कांग्रेस सांसद और सदन में नेता प्रतिपक्ष, राहुल गांधी ने उत्तर भारत में बढ़ते वायु प्रदूषण को 'राष्ट्रीय आपातकाल' करार देते हुए इसे एक सार्वजनिक स्वास्थ्य संकट, पर्यावरणीय आपदा और आर्थिक विनाश का कारण बताया है. उन्होंने कहा कि यह संकट सबसे अधिक गरीबों को प्रभावित कर रहा है, जो जहरीली हवा से बचने में असमर्थ हैं.
वायु प्रदूषण राष्ट्रीय आपातकाल
उन्होंने कहा कि उत्तर भारत में वायु प्रदूषण एक राष्ट्रीय आपातकाल है. यह एक सार्वजनिक स्वास्थ्य संकट है जो हमारे बच्चों का भविष्य छीन रहा है और बुजुर्गों का दम घोंट रहा है, और एक पर्यावरणीय और आर्थिक आपदा है जो अनगिनत जिंदगियों को बर्बाद कर रही है. जैसे ही कुछ दिनों में संसद की बैठक होगी, सभी सांसदों को हमारी चिढ़ी हुई आँखों और गले में खराश के कारण संकट की याद आ जाएगी. यह हमारी जिम्मेदारी है कि हम एक साथ आएं और चर्चा करें कि भारत इस संकट को हमेशा के लिए कैसे समाप्त कर सकता है.
स्वच्छ हवा के लिए तरस रहे हैं परिवार
राहुल गांधी ने कहा, "परिवार स्वच्छ हवा के लिए तरस रहे हैं, बच्चे बीमार पड़ रहे हैं और लाखों लोगों की उम्र घट रही है. पर्यटन पर इसका नकारात्मक प्रभाव पड़ रहा है और देश की वैश्विक छवि को नुकसान हो रहा है." उन्होंने सरकार, कंपनियों, विशेषज्ञों और नागरिकों से अपील की कि वायु प्रदूषण से निपटने के लिए सामूहिक और ठोस कदम उठाए जाएं. राहुल गांधी ने राजनीतिक आरोप-प्रत्यारोप से बचने का सुझाव देते हुए कहा कि यह समय मिलकर इस संकट को खत्म करने का है.
संसद सत्र में परेशान करेगा प्रदूषण
सांसदों को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा, "जैसे ही संसद का सत्र शुरू होगा, हमारी चुभती आंखें और गले की जलन हमें इस संकट की याद दिलाएंगे. यह हमारी जिम्मेदारी है कि हम साथ आएं और इस मुद्दे पर ठोस चर्चा करें." राहुल गांधी का यह बयान ऐसे समय में आया है जब दिल्ली-एनसीआर समेत उत्तर भारत के कई हिस्सों में वायु गुणवत्ता 'गंभीर' स्तर पर पहुंच चुकी है.