीमारा में तैनाती, ऐसे बढ़ेगी IAF की ताकत

पश्चिम बंगाल के हासीमारा में स्थित ईस्टर्न एयर कमांड में बुधवार को आधिकारिक तौर पर राफेल (Rafale) लड़ाकू विमान का दूसरा स्क्वॉड्रन तैनात हो गया है. 

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चीन की चुनौती के लिए तैयार राफेल (फोटो: वायुसेना ट्विटर अकाउंट)
चीन की चुनौती के लिए तैयार राफेल (फोटो: वायुसेना ट्विटर अकाउंट)
स्टोरी हाइलाइट्स
  • चीन की चुनौती का सामना करने के लिए तैयार भारत
  • हासीमारा एयरबेस पर की गई राफेल की तैनाती

सीमा पर चीन (China) से मिल रही चुनौती के बीच भारतीय वायुसेना (Indian Air Force) ने एक अहम कदम बढ़ा दिया है. पश्चिम बंगाल के हासीमारा में स्थित ईस्टर्न एयर कमांड में बुधवार को आधिकारिक तौर पर राफेल (Rafale) लड़ाकू विमान का दूसरा स्क्वॉड्रन तैनात हो गया है. 

वायुसेना प्रमुख आरकेएस भदौरिया की अगुवाई में बुधवार को हासीमारा में ये प्रक्रिया पूरी हुई, इस दौरान राफेल लड़ाकू विमानों को पानी से सलामी दी गई. इस दौरान वायु सेना चीफ ने कहा कि ईस्टर्न सेक्टर को मजबूती देने के लिए राफेल की तैनाती यहां की गई है, जो काफी संवेदनशील है. 

बता दें कि राफेल लड़ाकू विमान से संयुक्त 101 स्क्वॉड्रन ऐसा दूसरा स्क्वॉड्रन है. वायुसेना में स्क्वॉड्रन की शुरुआत यूं तो 1 मई, 1949 को हुई थी. जिसमें हार्वर्ड, स्पितफायर, वैम्पायर, Su-7, MiG-21M रह चुके हैं और अब राफेल लड़ाकू विमान की बारी है. 

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अम्बाला के बाद अब हासीमारा में तैनाती

राफेल का पहला स्क्वॉड्रन अम्बाला में तैनात है, जिसने हाल ही में लद्दाख समेत LAC के अन्य इलाकों में पेट्रोलिंग भी की थी. अब दूसरे स्क्वॉड्रन को हासीमारा में तैनात किया गया है, जो बंगाल से आगे पूर्वोत्तर की सीमा पर चीन की चुनौती को स्वीकार करेगी.

चीन ने जिस तरह से सीमा पर आक्रामक रवैया अपनाया हुआ है, ऐसे में भारत पूरी तरह से तैयार है और आंख में आंख मिलाकर जवाब दे रहा है. अब हासीमारा में राफेल की तैनाती से सबसे अधिक फायदा पूर्वोत्तर की सीमा पर होगा, जहां अरुणाचल प्रदेश के आसपास चीन हमेशा ही गुस्ताखी करता रहा है. 

अगर राफेल लड़ाकू विमानों की बात करें, तो भारत ने 2016 में फ्रांस से 36 राफेल विमान लेने की डील की थी, जिसकी कीमत करीब 59 हज़ार करोड़ रुपये थी. भारत को अबतक 26 राफेल मिल चुके हैं, जबकि अप्रैल 2022 तक पूरी डिलीवरी हो जाएगी. पहला राफेल विमान पिछले साल जुलाई में भारत पहुंचा था.
 

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