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राहुल गांधी अब 'पूर्व' सांसद हो गए. उनकी लोकसभा की सदस्यता रद्द हो गई है. लोकसभा सचिवालय ने उनकी सदस्यता रद्द किए जाने का नोटिफिकेशन जारी कर दिया है.
राहुल गांधी वायनाड लोकसभा सीट से चुनाव जीते थे. उनकी सदस्यता इसलिए रद्द हुई, क्योंकि गुरुवार को मानहानि के मामले में उन्हें दोषी करार दिया गया है. राहुल ने 'मोदी सरनेम' पर विवादित टिप्पणी की थी. इस पर बीजेपी विधायक पूर्णेश मोदी ने मानहानि का केस दायर किया था. इसी मामले में सूरत की अदालत ने उन्हें दो साल की सजा सुनाई है. हालांकि, उन्हें जमानत भी मिल गई.
राहुल की सदस्यता जाने पर सियासत भी शुरू हो गई. कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने कहा कि राहुल सच बोल रहे थे, इसलिए उन्हें अयोग्य ठहराने के लिए बीजेपी ने अपनी पूरी ताकत झोंक दी. वहीं, संसदीय कार्य मंत्री प्रल्हाद जोशी ने कहा कि फैसला सही है और कांग्रेस न्यायपालिका पर सवाल उठा रही है.
केंद्रीय मंत्री एसपीएस बघेल ने कहा कि कानून सबके लिए बराबर है. उन्होंने कहा कि हाल ही में उत्तर प्रदेश से बीजेपी विधायक की भी सदस्यता रद्द हुई है, क्योंकि उन्हें आपराधिक मामले में सजा सुनाई गई है.
बहरहाल, राहुल गांधी की सांसदी तो चली ही गई, साथ ही उनके चुनाव लड़ने पर भी रोक लग गई है. ऐसे में उन दस सांसद-विधायकों के बारे में जानना जरूरी है जिन्हें सजा मिलने के कारण सदस्यता गंवानी पड़ी.
1. लालू प्रसाद यादवः राष्ट्रीय जनता दल के प्रमुख लालू प्रसाद यादव को चारा घोटाला से जुड़े मामले में 2013 में सजा सुनाई गई थी. इसके बाद उनकी सदस्यता रद्द हो गई थी. लालू यादव बिहार की सारन सीट से सांसद थे.
2. जे. जयललिताः अन्नाद्रमुक की प्रमुख रहीं जे. जयललिता को तमिलनाडु विधानसभा से 2014 में अयोग्य करार दिया गया था. उन्हें आय से अधिक संपत्ति के मामले में 4 साल की सजा सुनाई गई थी. उस समय जयललिता तमिलनाडु की मुख्यमंत्री थीं और उन्हें अपने पद से इस्तीफा देना पड़ा था.
3. पीपी मोहम्मद फैजलः लक्षद्वीप से एनसीपी के सांसद पीपी मोहम्मद फैजल को इसी साल जनवरी में हत्या की कोशिश के मामले में 10 साल की सजा सुनाई गई है. हालांकि बाद में केरल हाईकोर्ट ने उनकी सजा और कन्विक्शन पर रोक लगा दी. मोहम्मद फैजल का दावा है कि लोकसभा सचिवालय ने अब तक उनकी अयोग्यता का नोटिफिकेशन जारी नहीं किया है.
4. आजम खानः समाजवादी पार्टी के नेता आजम खान को पिछले साल अक्टूबर में यूपी विधानसभा की सदस्यता से अयोग्य कर दिया गया था. उन्हें 2019 के हेट स्पीच के मामले में तीन साल की सजा सुनाई गई थी. आजम खान रामपुर सदर विधानसभा सीट से विधायक थे.
