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जाली दस्तावेज, डमी निदेशक... पेमेंट गेटवे का उपयोग कर चीनी लोन ऐप से ऐसे हो रही थी धोखाधड़ी

प्रवर्तन निदेशालय ईडी ने चीनी लोन ऐप से जुड़े धोखाधड़ी के मामले में बेंगलुरु स्थित कई ठिकानों पर ताबड़तोड़ छापेमारी की थी. ईडी के मुताबिक जांच के दौरान धोखाधड़ी की आरोपी इन कंपनियों का नियंत्रण चीनी नागरिकों के पास है.

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प्रवर्तन निदेशालय
प्रवर्तन निदेशालय

चीनी लोन ऐप धोखाधड़ी के मामले की जांच प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) को सौंप दी गई थी. इस मामले की जांच कर रही ईडी एक्शन में है. ईडी ने 19 अक्टूबर को मनी लॉन्ड्रिंग रोकथाम अधिनियम (पीएमएलए) के तहत दर्ज केस के सिलसिले में कर्नाटक की राजधानी बेंगलुरु में पांच जगह छापेमारी की थी.

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ईडी ने अब ये जानकारी दी है कि जांच के दौरान क्या-क्या तथ्य सामने आए हैं. ईडी के मुताबिक जांच के दौरान यह सामने आया है कि इन संस्थाओं को चीनी नागरिकों की ओर से नियंत्रित और संचालित किया जाता है. इन संस्थाओं के काम करने का तरीका ऐसा है कि भारतीयों के जाली दस्तावेजों का उपयोग कर उन्हें उन संस्थाओं का डमी निदेशक बनाकर अपराध की कमाई की जाती थी.

जांच एजेंसी के मुताबिक ये संस्थाएं विभिन्न मर्चेंट आईडी और पेमेंट गेटवे के साथ ही बैंक खातों के माध्यम से अपना अवैध कारोबार कर रही थीं. जांच के दौरान मिली जानकारियों और बेंगलुरु शहर की केंद्रीय अपराध शाखा से प्राप्त इनपुट के आधार पर तलाशी अभियान चलाया गया.

ईडी ने कहा है कि इन संस्थाओं से संबंधित रेजरपे प्राइवेट लिमिटेड और बैंक के अनुपालन कार्यालयों के परिसरों को तलाशी में शामिल किया गया था. वित्तीय जांच एजेंसी ने कहा कि ऑपरेशन के दौरान यह देखने को मिला कि संस्थाएं विभिन्न मर्चेंट आईडी और पेमेंट गेटवे और बैंक खातों के माध्यम से अपराध की आय अर्जित कर रही थीं और उन्होंने केवाईसी दस्तावेजों में फर्जी पते से जुड़े आईडी जमा किए थे.

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गौरतलब है कि यह मामला बेंगलुरु सिटी की साइबर क्राइम पुलिस स्टेशन में दर्ज किए गए 18 केस पर आधारित है. इन मामलों में कई संस्थाओं और व्यक्तियों के खिलाफ जबरन वसूली और उन लोगों के उत्पीड़न के संबंध में जानकारी थी, जिन्होंने इन संस्थाओं की ओर से चलाए जा रहे मोबाइल ऐप के माध्यम से छोटी मात्रा में लोन लिया था.

 

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