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'ग्लोबल प्रोडक्शन पर चीन का कब्जा, नहीं सुधरा मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर तो भारत में पैदा होगी भयंकर सामाजिक समस्या, टेक्सास यूनिवर्सिटी में रोजगार पर बोले राहुल

भारत में गरीबी पर पूछे गए सवाल के जवाब में राहुल गांधी ने कहा कि कुछ चुनिंदा लोगों को ही बड़े-बड़े प्रोजेक्ट्स और डिफेंस कॉन्ट्रैक्ट दिए जाते हैं. उन्होंने कहा, "सिर्फ एक या दो लोगों को सारे पोर्ट्स और डिफेंस कॉन्ट्रैक्ट्स सौंपे जा रहे हैं, जिसकी वजह से भारत में मेनुफैक्चरिंग सेक्टर की हालत खराब है."

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लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी
लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी

कांग्रेस सांसद और लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी तीन दिवसीय अमेरिका यात्रा के तहत रविवार को टेक्सास के डलास पहुंचे. यहां उन्होंने यूनिवर्सिटी ऑफ टेक्सास के छात्रों से भारत की राजनीति, अर्थव्यवस्था और भारत जोड़ो यात्रा पर चर्चा की. राहुल गांधी ने कहा कि भारतीय राजनीति में नफरत का माहौल है, लेकिन भारत जोड़ो यात्रा के जरिए मोहब्बत और भाईचारे की राजनीति की शुरुआत हुई. उन्होंने भारत में रोजगार की समस्या को भी प्रमुख मुद्दा बताया और कहा कि इसका कारण यह है कि देश ने उत्पादन (प्रोडक्शन) पर ध्यान नहीं दिया.

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राहुल गांधी ने चीन का उदाहरण देते हुए कहा, "चीन ने अपने देश में प्रोडक्शन पर ध्यान दिया है, इसलिए वहां रोजगार की समस्या नहीं है. भारत में अधिकतर चीजें 'मेड इन चाइना' हैं. चीन की यही नीति उसे रोजगार देने में सफल बनाती है." उन्होंने भारतीय बैंकों द्वारा बड़े व्यापारियों के कर्ज माफ किए जाने पर भी सवाल उठाया. राहुल गांधी ने कहा, "भारत में 25 लोगों का 16 लाख करोड़ रुपए का बैंक लोन माफ कर दिया गया. इतने पैसे से कई इंडस्ट्रीज खड़ी की जा सकती थीं, लेकिन जब हम कर्ज माफी की बात करते हैं, तो मीडिया हमसे सवाल करता है. वहीं, जब 16 लाख करोड़ रुपए माफ किए जाते हैं, तब कोई सवाल नहीं उठाया जाता."

विश्व के कई हिस्सों में रोजगार की समस्या गंभीर
राहुल गांधी ने कहा कि, विश्व के कई हिस्सों में रोज़गार की समस्या गंभीर है, खासकर पश्चिमी देशों और भारत में. लेकिन कुछ देश ऐसे भी हैं जहां यह समस्या नहीं है. चीन और वियतनाम जैसे देश निश्चित रूप से इस चुनौती का सामना नहीं कर रहे हैं. इसका एक मुख्य कारण उत्पादन का केंद्रीकरण है. अगर हम 1940, 50 और 60 के दशक के अमेरिका को देखें, तो वह वैश्विक उत्पादन का केंद्र था. उस समय हर वस्तु, चाहे कार हो, वॉशिंग मशीन हो या टीवी, सब कुछ अमेरिका में ही बनता था. लेकिन धीरे-धीरे उत्पादन अमेरिका से कोरिया, जापान और फिर अंततः चीन की ओर स्थानांतरित हो गया.

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वैश्विक उत्पादन में चीन आगेः राहुल गांधी
आज, चीन वैश्विक उत्पादन में सबसे आगे है. अमेरिका, यूरोप और भारत ने उत्पादन के विचार को छोड़ दिया और इसे चीन को सौंप दिया. उत्पादन का कार्य रोज़गार उत्पन्न करता है, लेकिन अब पश्चिमी देश और भारत केवल उपभोग को संगठित करने पर ध्यान केंद्रित कर रहे हैं. भारत को उत्पादन के विचार को फिर से समझने की जरूरत है.

यह स्वीकार्य नहीं है कि भारत कहे कि निर्माण, जिसे हम उत्पादन कहते हैं, केवल चीन, वियतनाम या बांग्लादेश के लिए ही हो. हमें लोकतांत्रिक व्यवस्था में उत्पादन को फिर से लाना होगा. जब तक हम ऐसा नहीं करते, तब तक हमारे सामने बेरोजगारी का संकट बना रहेगा, और यह दीर्घकालिक रूप से टिकाऊ नहीं है. अगर हम उत्पादन के महत्व को नज़रअंदाज़ करते रहेंगे, तो भारत, अमेरिका और यूरोप में बड़े सामाजिक संकट उभर सकते हैं. आज की राजनीति में ध्रुवीकरण भी इसी समस्या की देन है.

