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मणिपुर के राहत शिवरों में पहुंचे राहुल गांधी, कांग्रेस बोली- नफरत के खिलाफ जारी है मोहब्बत की यात्रा

कांग्रेस नेता राहुल गांधी दो दिवसीय मणिपुर दौरे पर हैं. अपने दौरे के दूसरे दिन राहुल ने आज मोइरांग में दो अलग- अलग राहत शिविरों का दौरा किया और प्रभावित परिवारों से मुलाकात की. वहीं बीजेपी ने राहुल गांधी के दौरे को लेकर तीखी प्रतिक्रिया दी है.

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राहुल गांधी ने आज मणिपुर में राहत शिविरों का दौरा किया (Photo- Twitter)
राहुल गांधी ने आज मणिपुर में राहत शिविरों का दौरा किया (Photo- Twitter)

कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने अपने मणिपुर के दौरे के दूसरे दिन आज दो राहत शिविरों का दौरा किया. शुक्रवार को सबसे पहले राहुल गांधी मोइरांग के कोन्जेंगबाम राहत शिविर में पहुंचे और वहां रह रहे परिवारों से मुलाकात की. इसके बाद उन्होंने मोइरांग कॉलेज में स्थित राहत कैंपों का मुआयना किया और यहां रह रहे लोगों का हाल-चाल जाना. संघर्ष के बाद से राज्यभर में अब तक करीब 50,000 लोग 300 से ज्यादा राहत शिविरों में रह रहे हैं. इसके बाद राहुल ने राज्यपाल राज्यपाल अनुसुइया उइके से भी मुलाकात की.

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राहुल के राहत शिविरों में पहुंचने की तस्वीरें ट्वीट करते हुए कांग्रेस ने लिखा, 'प्यार, भाईचारा और शांति का संदेश लेकर राहुल गांधी जी मणिपुर पहुंचे हैं. कल वे हिंसा के पीड़ितों और सिविल सोसाइटी के लोगों से मिले. उनका दुख बांटा, उनके आंसू पोछे, उन्हें हिम्मत दी... ये भरोसा दिलाया कि सब ठीक हो जाएगा. मणिपुर में नफरत के खिलाफ मोहब्बत की ये यात्रा आज भी जारी है...'

गुरुवार को भी की थी प्रभावित परिवारों से मुलाकात

दोपहर 12 बजे राहुल गांधी इम्फाल में सिविल सोसायटी के सदस्यों से मुलाकात करेंगे और इसके बाद मीडिया से बात करेंगे. गुरुवार को ही राहुल गांधी ने सरकारी हेलिकॉप्टर से हियांगतम और चुराचांदपुर के तुईबुओंग में ग्रीनवुड राहत शिविर का दौरा किया था और पीड़ित परिवारों से मुलाकात की थी. गुरुवार को राहुल जब इम्फाल एयरपोर्ट से सड़क मार्ग के जरिए चुराचांदपुर जाने के लिए निकले तो बिष्णुपुर में पुलिस ने उनके काफिले को रोक लिया था.

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पुलिस का कहना था कि सुरक्षा कारणों की वजह से राहुल को सड़क मार्ग से आगे नहीं जाने दिया जा सकता. बिष्णुपुर के एसपी ने बताया था कि राहुल समेत किसी को सड़क मार्ग से आगे नहीं जाने दिया जा सकता है. हमारे लिए उनकी सुरक्षा प्राथमिकता में है. आगजनी हुई है और कल रात भी हालात बदतर थे. तब राहुल इम्फाल से करीब 20 किमी ही आगे बढ़ पाए थे. 

हिमंत बिस्वा सरमा ने कही ये बात
राहुल के दौरे को लेकर बीजेपी ने कांग्रेस पर निशाना साधा है. असम के सीएम हिमंत बिस्वा सरमा ने कहा, "...मणिपुर के हालात को देखते हुए, केंद्र और राज्य सरकार के पास वहां हालात को नियंत्रण में लाने की जिम्मेदारी है... ऐसी जरूरत नहीं है कि राजनीतिक नेता वहां जाएं, इससे हालात का समाधान नहीं होगा. अगर उनकी यात्रा का कोई सकारात्मक परिणाम निकलता है तो यह दूसरी बात है अन्यथा सिर्फ एक मीडिया एपिसोड होगा... हमें राज्य की दुखद स्थिति का कोई राजनीतिक लाभ नहीं लेना चाहिए ..." 

