राजस्थान के अजमेर में ख्वाजा मोइनुद्दीन चिश्ती की दरगाह को हिंदू मंदिर बताने वाली याचिका कोर्ट ने स्वीकार की है. यहां ख्वाजा साहब की दरगाह के साथ बुलंद दरवाजा को लेकर भी विवाद है. मजार के नीचे शिवलिंग के दावे तो किए ही जा रहे हैं तो वहीं, बुलंद दरवाजा की छतरियां को देखें तो इनको लेकर दावा है कि ये हिंदू और जैन मंदिर के अवषेश हैं. कलश भी है. यही सबसे पहला दरवाजा है, जिसे महमूद खिलजी ने बनाया था.
कानून के हिसाब से हो समाधान
अजमेर दरगाह विवाद को लेकर राजस्थान विधानसभा अध्यक्ष वासुदेव देवनानी ने स्पष्ट किया कि यह मामला अदालत में लंबित है और इसका समाधान कोर्ट के निर्देशों के अनुसार होना चाहिए. उन्होंने इस मुद्दे पर राजनीति से बचने की अपील की. देवनानी ने कहा, "यह विवाद अभी कोर्ट में है. कोर्ट जो भी निर्णय लेगा, उसका पालन करना चाहिए. इस विषय पर राजनीति नहीं होनी चाहिए. अगर किसी की भावनाएं जुड़ी हैं, तो कानून के हिसाब से उनका समाधान होना चाहिए." उन्होंने जोर देकर कहा कि सभी पक्षों को अदालत के फैसले का इंतजार करना चाहिए और उसके अनुसार ही आगे की कार्रवाई करनी चाहिए.
क्या बोले केंद्रीय मंत्री जीतन राम मांझी?
दूसरी ओर, केंद्रीय मंत्री जीतन राम मांझी ने शनिवार को अजमेर शरीफ दरगाह विवाद पर कहा कि यह एक संवेदनशील मुद्दा है जिस पर व्यक्तिगत रूप से कुछ कहना उचित नहीं होगा. उन्होंने कहा कि यह मामला पुरातत्व विभाग और कोर्ट के निर्णय पर निर्भर करेगा. मांझी ने कहा, "अगर विवाद चल रहा है तो पुरातत्व विभाग इसकी जांच करेगा. सर्वे के बाद निष्कर्ष निकलेगा और उसी आधार पर कार्रवाई होगी. क्लेम करना कोई बड़ी बात नहीं है, कोई भी दावा कर सकता है. पहले भी राम मंदिर के निर्माण से पहले ऐसा ही हुआ था. बाद में कोर्ट ने निर्णय लिया और मंदिर बना."
उन्होंने आगे कहा कि भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (ASI) निष्पक्ष रूप से जांच कर रहा है और अगर हिंदू धर्म से जुड़े कोई साक्ष्य मिलते हैं, तो उसके अनुसार कार्रवाई की जाएगी. मांझी ने यह भी कहा कि सैकड़ों साल पुरानी बातों पर अब विवाद खड़ा करना समझ से परे है. "अगर कोई साक्ष्य मिलता है तो कोर्ट में रिपोर्ट जाएगी और जो निर्णय होगा, सभी को मानना चाहिए," उन्होंने कहा.
संभल हिंसा पर भी व्यक्त की प्रतिक्रिया
संभल हिंसा पर मांझी ने कहा कि अगर कोई ऐसी बात थी, तो इसे पहले उठाया जाना चाहिए था. "राम मंदिर का मामला बहुत पहले से चल रहा था, लेकिन अब चुन-चुनकर हर जगह मामले उठाए जा रहे हैं. यह उचित नहीं है."
उन्होंने आगे कहा, "जो सैकड़ों साल से शांतिपूर्वक रह रहे हैं, अब उनके दावे करना उचित नहीं लगता. अगर दावे किए गए हैं तो ASI सर्वे करेगा, रिपोर्ट कोर्ट में जाएगी और जो कोर्ट का निर्णय होगा, उसे सभी पक्षों को मानना चाहिए." मांझी ने सभी से अपील की कि इन मुद्दों पर राजनीति से बचते हुए कोर्ट और पुरातत्व विभाग के निष्कर्ष का सम्मान करें.