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कांग्रेस का धर्म संकट: क्या चुनावी नतीजे तय करेंगे राहुल का नेतृत्व और पार्टी का भविष्य?

कांग्रेस के सामने खड़े हुए संकट ने एक बार फिर राहुल गांधी के सामने मुश्किल खड़ी कर दी है, जो काफी वक्त से दक्षिण के राज्यों में फोकस किए हुए हैं. राहुल गांधी केरल से सांसद हैं, यही कारण है कि इस राज्य में उनका अलग अंदाज दिखता है.

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कांग्रेस नेता राहुल गांधी पर टिकी हैं निगाहें (फोटो: PTI)
कांग्रेस नेता राहुल गांधी पर टिकी हैं निगाहें (फोटो: PTI)
स्टोरी हाइलाइट्स
  • पांच राज्यों में चुनावों के बीच कांग्रेस में दो फाड़
  • बागियों के रुख से कांग्रेस पार्टी पर खड़ा हुआ संकट

पांच राज्यों में हो रहे विधानसभा चुनावों से पहले कांग्रेस पार्टी एक धर्मसंकट में दिखाई पड़ रही है. चुनावी राज्यों में भारतीय जनता पार्टी की चुनौती हो, केरल में लेफ्ट के सामने लड़ाई हो या फिर बंगाल में ममता को चुनौती देने का काम हो, इन सबके बीच राहुल गांधी द्वारा समुद्र में लगाई गई डाइव से सवाल खड़े हो रहे हैं कि क्या राहुल इस गोते के दम पर गांधी परिवार को फिर से खड़ा कर पाएंगे. या फिर क्या सबसे पुरानी पार्टी सचमुच टूट की ओर बढ़ चली है?

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पीएम के भाषण ने नब्ज़ को टटोला...

कांग्रेस के बीच का संकट काफी दिनों से सामने था, लेकिन बीते दिनों प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जिस तरह से गुलाम नबी आजाद को राज्यसभा से भावुक विदाई दी उसके बाद ये कमजोर नब्ज और भी जोर से दब गई. इसी के बाद कांग्रेस के बागियों में अलग तरीके का जोश दिखने लगा. और ये सब तब हो रहा था, जब कुछ दिन पहले ही सोनिया गांधी द्वारा जी-23 के नेताओं के लिए हाई-टी का आयोजन किया गया था. 

राज्यसभा में विभिन्न दलों द्वारा मिली शानदार विदाई के बाद गुलाम नबी आजाद अपने गृह राज्य पहुंचे. ऐसे में कयास लगाए जा रहे हैं कि उनकी नजर राज्यसभा से भी बड़े किसी रोल पर है, यही कारण रहा कि अपनी गृह जमीन पर फिर से लोगों से संवाद करने की कोशिश की और वहां पर ही जी-23 गुट का जमावड़ा हुआ.

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राहुल गांधी पर टिकी निगाहें...

कांग्रेस के सामने खड़े हुए संकट ने एक बार फिर राहुल गांधी के सामने मुश्किल खड़ी कर दी है, जो काफी वक्त से दक्षिण के राज्यों में फोकस किए हुए हैं. राहुल गांधी केरल से सांसद हैं, यही कारण है कि इस राज्य में उनका अलग अंदाज दिखता है. तमिलनाडु में भी राहुल गांधी कभी कुकिंग करते नजर आते हैं, तो किसी के साथ पुश-अप्स लगाते हुए दिखते हैं. 

इन बातों से इतर कांग्रेस पार्टी में अब आंतरिक तौर पर लोग अधिक मुखर होने लगे है. किसी ग्रुप में होने वाला मंथन भी जुबानी जंग के मंच के तौर पर बदल जाता है, जहां राहुल गांधी समर्थक और विरोधी आमने-सामने होते हैं. राहुल के इन्हीं दौरों के बीच एक सीनियर कांग्रेस नेता ने कहा कि राहुल गांधी एक दिन इस देश के प्रधानमंत्री बन सकते हैं, लेकिन क्या उन्हें इस तरह पब्लिक में पुश-अप्स करते दिखना चाहिए. अगर मैं उनसे मिलूं तो यही कहूंगा कि उन्हें ज्यादा गंभीर होने की जरूरत है. 

वहीं, गांधी परिवार के एक करीबी के मुताबिक, राहुल गांधी क्यों प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को कॉपी करेंगे. राहुल गांधी का जो नया अवतार दिख रहा है, वो इंदिरा गांधी और राजीव गांधी से प्रेरित हो सकता है जो कई मौकों पर लोगों से इस तरह का संवाद करते दिखे हैं. 

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कांग्रेस के बीच मची इस हलचल से इतर अब नजरें पांच राज्यों के विधानसभा चुनावों पर हैं. क्योंकि अगर राहुल गांधी केरल, असम जैसे राज्यों में अपने दम पर कांग्रेस को जीत दिला देते हैं तो उनके खिलाफ उठ रही आवाजें बंद हो सकती हैं. लेकिन अगर कांग्रेस के मनमुताबिक नतीजे नहीं आते हैं, तो फिर राहुल के खिलाफ उठ रही आवाजें और तेज हो सकती हैं और जी-23 को कांग्रेस में समर्थन मिल सकता है. 

बागियों पर होगा एक्शन?
जी-23 गुट के एक वरिष्ठ नेता भी इस बात से इनकार नहीं करते हैं कि कांग्रेस पार्टी टूट की ओर बढ़ रही है. नेता के मुताबिक, ‘ये कहना जल्दबाजी होगा लेकिन अगर कांग्रेस कहीं एक और बुरी हार का सामना करती है तो इसे टूटने से कोई नहीं रोक सकता है. बहुत से लोग हैं जो जी-23 ज्वाइन कर सकते हैं, फिर इस पार और उस पार की स्थिति होगी. 

वहीं, चुनावी घमासान के बीच गुलाम नबी आजाद का जम्मू में शक्ति दिखाना, आनंद शर्मा का चुनाव के बीच विरोध व्यक्त करना भी लोगों के निशाने पर है. और पार्टी में कई नेताओं को लगता है कि नियमानुसार इन सभी पर एक्शन होना चाहिए.

कांग्रेस के नेता उमेश पंडित का सवाल है कि गुलाम नबी आजाद जैसे बड़े नेताओं पर एक्शन क्यों नहीं होता है इससे कार्यकर्ताओं में गलत संदेश जाता है. अगर कोई छोटा नेता कुछ करता है, तो उसपर एक्शन होता है लेकिन ऐसे मौकों पर नहीं होता है. साल 2018 में कांग्रेस की कमेटी द्वारा उमेश पंडित को नोटिस भेजा गया था, उनपर आरोप था कि उन्होंने प्रियंका चतुर्वेदी के साथ बदतमीजी की और इसी के कुछ दिन बाद प्रियंका ने शिवसेना ज्वाइन कर ली. 

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हालांकि, अब ये साफ है कि चुनावी राज्यों के नतीजे अब कांग्रेस में काफी कुछ तय कर सकते हैं कि स्थिति राहुल के समर्थन में जाएगी या खिलाफ में. क्योंकि बीते वक्त में जेपी अग्रवाल, पृथ्वीराज चव्हाण, दिग्विजय सिंह जैसे बड़े नेताओं की स्क्रीनिंग कमेटी में एंट्री ये बताती है कि विद्रोह को रोकने की कोशिश है. 

 

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