बीजेपी बोली- राहुल का मणिपुर में विरोध

बीजेपी प्रवक्ता संबित पात्रा ने कहा था कि राहुल गांधी की यात्रा का मणिपुर में कई नागरिक समाज संगठनों और छात्र संघों ने कड़ा विरोध किया है. इसे ध्यान में रखते हुए प्रशासन ने राहुल से सड़क मार्ग के बजाय चुराचांदपुर जाने के लिए हेलिकॉप्टर से जाने का अनुरोध किया है, क्योंकि विभिन्न ग्रुप उनकी यात्रा का विरोध कर रहे हैं. राहुल सड़क मार्ग से जाने की जिद पर अड़े हैं. राजनीतिक लाभ के लिए 'जिद्दी' बनने से ज्यादा महत्वपूर्ण है संवेदनशील स्थिति को 'समझना' देखना. हेलिकॉप्टर टिकट की कीमत सिर्फ 2500/- रुपये है.

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'मणिपुर को शांति की जरूरत है, टकराव की नहीं'

राहुल को इजाजत ना मिलने पर मल्लिकार्जुन खड़गे ने ट्वीट किया, 'पीएम मोदी ने मणिपुर पर अपनी चुप्पी तोड़ने की जहमत नहीं उठाई है. उन्होंने राज्य को अपने हाल पर छोड़ दिया है. अब उनकी डबल इंजन वाली विनाशकारी सरकारें सहानुभूति की सोच रखने वाले राहुल गांधी को रोकने के लिए निरंकुश तरीकों का इस्तेमाल कर रही हैं. यह पूरी तरह से अस्वीकार्य है और सभी संवैधानिक और लोकतांत्रिक मानदंडों को तोड़ती हैं. मणिपुर को शांति की जरूरत है, टकराव की नहीं.'

कब से जल रहा है मणिपुर? 

- तीन मई को ऑल ट्राइबल स्टूडेंट्स यूनियन मणिपुर (ATSUM) ने 'आदिवासी एकता मार्च' निकाला. ये रैली चुरचांदपुर के तोरबंग इलाके में निकाली गई. 
- इसी रैली के दौरान आदिवासियों और गैर-आदिवासियों के बीच हिंसक झड़प हो गई. भीड़ को तितर-बितर करने के लिए पुलिस ने आंसू गैस के गोले दागे. 
- तीन मई की शाम तक हालात इतने बिगड़ गए कि राज्य सरकार ने केंद्र से मदद मांगी. बाद में सेना और पैरामिलिट्री फोर्स की कंपनियों को वहां तैनात किया गया. 
- ये रैली मैतेई समुदाय की अनुसूचित जनजाति का दर्जा दिए जाने की मांग के खिलाफ निकाली गई थी. मैतेई समुदाय लंबे समय से अनुसूचित जनजाति यानी एसटी का दर्जा देने की मांग हो रही है. 
- पिछले महीने मणिपुर हाईकोर्ट के एक्टिंग चीफ जस्टिस एमवी मुरलीधरन ने एक आदेश दिया था. इसमें राज्य सरकार को मैतेई समुदाय को जनजाति का दर्जा दिए जाने की मांग पर विचार करने को कहा था. इसके लिए हाईकोर्ट ने सरकार को चार हफ्ते का समय दिया है. 
- मणिपुर हाईकोर्ट के इस आदेश के बाद नगा और कुकी जनजाति समुदाय भड़क गए. उन्होंने 3 मई को आदिवासी एकता मार्च निकाला. 

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मैतेई क्यों मांग रहे जनजाति का दर्जा? 

- मणिपुर में मैतेई समुदाय की आबादी 53 फीसदी से ज्यादा है. ये गैर-जनजाति समुदाय है, जिनमें ज्यादातर हिंदू हैं. वहीं, कुकी और नगा की आबादी 40 फीसदी के आसापास है. 
- राज्य में इतनी बड़ी आबादी होने के बावजूद मैतेई समुदाय सिर्फ घाटी में ही बस सकते हैं. मणिपुर का 90 फीसदी से ज्यादा इलाकी पहाड़ी है. सिर्फ 10 फीसदी ही घाटी है. पहाड़ी इलाकों पर नगा और कुकी समुदाय का तो घाटी में मैतेई का दबदबा है.
- मणिपुर में एक कानून है. इसके तहत, घाटी में बसे मैतेई समुदाय के लोग पहाड़ी इलाकों में न बस सकते हैं और न जमीन खरीद सकते हैं. लेकिन पहाड़ी इलाकों में बसे जनजाति समुदाय के कुकी और नगा घाटी में बस भी सकते हैं और जमीन भी खरीद सकते हैं. 
- पूरा मसला इस बात पर है कि 53 फीसदी से ज्यादा आबादी सिर्फ 10 फीसदी इलाके में रह सकती है, लेकिन 40 फीसदी आबादी का दबदबा 90 फीसदी से ज्यादा इलाके पर है.

 

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