5. अनिल सहनीः आरजेडी के विधायक अनिल कुमार सहनी की भी पिछले साल अक्टूबर में बिहार विधानसभा से सदस्यता रद्द कर दी गई थी. उन्हें धोखाधड़ी के एक मामले में तीन साल की सजा सुनाई गई थी. सहन कुरहनी विधानसभा से विधायक थे.
6. विक्रम सिंह सैनीः यूपी के मुजफ्फरनगर जिले की खतौली सीट से बीजेपी विधायक की सदस्यता भी अक्टूबर 2022 में रद्द हो गई थी. उन्हें 2013 के मुजफ्फरनगर के दंगों के मामले में दो साल की सजा सुनाई गई थी.
7. प्रदीप चौधरीः कांग्रेस विधायक प्रदीप चौधरी को जनवरी 2021 में हरियाणा विधानसभा से अयोग्य घोषित कर दिया गया था. उन्हें असॉल्ट के एक मामले में तीन साल की सजा सुनाई गई थी. प्रदीप चौधरी काल्का सीट से विधायक थे.
8. कुलदीप सिंह सेंगरः यूपी से बीजेपी विधायक कुलदीप सिंह सेंगर की सदस्यता फरवरी 2020 में रद्द हो गई थी. उन्हें रेप के मामले में दोषी करार दिया गया था. कुलदीप सेंगर उन्नाव जिले की बांगरमउ सीट से विधायक थे.
9. अब्दुल्ला आजम खानः समाजवादी पार्टी के विधायक अब्दुल्ला आजम खान की फरवरी 2023 में ही सदस्यता रद्द हुई है. उन्हें 15 साल पुराने एक मामले में दो साल की सजा सुनाई गई है. अब्दुल्ला आजम रामपुर जिले की स्वार सीट से विधायक थे. वो आजम खान के बेटे हैं.
10. अनंत सिंहः आरजेडी विधायक अनंत सिंह को जुलाई 2020 में बिहार विधानसभा से अयोग्य कर दिया गया था. उन्हें हथियारों की रिकवरी से जुड़े मामले में दोषी करार दिया गया था. अनंत सिंह पटना जिले की मोकामा सीट से विधायक थे.
इन राज्यों में ये नेता भी हुए हैं अयोग्य
उत्तर प्रदेश..
नेता | पार्टी | आरोप | साल |
राशिद मशूद (राज्यसभा सदस्य) | कांग्रेस | करप्शन | 2013 |
बजरंग बी सिंह (विधायक) | बीजेपी | लाभ का पद | 2015 |
खब्बू तिवारी (विधायक) | बीजेपी | मार्कशीट फ्रॉड | 2021 |
अशोक चंदेल (विधायक) | बीजेपी | मर्डर | 2019 |
झारखंड
नेता | पार्टी | आरोप | साल |
केके भगत (विधायक) | AJSU | हत्या की कोशिश | 2015 |
अमित महतो (विधायक) | JMM | हमला | 2018 |
योगेंद्र महतो (विधायक) | JMM | कोयला खनन | 2018 |
एनोस एक्का (विधायक) | झारखंड पार्टी | मर्डर | 2018 |
बंधु टिर्की (विधायक) | कांग्रेस | संपत्ति का मामला | 2022 |
ममता देवी (विधायक) | कांग्रेस | हत्या की कोशिश | 2022 |
कर्नाटक
नेता | पार्टी | आरोप | साल |
वटल नागराज (विधायक) | IND | Poll Rule Flout | 1973 |
सुभाष कल्लर (विधायक) | बीजेपी | Poll Rule Flout | 2002 |
बिहार
नेता | पार्टी | आरोप | साल |
जगदीश शर्मा (विधायक) | आरजेडी | चारा घोटाला | 2013 |
राज बल्लभ यादव (विधायक) | आरजेडी | रेप | 2018 |
इलयास हुसैन (विधायक) | आरजेडी | करप्शन | 2018 |
तमिलनाडु
नेता | पार्टी | आरोप | साल |
टी एम सेल्वागणपति (विधायक) | AIADMK | करप्शन | 2014 |
पी बालाकृष्णा रेड्डी (विधायक) | बीजेपी | आगजनी का मामला | 2019 |
केरल
नेता | पार्टी | आरोप | साल |
पी जयराजन (विधायक) | सीपीएम | Poll Rule Flout | 2001 |
पीसी थॉमस (विधायक) | केरल कांग्रेस एम | हेट स्पीच | 2006 |
केएम शाजी (विधायक) | मुस्लिम लीग | हेट स्पीच | 2016 |
ए राजा (विधायक) | सीपीएम | वोटिंग में गडबड़ी | 2023 |
अयोग्यता पर क्या कहता है कानून?
