कांग्रेस ने मंगलवार को पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी को उनकी 80वीं जयंती पर श्रद्धांजलि अर्पित की. पार्टी प्रमुख मल्लिकार्जुन खड़गे ने कहा कि उन्होंने करोड़ों भारतीयों में उम्मीद जगाई और अपने अभूतपूर्व योगदान से भारत को 21वीं सदी में पहुंचाया. वहीं, लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी ने भी अपने पिता की समाधि वीर भूमि पर उन्हें पुष्पांजलि अर्पित की. राहुल गांधी ने एक्स पर एक पोस्ट भी किया. जिसमें उन्होंने लिखा कि दयालु व्यक्तित्व, सद्भावना और सद्भावना के प्रतीक... पापा, आपकी शिक्षाएं मेरी प्रेरणा हैं और भारत के लिए आपके सपने मेरे अपने हैं. मैं आपकी यादों को अपने साथ लेकर उन्हें पूरा करूंगा.
राजीव गांधी 1984 से 1989 तक थे प्रधानमंत्री
भारत के सबसे युवा प्रधानमंत्री राजीव गांधी 1984 से 1989 तक प्रधानमंत्री रहे. 1991 में लिट्टे के एक आत्मघाती हमलावर ने उनकी हत्या कर दी थी. खड़गे ने एक्स पर हिंदी में एक पोस्ट में कहा कि आज देश 'सद्भावना दिवस' मना रहा है. खड़गे ने कहा कि पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी भारत के महान सपूत थे. उन्होंने करोड़ों भारतीयों में आशा की किरण जगाई और अपने अभूतपूर्व योगदान से भारत को 21वीं सदी में पहुंचाया.
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कांग्रेस अध्यक्ष ने कहा कि मतदान की आयु घटाकर 18 वर्ष करना, पंचायती राज को मजबूत करना, दूरसंचार और आईटी क्रांति, कम्प्यूटरीकरण कार्यक्रम, शांति समझौते, महिला सशक्तिकरण, टीकाकरण कार्यक्रम और समावेशी शिक्षा पर जोर देने वाली नई शिक्षा नीति जैसी उनकी कई सुखद पहलों ने देश में परिवर्तनकारी बदलाव लाए. उन्होंने कहा कि हम भारत रत्न राजीव गांधी को उनकी जयंती पर भावभीनी श्रद्धांजलि अर्पित करते हैं.
राजनीतिक जीवन छोटा लेकिन बहुत महत्वपूर्ण था: जयराम रमेश
इस मौके पर कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश ने कहा कि राजीव गांधी का राजनीतिक जीवन छोटा लेकिन बहुत महत्वपूर्ण था. रमेश ने कहा कि मार्च 1985 के बजट में उन्होंने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी, जिसने आर्थिक नीति के प्रति नए दृष्टिकोण की शुरुआत की.
उन्होंने कहा कि 1991 के लोकसभा चुनावों के लिए घोषणापत्र पर राजीव गांधी ने अपनी हत्या से कुछ सप्ताह पहले काम किया था. इस घोषणा पत्र ने जून-जुलाई 1991 के राव-मनमोहन सिंह सुधारों के लिए नींव रखी थी. उन्होंने कहा कि असम, पंजाब, मिजोरम और त्रिपुरा जैसे देश के अशांत क्षेत्रों में शांति समझौते उनकी राजनेता की वजह से संभव हो पाए.
उन्होंने राष्ट्रीय हित को अपनी पार्टी के तात्कालिक हितों से ऊपर रखा. रमेश ने कहा कि उनके पास विज्ञान और प्रौद्योगिकी के सामाजिक अनुप्रयोगों के लिए एक दृष्टिकोण था. उन्होंने बताया कि 1985 में 165000 ऐसे गांवों की पहचान की गई थी, जहां पीने योग्य पानी के किसी भी स्रोत तक आसान पहुंच नहीं थी. जिसके बाद 1989 तक इनमें से 162000 गांवों को पीने के पानी का कम से कम एक सुरक्षित स्रोत उपलब्ध कराया गया था.