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राहुल गांधी को 24 दिन में खाली करना होगा बंगला... जानें लुटियंस जोन में सांसदों को आवास मिलने और वापसी का पूरा प्रोसेस

कांग्रेस नेता राहुल गांधी की लोकसभा सदस्यता खत्म होने के बाद अब उन्हें सरकारी बंगला भी खाली करना होगा. उन्हें 22 अप्रैल तक सरकारी आवास खाली करने का नोटिस दे दिया गया है. नियम के मुताबिक, सांसदी जाने के बाद एक महीने के भीतर सरकारी आवास छोड़ना पड़ता है.

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राहुल गांधी को 24 दिन में सरकारी आवास खाली करना होगा. (फाइल फोटो- PTI/ Getty Images)
राहुल गांधी को 24 दिन में सरकारी आवास खाली करना होगा. (फाइल फोटो- PTI/ Getty Images)

लोकसभा की सदस्यता जाने के बाद अब राहुल गांधी को सरकारी बंगला भी खाली करना होगा. उन्हें बंगला खाली करने का नोटिस मिल गया है. राहुल को 22 अप्रैल तक बंगला खाली करने का समय दिया गया है.

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राहुल गांधी दिल्ली के लुटियंस जोन स्थित 12, तुगलक रोड पर सरकारी आवास में रहते हैं. इस बंगले में राहुल 2005 से ही रह रहे थे. 

न्यूज एजेंसी के मुताबिक, राहुल गांधी ने हाउसिंग कमेटी को बंगला खाली करने का समय बढ़ाने के लिए चिट्ठी लिखी है. इस पर कमेटी फैसला करेगी. लोकसभा की हाउसिंग कमेटी में 11 सदस्य हैं, जिसके अध्यक्ष बीजेपी सांसद सीआर पाटिल हैं.

बंगला खाली करने का नोटिस मिलने पर कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने कहा, 'सरकार उन्हें कमजोर करने के लिए सबकुछ करेगी. वो अपनी मां के साथ रह सकते हैं या मेरे पास आ सकते हैं, मैं उनके लिए अपना घर छोड़ दूंगा. मैं डराने, धमकाने और अपमानित करने के सरकार के इस रवैये की निंदा करता हूं.' उन्होंने कहा, लोकतंत्र में कई बार हम तीन-चार महीने बिना घर के रहे हैं. मुझे खुद 6 महीने बाद बंगला मिला है. 

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राहुल गांधी को बंगला खाली करने का नोटिस इसलिए मिला, क्योंकि उनकी लोकसभा की सदस्यता खत्म हो गई है. चार साल पुराने मानहानि मामले में दो साल की सजा मिलने के कारण उनकी सदस्यता रद्द की गई है. कानूनन अगर किसी सांसद को दो साल की सजा मिल जाती है तो उसकी सदस्यता खत्म हो जाती है.

कैसे मिलता है सरकारी बंगला?

- राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री, केंद्रीय मंत्रियों, सुप्रीम कोर्ट के जजों, सांसदों और ब्यूरोक्रेट्स को दिल्ली में जो सरकारी आवास दिए जाते हैं, वो लुटियंस जोन में आते हैं. 

- इन सरकारी आवासों के आवंटन, रख-रखाव और किराये का काम डायरेक्टोरेट ऑफ एस्टेट देखता है. इसे 1922 में बनाया गया था, जो शहरी आवास मंत्रालय के अधीन आता है.

- दिल्ली में सरकारी आवास आवंटित करने के लिए अलॉटमेंट ऑफ गवर्नमेंट रेसिडेंस (जनरल पूल इन दिल्ली) 1963 है. इसमें दिल्ली का मतलब वो इलाका है जो केंद्र सरकार के अधीन आता है. इन बंगलों का बंटवारा सैलरी और सीनियॉरिटी के आधार पर होता है.

- लोकसभा और राज्यसभा के सांसदों को आवास बांटने का काम दोनों सदनों की हाउसिंग कमेटी करती है. टाइप IV से टाइप VIII के आवास सांसदों, केंद्रीय मंत्रियों और राज्य मंत्रियों को दिए जाते हैं.

