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जब शराब को चरणामृत समझकर पी गए मंत्री, गुजरात में सामने आया अजीबोगरीब मामला

आदिवासी दिवस की पूजा में देशी शराब से धरती माता का अभिषेक करने की परंपरा वर्षों से चली आ रही है. पूजा के दौरान एक बोतल में देसी शराब पत्ते में मंत्री समेत गणमान्य लोगों को पूजा के लिए दी गई. हालांकि, कृषि मंत्री राघवजी पटेल आदिवासी रीति-रिवाजों से अनजान होने की वजह से इसे चरणामृत समझकर पी गए.

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गुजरात के कृषि मंत्री गलती से शराब को चरणामृत समझकर पीते हुए
गुजरात के कृषि मंत्री गलती से शराब को चरणामृत समझकर पीते हुए

गुजरात के नर्मदा जिले से एक अजीबोगरीब वाकया सामने आया है. नर्मदा के डेडियापाड़ा में आदिवासी दिवस समारोह के मौके पर राज्य के कृषि मंत्री राघवजी पटेल गलती से शराब को चरणामृत समझकर पी गए.

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दरअसल इस दौरान उन्हें पूजा करने वाले पत्ते में देसी शराब दी गई लेकिन आदिवासी रीति-रिवाजों से अनजान कृषि मंत्री उसे चरणामृत समझकर पी गए. राज्य के कृषि मंत्री राघवजी पटेल की मौजूदगी में नर्मदा जिले के डेडियापाड़ा में विश्व आदिवासी दिवस मनाया गया.

बता दें कि आदिवासी दिवस की पूजा में देशी शराब से धरती माता का अभिषेक करने की परंपरा वर्षों से चली आ रही है. पूजा के दौरान एक बोतल में देसी शराब पत्ते में मंत्री समेत गणमान्य लोगों को पूजा के लिए दी गई. हालांकि, कृषि मंत्री राघवजी पटेल आदिवासी रीति-रिवाजों से अनजान होने की वजह से इसे चरणामृत समझकर पी गए.

लेकिन वहां मौजूद स्थानीय शख्स ने उन्हें बताया कि इसे धरती माता को अर्पित करना होता है तब जाकर मंत्री को अपनी गलती का एहसास हुआ.

इस बारे में उन्होंने कहा कि मुझे आदिवासी परंपराओं के बारे में अधिक जानकारी नहीं है. मैं यहां के रीति-रिवाजों से परिचित नहीं हूं. मैं पहली बार यहां आया हूं. 

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बता दें कि संयुक्त राष्ट्र ने 1982 को एक समिति का गठन किया गया था.  1982 में इस समिति की पहली बैठक नौ अगस्त को हुई थी. इसके 10 साल बाद 1992 में ब्राजील में पृथ्वी सम्मेलन का आयोजन किया गया था, जिसमें 68 देशों के 400 आदिवासी नेताओं ने हिस्सा लिया था. इन्होंने वैश्विक समुदाय से आदिवासियों और प्रकृति को बचाने के लिए जागरूकता अभियान चलाने की अपील की थी.

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