ओडिशा के बालासोर जिले में ट्रिपल ट्रेन हादसे के बाद रेलवे की सुरक्षा और संरक्षा को लेकर सवाल उठाए जा रहे हैं. भारत के नियंत्रक और महालेखा परीक्षक (कैग) की 2022 की रिपोर्ट का हवाला देकर विपक्ष ने रेलवे की कार्यप्रणाली को कठघरे में खड़ा किया है. इन सबके बीच, अब इस मामले में रेलवे की तरफ से सफाई आई है. रेलवे ने कहा कि रेलवे संरक्षा कोष (RRSK) का उपयोग सिर्फ संरक्षा संबंधी कामों खर्च में किया गया है. लोगों और मीडिया में इसके उपयोग के संबंध में निराधार और भ्रामक प्रचार किया जा रहा है.
बता दें कि कुछ मीडिया रिपोटर्स में बताया गया था कि रेलवे सुरक्षा निधि का दुरपयोग किया गया है. इस निधि के पैसे से रेलवे ने कथित रूप से फुट मसाजर, क्रॉकरी, बिजली के उपकरण खरीदे हैं. फर्नीचर, विंटर जैकेट, कंप्यूटर और एस्केलेटर लगवाए. बगीचे तैयार किए. शौचालय बनवाए. वेतन और बोनस का भुगतान किया और तिरंगा झंडा भी लगाए. दिसंबर 2022 में पेश की गई कैग की एक रिपोर्ट में ये फैक्ट सामने आए हैं. 2017 में नरेंद्र मोदी सरकार द्वारा रेलवे सुरक्षा में सुधार के लिए एक विशेष निधि बनाई गई है. इसका नाम रेलवे सुरक्षा निधि (RRSK) दिया गया है.
'सुरक्षा समिति की सिफारिशों पर खरीद की गई'
अब भारतीय रेलवे का यह बयान CAG की रिपोर्ट के बाद आया है. भारतीय रेलवे ने कहा कि सुरक्षा समिति की सिफारिशों के आधार पर रेलवे ने लोको पायलटों के लिए उनके उचित आराम और तनाव से राहत के लिए रनिंग रूम में बॉडी मसाजर, फुट मसाजर, एयर कंडीशनिंग आदि जैसी सुविधाएं और सुविधाएं प्रदान की हैं जो सुरक्षा के लिए आवश्यक हैं. रेलवे ने दावा किया कि इसके अलावा विभाग में धन को एक मद से दूसरे मद में मूव करने का कोई प्रावधान नहीं है.
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'मानवीय त्रुटियां होंगी कम'
भारतीय रेलवे ने कहा कि RRSK द्वारा वित्तपोषित किए जाने वाले संरक्षा पर व्यय के अधिदेश को दिशा-निर्देशों में रेखांकित किया गया है. इसमें सिविल इंजीनियरिंग वर्क्स, सिग्नलिंग, मैकेनिकल और इलेक्ट्रिकल वर्क्स जैसी प्राथमिकता वाली सुरक्षा परियोजनाओं और संचालन के महत्वपूर्ण क्षेत्रों में मानवीय त्रुटियों की संभावना को कम करने के लिए व्यय का एक स्पष्ट प्रावधान है. काम करने की स्थिति में सुधार और सुरक्षा के लिए महत्वपूर्ण कर्मचारियों जैसे लोको पायलट आदि का प्रशिक्षण शामिल है. मानव संसाधन विकास के लिए 1861 करोड़ रुपये प्रदान किए गए हैं.
'... ताकि लोको पायलट को आराम मिल सके'
बयान में कहा गया है कि चूंकि लोको पायलट ट्रेनों में ड्यूटी के वक्त एक साथ घंटों खड़े रहते हैं. ड्यूटी से हस्ताक्षर करने के बाद वे अगली ड्यूटी से पहले अनिवार्य ब्रेक के लिए रनिंग रूम में जाते हैं. रेलवे के अनुसार, रनिंग रूम में ड्राइवरों के लिए अन्य सुविधाओं के साथ मेस और फुट मसाजर में क्रॉकरी के साथ रनिंग रूम उपलब्ध कराए जाने हैं, ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि ड्राइवरों को अगली ड्यूटी से पहले अच्छी तरह से आराम मिले. साल 2013 की कैमटेक रिपोर्ट के आधार पर क्रॉकरी, फुट मसाजर, विंटर जैकेट आदि प्रदान किए जा रहे हैं, जिसे मार्च 2014 में स्वीकार किया गया है.
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रेलवे का दावा है कि सूचीबद्ध व्यय रनिंग रूम और प्रशिक्षण स्टाफ आदि के लिए निर्धारित दिशा-निर्देशों पर आधारित हैं, जो सीधे ट्रेन चलाने की सुरक्षा से संबंधित हैं और इसलिए यह सामान नहीं हैं और जनादेश का हिस्सा हैं.