- पहली बार चुने गए सांसदों को टाइप IV के बंगले मिलते हैं. एक से ज्यादा बार चुने गए सांसद को टाइप VIII बंगला दिया जाता है.

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लुटियंस जोन में करीब एक हजार बंगले हैं. (फाइल फोटो- Getty Images)

कितने खास होते हैं ये बंगले?

- टाइप VIII का बंगला सबसे उच्च श्रेणी का होता है. ये बंगले आमतौर पर कैबिनेट मंत्री, सुप्रीम कोर्ट के जज, पूर्व प्रधानमंत्री, पूर्व राष्ट्रपति, पूर्व उप राष्ट्रपति और वित्त आयोग के चेयरमैन को मिलते हैं.

- टाइप VIII के बगलों में पांच तो टाइप VII में चार बेडरूम होते हैं. दोनों ही टाइप के बंगलों में सर्वेंट क्वार्टर, लॉन और गैरेज भी होता है. 

- सभी सांसदों को सरकारी आवास में सालाना 4 हजार लीटर पानी और 50 हजार यूनिट तक की बिजली फ्री मिलती है. अगर किसी साल बिजली या पानी का इस्तेमाल ज्यादा हो जाता है तो उसे अगले साल एडजस्ट किया जाता है. इसके अलावा हर तीन महीने में पर्दों की धुलाई भी फ्री में होती है.

कब खाली कराए जाते हैं ये बंगले?

- न्यूज एजेंसी ने एक सीनियर अफसर से हवाले से बताया है कि सदस्यता खत्म होने के बाद सांसद को एक महीने के भीतर सरकारी बंगला खाली करना होता है. 

- राहुल गांधी को 23 मार्च को सूरत की अदालत ने सजा सुनाई थी और उसी दिन से उनकी सदस्यता खत्म हो गई थी. इसलिए बंगला खाली करने के लिए उन्हें 22 अप्रैल तक का समय दिया गया है.

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- नेताओं से बंगले खाली कराने के मकसद से 2019 में मोदी सरकार एक कानून लेकर आई थी. इसके मुताबिक, समय पर बंगले खाली न करने पर 10 लाख रुपये तक का जुर्माना लगाने का प्रावधान है. 

- इसके अलावा इसमें ये भी प्रावधान है कि नोटिस मिलने के तीन दिन बाद सरकार बंगला खाली करवाने की प्रक्रिया शुरू कर सकती है.

- 2014 में मोदी सरकार आने के बाद पूर्व मंत्रियों और पूर्व सांसदों से तेजी से सरकारी बंगले खाली कराए जाने लगे. एक रिपोर्ट के मुताबिक, मोदी सरकार के पहले ही साल 460 नेताओं से सरकारी आवास खाली कराए गए थे. 2020 में प्रियंका गांधी से भी सरकारी आवास खाली करवाया गया था.

लुटियंस जोन में नेता, अफसर रहते हैं. (फाइल फोटो- इंडिया टुडे आर्काइव)

क्या है लुटियंस दिल्ली?

- अंग्रेजों ने जब अपनी राजधानी बंगाल से दिल्ली शिफ्ट करने का प्लान किया तो उसे तैयार करने का जिम्मा ब्रिटिश आर्किटेक्ट एडवर्ड लुटियंस को सौंपा गया.

- दिल्ली को राजधानी बनाने का काम 1912 में शुरू हुआ और 10 फरवरी 1931 को पूरा हुआ. किंग्सवे के पास लुटियंस दिल्ली बनाई गई जहां बड़े-बड़े अफसर रहा करते थे. उस समय ये 20 वर्ग किलोमीटर से भी कम दायरे में था.

- आजादी के बाद भी इस इलाके में भारत के उस समय बड़े नेता, अफसर और उद्योगपति रहने लगे. अभी लुटियंस बंगलो जोन 28 वर्ग किमी से ज्यादा दायरे में है. 

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- मौजूदा वक्त में लुटियंस जोन में एक हजार से ज्यादा बंगले हैं, जिनमें से 65 निजी हैं. बाकी बंगलों में बड़े-बड़े नेता, अफसर, जज और सेना के अधिकारी रहते हैं.

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