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राहुल गांधी ने जिस हजरतबल दरगाह में की जियारत, 29 साल पहले 32 दिन तक आतंकियों का रहा था कब्जा

15 अक्टूबर 1993 को जम्मू कश्मीर लिब्रेशन फ्रंट (JKLF) के करीब 50-70 आतंकी हथियारों के साथ हजरतबल दरगाह में दाखिल हुए थे. इन आतंकियों ने हजरतबल दरगाह पर कब्जा  कर लिया और यहां मौजूद सभी लोगों को बंधक बना लिया था. आतंकियों ने 32 दिन तक इस दरगाह पर कब्जा कर रखा था.

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हजरतबल दरगाह में राहुल गांधी ने की जियारत (फोटो- कांग्रेस ट्विटर)
हजरतबल दरगाह में राहुल गांधी ने की जियारत (फोटो- कांग्रेस ट्विटर)

राहुल गांधी के नेतृत्व में निकाली गई भारत जोड़ो यात्रा खत्म हो गई. यात्रा के खत्म होने के बाद मंगलवार को राहुल गांधी ने बहन प्रियंका गांधी के साथ खीर भवानी मंदिर में पूजा अर्चना की. इतना ही नहीं राहुल गांधी इसके बाद श्रीनगर स्थित हजरतबल दरगाह भी पहुंचे. हजरतबल दरगाह एक प्रसिद्ध दरगाह है. मान्यता है कि इस दरगाह में इस्लाम के नबी, पैगम्बर मुहम्मद, का एक दाढ़ी का बाल रखा हुआ है. हजरतबल दरगाह से 90 के दशक की एक बड़ी आतंकी घटना भी जुड़ी हुई है. मई 1993 में आतंकियों ने हजरतबल दरगाह पर कब्जा कर लिया था. आईए जानते हैं आखिर पूरा मामला क्या है?

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15 अक्टूबर 1993 को जम्मू कश्मीर लिब्रेशन फ्रंट (JKLF) के करीब 50-70 आतंकी हथियारों के साथ हजरतबल दरगाह में दाखिल हुए थे. इन आतंकियों ने हजरतबल दरगाह पर कब्जा  कर लिया और यहां मौजूद सभी लोगों को बंधक बना लिया था. इसके अगले दिन सुरक्षाबलों ने दरगाह को घेर लिया.

32 दिन तक आतंकी दरगाह पर कब्जा किए रहे. इस दौरान सरकार और आतंकियों के बीच बातचीत जारी रही. 32 दिन बाद सभी आतंकियों को सुरक्षित जाने दिया गया. आतंकियों को बिना शर्त छोड़ दिया गया. इस घटना को लेकर मौजूदा नरसिम्हा राव सरकार की काफी आलोचना भी हुई थी. 

श्रीनगर स्थित हजरतबल दरगाह पहुंचे राहुल गांधी

प्रसिद्ध दरगाह है हजरतबल दरगाह

हजरतबल दरगाह जम्मू कश्मीर के श्रीनगर शहर में स्थित एक प्रसिद्ध दरगाह है. मान्यता है कि इस दरगाह में इस्लाम के नबी, पैगम्बर मुहम्मद, का एक दाढ़ी का बाल रखा हुआ है, जिससे लाखों लोगों की आस्थाएं जुड़ी हुई हैं. कश्मीरी भाषा में 'बल' का अर्थ 'जगह' होता है, और हजरतबल का अर्थ है 'हजरत (मुहम्मद) की जगह'. हजरतबल डल झील की बाई ओर स्थित है और इसे कश्मीर का सबसे पवित्र मुस्लिम तीर्थ माना जाता है. फारसी भाषा में 'बाल' को 'मू' या 'मो' कहा जाता है, इसलिए हज़रतबल में सुरक्षित बाल को 'मो-ए-मुक़द्दस' या 'मो-ए-मुबारक' (पवित्र बाल) भी कहा जाता है.

 

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खीर भवानी मंदिर में की पूजा अर्चना

 



 

 

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