- 1951 में जनप्रतिनिधि कानून आया था. इस कानून की धारा 8 में लिखा है कि अगर किसी सांसद या विधायक को आपराधिक मामले में दोषी ठहराया जाता है, तो जिस दिन उसे दोषी ठहराया जाएगा, तब से लेकर अगले 6 साल तक वो चुनाव नहीं लड़ सकेगा.
- धारा 8(1) में उन अपराधों का जिक्र है जिसके तहत दोषी ठहराए जाने पर चुनाव लड़ने पर रोक लग जाती है. इसके तहत, दो समुदायों के बीच घृणा बढ़ाना, भ्रष्टाचार, दुष्कर्म जैसे अपराधों में दोषी ठहराए जाने पर चुनाव नहीं लड़ सकते. हालांकि, इसमें मानहानि का जिक्र नहीं है.
- पिछले साल समाजवादी पार्टी के नेता आजम खान की विधायकी चली गई थी. क्योंकि उन्हें हेट स्पीच के मामले में दोषी ठहराया गया था.
- इस कानून की धारा 8(3) में लिखा है कि अगर किसी सांसद या विधायक को दो साल या उससे ज्यादा की सजा होती है तो तत्काल उसकी सदस्यता चली जाती है और अगले 6 साल तक चुनाव लड़ने पर भी रोक लग जाती है.
- इसके अलावा संविधान के अनुच्छेद 102(1) और 191(1) में भी सांसद-विधायक की सदस्यता रद्द करने का प्रावधान है.. अनुच्छेद 102(1) में सांसद और 191(1) में विधानसभा या विधान परिषद को अयोग्य ठहराने का प्रावधान है.
राहुल गांधी के मामले में अदालत ने क्या कहा था?
- सूरत कोर्ट ने राहुल गांधी की सजा का ऐलान करते हुए कई अहम टिप्पणियां कीं. कोर्ट ने कहा, 'इस अपराध की गंभीरता इसलिए भी बढ़ जाती है, क्योंकि ये भाषण संसद के सदस्य ने दिया था, जिसका जनता पर गहरा प्रभाव पड़ता है.'
- कोर्ट ने कहा, 'अगर उन्हें कम सजा दी जाती है तो इससे जनता में गलत संदेश जाएगा. इतना ही नहीं, मानहानि का मकसद भी पूरा नहीं होगा और कोई भी किसी को भी आसानी से अपमानित कर सकेगा.'
- अदालत ने ये भी कहा कि 2018 में 'चौकीदार चोर है' टिप्पणी पर सुप्रीम कोर्ट ने भी उन्हें चेताया था, जिसके बाद उन्होंने माफी मांग ली थी. लेकिन सुप्रीम कोर्ट के चेतावनी के बावजूद उनके बर्ताव में कोई बदलाव नहीं आया.
- दरअसल, 13 अप्रैल 2019 को कर्नाटक में चुनावी रैली में राहुल ने मोदी सरनेम पर विवादित टिप्पणी की थी. उन्होंने कहा था, 'नीरव मोदी, ललित मोदी, नरेंद्र मोदी... सबका कॉमन सरनेम क्यों है? सभी चोरों का सरनेम मोदी क्यों होता है?'