गरीबी और मेनुफैक्चरिंग पर भी बोले राहुल गांधी

भारत में गरीबी पर पूछे गए सवाल के जवाब में राहुल गांधी ने कहा कि कुछ चुनिंदा लोगों को ही बड़े-बड़े प्रोजेक्ट्स और डिफेंस कॉन्ट्रैक्ट दिए जाते हैं. उन्होंने कहा, "सिर्फ एक या दो लोगों को सारे पोर्ट्स और डिफेंस कॉन्ट्रैक्ट्स सौंपे जा रहे हैं, जिसकी वजह से भारत में मेनुफैक्चरिंग सेक्टर की हालत खराब है."

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संसद को बताया विचारों का युद्धक्षेत्र

छात्रों से संवाद के दौरान राहुल गांधी ने संसद में विपक्ष की भूमिका और राजनीति में सुनने की अहमियत पर जोर दिया. उन्होंने कहा, "सुनना बोलने से ज्यादा जरूरी है, क्योंकि सुनने से आप लोगों को बेहतर समझ पाते हैं. हर मुद्दे को उठाना जरूरी नहीं है, बल्कि उन मूलभूत मुद्दों पर ध्यान देना चाहिए जो जनता के जीवन को प्रभावित करते हैं."

राहुल गांधी ने विपक्ष की जिम्मेदारियों पर चर्चा करते हुए कहा, "विपक्ष जनता की आवाज़ है. आपकी जिम्मेदारी होती है कि आप सोच-समझकर उन मुद्दों को उठाएं जो भारत के लोगों के लिए महत्वपूर्ण हैं. यह काम आपको व्यक्तिगत दृष्टिकोण से नहीं बल्कि उद्योगों और किसानों जैसे समूहों के नजरिए से भी करना होता है."

संसद के कामकाज का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा, "जब आप संसद पहुंचते हैं, तो यह एक युद्धक्षेत्र की तरह होता है, जहां आप विचारों और शब्दों की लड़ाई लड़ते हैं. लेकिन सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि यह सब समझदारी और संवेदनशीलता से किया जाए."

क्यों निकाली गई भारत जोड़ो यात्रा... राहुल गांधी ने बताया
कांग्रेस सांसद और लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी ने भारत जोड़ो यात्रा की शुरुआत और इसके पीछे की वजह का खुलासा करते हुए कहा कि देश में सभी संवाद के रास्ते बंद हो गए थे. उन्होंने कहा, "पहला सवाल यह है कि मैंने चार हजार किलोमीटर की यात्रा क्यों की? इसकी जरूरत क्यों पड़ी? इसका कारण यह था कि भारत में संवाद के सभी रास्ते बंद कर दिए गए थे. हमने संसद में बोलने की कोशिश की, लेकिन उसे प्रसारित नहीं किया गया. हमने मीडिया से संपर्क किया, लेकिन उन्होंने हमारी बात नहीं उठाई. हमने कानूनी संस्थाओं में भी दस्तावेज प्रस्तुत किए, लेकिन कोई परिणाम नहीं निकला."

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राहुल गांधी ने बताया कि जब हर जगह से रास्ते बंद हो गए, तो यह समझ में नहीं आ रहा था कि जनता तक कैसे पहुंचा जाए. तब अचानक उन्हें यह विचार आया कि अगर मीडिया और संस्थाएं जनता से जुड़ने का माध्यम नहीं बन पा रही हैं, तो सीधे जनता के पास जाना होगा. इसका सबसे बेहतर तरीका था देशभर में पैदल यात्रा करना, और यही उन्होंने किया.

यात्रा की शुरुआत में घुटनों में था दर्दः राहुल गांधी
राहुल गांधी ने बताया कि यात्रा की शुरुआत में उन्हें घुटने की समस्या थी. "पहले 3-4 दिनों में मैंने सोचा, 'मैंने क्या कर लिया?' क्योंकि सुबह उठकर 10 किलोमीटर दौड़ना अलग बात है, लेकिन 4,000 किलोमीटर चलने की बात कहना एक बिल्कुल अलग सोच है." हालांकि, उन्होंने कहा कि यात्रा ने उनके काम करने के तरीके को पूरी तरह बदल दिया. "इसने मेरी राजनीति को समझने और लोगों से संवाद करने का तरीका बदल दिया. इस यात्रा ने मुझे सिखाया कि लोगों की बात सुनना और उनसे सीधे जुड़ना कितना महत्वपूर्ण है."

उन्होंने कहा कि यात्रा के दौरान सबसे महत्वपूर्ण और अप्रत्याशित चीज यह थी कि राजनीति में प्रेम का विचार अपने आप सामने आया, जो पहले से योजना में नहीं था. "यह अजीब है क्योंकि अगर आप दुनिया की राजनीति में देखें, तो वहां 'मोहब्बत' शब्द शायद ही कभी दिखता है. नफरत, गुस्सा, अन्याय, भ्रष्टाचार जैसे शब्द तो मिलते हैं, लेकिन 'मोहब्बत' राजनीति के संदर्भ में नहीं मिलता. भारत जोड़ो यात्रा ने इस विचार को भारतीय राजनीति में लाया, और मुझे यह देखकर हैरानी हो रही है कि यह विचार कितनी अच्छी तरह काम कर रहा है."

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राहुल गांधी के अनुसार, भारत जोड़ो यात्रा ने न केवल राजनीतिक संवाद में प्रेम को जोड़ा, बल्कि देश के लोगों के साथ उनकी बातचीत के तरीके को भी बदल दिया.

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